सोमवार, 24 फ़रवरी 2014
रविवार, 9 फ़रवरी 2014
वसंत.....
लेकर सरसों सी
सजीली धानी चूनर
समेट कर खुश्बुएं
सोंधी माटी की
पहन किरणों के
इंद्रधनुषी लिबास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
सजा सुकोमल
अल्हड़ नवपल्लवी
भर देना सुवास
बिखेरो रंग हजार
न रहने दो धरा को
देर तक उदास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
नवपल्ल्व फूटे
इतराई बालियां
सेमल, टेसू फूले
अकुलाया मन
जगा महुआ सी
बौराई आस
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
बोली कोयलिया
बौराए बौर आम के
भौरों की गूँज संग
कलियों का उछाह
बही बसंती बयार
लिए मद मधुमास
आ जाओ बसंत
धरा के पास...
सजीली धानी चूनर
समेट कर खुश्बुएं
सोंधी माटी की
पहन किरणों के
इंद्रधनुषी लिबास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
सजा सुकोमल
अल्हड़ नवपल्लवी
भर देना सुवास
बिखेरो रंग हजार
न रहने दो धरा को
देर तक उदास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
नवपल्ल्व फूटे
इतराई बालियां
सेमल, टेसू फूले
अकुलाया मन
जगा महुआ सी
बौराई आस
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
बोली कोयलिया
बौराए बौर आम के
भौरों की गूँज संग
कलियों का उछाह
बही बसंती बयार
लिए मद मधुमास
आ जाओ बसंत
धरा के पास...
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