कभी कविता मिल जाती थी
विद्यार्थियों के अल्हड चेहरे पर
कोतुहल भरे भाव दिखते थे
नन्ही सी सुन्दर आँखों में
अब ना चेहरे पर पहचान है
ना ही आँखों में हैं भाव
सिर्फ बढ़ते ही जा रहे हैं
ऊंचाई में, आयु में
सिर्फ शरीर से
खोखली संवेदना लिए
कविता से दूर
परीक्षा में अंको के लिए
याद कर लेते है उसे
सिर्फ शब्दों की तरह
अब कोई कविता उन्हें
हँसाती नहीं
न ही भाव रुलाते हैं
"ओ हरे मन की कोमल कलियों
तुम कविता के फूल खिलाओ
सपनो की तितली बन जाओ
उजड़ा बाग़ महकाओ
बादलों की पतंग उडाओ
तारों की नदिया लहराओ
हवाओं के काँधे पर चढ़कर
सारी दुनिया घूम कर आओ
कविता गाओ, गीत बनाओ.... :)"
विद्यार्थियों के अल्हड चेहरे पर
कोतुहल भरे भाव दिखते थे
नन्ही सी सुन्दर आँखों में
अब ना चेहरे पर पहचान है
ना ही आँखों में हैं भाव
सिर्फ बढ़ते ही जा रहे हैं
ऊंचाई में, आयु में
सिर्फ शरीर से
खोखली संवेदना लिए
कविता से दूर
परीक्षा में अंको के लिए
याद कर लेते है उसे
सिर्फ शब्दों की तरह
अब कोई कविता उन्हें
हँसाती नहीं
न ही भाव रुलाते हैं
"ओ हरे मन की कोमल कलियों
तुम कविता के फूल खिलाओ
सपनो की तितली बन जाओ
उजड़ा बाग़ महकाओ
बादलों की पतंग उडाओ
तारों की नदिया लहराओ
हवाओं के काँधे पर चढ़कर
सारी दुनिया घूम कर आओ
कविता गाओ, गीत बनाओ.... :)"
वर्तमान युग में संवेदनाएं तिरोहित हो रही हैं,
जवाब देंहटाएंअल्हड़ता जीने की आपा-धापी में खो रही है।
अपने कलेजे पर पत्थर सा ढोता है आदमी,
अब बहारें भी फ़ूल नहीं, कांटे ही बो रही हैं।
हवाओं के काँधे पर चढ़कर
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया घूम कर आओ
कविता गाओ, गीत बनाओ.... :)
कविता बहुत ही बेहतरीन है.....संध्या जी
वहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
बहुत अच्छी रचना,..
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhavon ko piroya hai kavita ki mala me .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक विषय पर एक सार्थक पोस्ट है आपकी |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह,बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंआभार !
खोखली संवेदना लिए कैसे गीत गायेंगे ..सोचे जा रही हूँ..
जवाब देंहटाएंकोमल संवेदनाओं से रची रचना.....
जवाब देंहटाएंसारी घूम कर आओ,कविता गाओ गीत बनाओ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संवेदन सील रचना,...
bahut sukshm avlokan aur sahi baat
जवाब देंहटाएंsunder sandesh deti hai kavita hamesha ...jo de rahi hai.
जवाब देंहटाएंbilkul sahi sandesh liye , aapki ye rachna
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कह रही हैं आप. सुंदर सन्देश देती खूबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंbhaut hi khubsurat....
जवाब देंहटाएंbhaut hi khubsurat....
जवाब देंहटाएंसंवेदना की सोच सदा कायम रहे ..... यह सब तभी मुमकिन है...... बहुत उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंव्यहारिकता खोते जा रही है....
जवाब देंहटाएंलोग आभासी हो रहे हैं....
प्रेक्टिकल कुछ नहीं सब थ्यौरी पर चल रहा है.... जीवन में ऐसा ही हो रहा है....
सार्थक संदेश देती रचना।
ओ हरे मन की कोमल कलियों
जवाब देंहटाएंतुम कविता के फूल खिलाओ
सपनो की तितली बन जाओ
उजड़ा बाग़ महकाओ.बहुत खूब।
बहुत सुंदर रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सही भाव ..
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति !!
खूबसूरत.....
जवाब देंहटाएंआपकी बात से पूरी तरह से सहमत |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएं्वाह संध्या जी कोमल भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और भाव पूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा