तुम्हारे नयन
बोलते हैं
सुनाई देते
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा आना
श्रावणी फुहार
भिगोती है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा साथ
बसंत जैसे
महकाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा रूप
गुलमोहर
सजाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा जाना
रूठा चाँद
सताता है
सिर्फ मुझे...
हमारा मिलन
प्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग...
बोलते हैं
सुनाई देते
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा आना
श्रावणी फुहार
भिगोती है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा साथ
बसंत जैसे
महकाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा रूप
गुलमोहर
सजाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा जाना
रूठा चाँद
सताता है
सिर्फ मुझे...
हमारा मिलन
प्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग...