सृष्टि के अंतिम दिन
उसके और हमारे बीच
कोई नहीं होगा
तब मृत्यु
एक कविता होगी
एक अंतिम कविता
बिना किसी भेद-भाव के
स्वागत करेगी सबका
उस दिन यह दुनिया
न तेरी होगी
न मेरी होगी
जब धरा लुढ़क रही होगी
खुल जायेगा
सिन्धु का तट बंध
बिखर जायेगा अम्बर प्यारा
अंधकार के महागर्त में
खो जायेगा जहाँ सारा
तब हम बहेंगे
पानी बनकर साथ-साथ
नए सिरे से रचना होगी
कुछ क्षण को ही सही
ये दुनिया अपनी होगी
एक ओर हो रहा होगा पतन
कहीं मिलेगा नवयुग को जीवन....
सच है, उस दिन कुछ नहीं होगा, बस वही होगा, बस वही होगा।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएं(अंतिम कविता पर ये रही पहली टिप्पणी।)
तब मृत्यु
जवाब देंहटाएंएक कविता होगी
एक अंतिम कविता
बिना किसी भेद-भाव के
स्वागत करेगी सबका...nihsandeh... bahut hi gahre ehsaas
गहन भावों का समावेश ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंक़यामत का मंज़र और कविता वो भी अंतिम.............सुभानाल्लाह|
जवाब देंहटाएंवाह ... क्या विलक्षण सोच है ... सच कहा है उस दिन कोई नहीं होगा .. बस मौन कविता होगी ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंसृश्टि का आराम्भ एवं अवसान एक कविता है। लय और ताल द्वारा नव सृष्टि की प्रारंभ, अब अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा, कहीं 22 दिसम्बर 2012 को आपकी कविता सत्य हो जाए, और हम उसके साक्षी बनें :)
जवाब देंहटाएंमौन मे समाहित कविता का नाद अद्भुत होगा……………बेहद उम्दा भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सही।
जवाब देंहटाएंसादर
सृष्टि के अंतिम दिन
जवाब देंहटाएंउसके और हमारे बीच
कोई नहीं होगा
तब मृत्यु
एक कविता होगी
एक अंतिम कविता
वो पल भी क्या पल होगा...
एक अतिसंवेदनशील रचना जो निशब्द कर देती है .....
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यकित से लिखी निशब्द करती बेहतरीन रचना,...बधाई...
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
तब मृत्यु
जवाब देंहटाएंएक कविता होगी
एक अंतिम कविता
बिना किसी भेद-भाव के
स्वागत करेगी सबका....गहन अहसास के साथ भावपूर्ण रचना....
म्रत्यु जीवन का शास्वत सच है ........सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंगहन अहसास ,भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .
जवाब देंहटाएंमहा विध्वंस में कुछ तो बचेगा ही ...मानव निर्माण कर ही लेगा..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत बढ़िया ..... उस मंज़र को सही शब्द दिए ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंतब हम बहेंगे
जवाब देंहटाएंपानी बनकर साथ-साथ
नए सिरे से रचना होगी
कुछ क्षण को ही सही
ये दुनिया अपनी होगी....
बेहद उम्दा .
i think this one is your best till date...
जवाब देंहटाएंvah.. mrittu aur kavita ka sanyog khoobsoorat abhivykti.....badhai.
जवाब देंहटाएंjivan hai to mratu bhi aani hi hai
जवाब देंहटाएंशानदार और प्रभावी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंmanojbijnori12.blogspot.com
सृष्टी की सुन्दर कविता मनोहारी है .
जवाब देंहटाएंगहन अहसासों से परिपूर्ण एक सशक्त प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमनोहारी सुंदर अहसासों से सजी एक अच्छी रचना,.....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे
milan ka ek sundar avsar...aur sundar tareeka....
जवाब देंहटाएंपतन के बाद नवजीवन की कल्पना सुखद है , सृष्टि की अंतिम कविता नए युग का निर्माण भी करेगी !
जवाब देंहटाएंगहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना!
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
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आपकी इस रचना को कविता मंच पर साँझा किया गया है
जवाब देंहटाएंकवता मंच
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