धरती माँ ने सही
असह्य वेदना
जन्मा कोरोना
कभी रफ़्तार होती थी
मायने ज़िंदगी की
थम गई दुनिया
एक ही पल में
धरा ने खोल दिया
अपने घर का झरोखा
आसमान साफ़ किया
आँगन बुहारा
कुछ परिंदे उड़ा दिए
कुछ सहेज लिये
जल पवित्र किया
नदियाँ जी उठीं
हवा शुद्ध की
अल्प साधनों में
जीना सिखा दिया
लौटा दी प्राकृतिक छटा
ताकि सांस ले सके जीवन
पनपती रहें वनस्पतियां
बचे रहें पहाड़
आओ इस नए साल में
संकल्प लें हम सब
धरती माँ की आज्ञा
सहजता से स्वीकार
उसे सहयोग करेंगे
उसके आँगन को
सदा सहेजकर रखेंगे
मानव जाति को बचाने....
नव संकल्प के साथ आंग्ल नूतन वर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें ...