बुधवार, 27 जुलाई 2011

चाँद ... संध्या शर्मा


ताकती हूँ उसे बड़ी आस से,
छूना चाहती हूँ पास से,
सोचती हूँ उसे देखकर,
जब मैं पुकारूँ तो,
आयेगा वह इस धरती पर,
अगर नहीं आ सका,
तो बुला लेगा मुझे वहां,
तभी ख़याल आता है,
ये धरती भी तो कभी,
ऐसी ही रही होगी,
स्वच्छ, निर्मल, प्रदुषणमुक्त
क्या कसूर था उसका,
क्यूँ ये हाल हुआ उसका,
पर दोष है किसका...?
डर जाती हूँ सोचकर,
और...
नहीं बुलाना चाहती उसे यहाँ,
ना जाना चाहती हूँ वहां,
ओ मेरे प्यारे से चाँद,
तुम जहाँ हो वहीँ रहो,
मेरी दुआ है,
पीड़ा इस धरती सी  
कभी ना सहो....
 

बुधवार, 20 जुलाई 2011

मैं संसार सजाना चाहती हूँ...." संध्या शर्मा


अन्याय की धुआंधार बारिश में,
संघर्ष वृक्ष के बीज का,
तू अंकुर बन,
जड़ जमा ले गहरे तक और,
फल - फूल,
तूफान उठें, या
गरजें बादल,
तुझे आकाश छूना है,
अपने जैसे असंख्य बीजों को,
जन्म देना है.
"मैं एक वृक्ष नहीं, 
 जंगल उगाना चाहती हूँ...
 एक बाग नहीं,
संसार सजाना चाहती हूँ...." 

बुधवार, 13 जुलाई 2011

वक़्त और हालात... संध्या शर्मा

 
भ्रष्ट आचरण की लाश कन्धों पर लिए,
निकल पड़ते हैं मौत के सौदागर,
आतंक और दहशत फ़ैलाने के लिए,
अनेकों के कुलदीपक बुझ जाते हैं,
कितने अपनों से बिछड़ जाते हैं,
तब खून पानी सा बहता है,
आंसू पानी बन जाते हैं,
और लहलहाते हैं,
साम्प्रदायिकता के बाग़,
खिल उठता हैं, आतंकवाद
जो चुभता हैं कांटे बनकर,
कर देता है बेगुनाहों के सीने छलनी,
इन्हें ख़त्म करने के लिए काँटों को नहीं,
पेड़ों को काटना होगा,
पूरा जड़ से ही,
हमेशा - हमेशा के लिए.....

 

बुधवार, 6 जुलाई 2011

"मैं तुम्हारा हूँ......" संध्या शर्मा

"तुम मेरी हो........"
उसने धीरे से  कानों में कहा.....!
सुनकर आनंदविभोर हो उठी थी वह 
मनमयूर ख़ुशी से नाचने लगा........

"मैं किसी को इतनी पसंद हूँ
.....!"  
इसकी कल्पना और उसका सुख

उन शब्दों के जादू में उलझकर
भूल बैठी खुद को....
जब भान आया
तो समझा था उसे
उन शब्दों का सच्चा अर्थ
प्रेम की अपेक्षा
स्वामित्व का भाव ज्यादा था उनमे

दोनों को ही
चाहिए परस्पर आधार 
जब ये संसार चलता है, आपसी प्यार
और सामंजस्य से एक दुसरे के...
तो फिर ये स्वामित्व क्यों.....?
 

लुटा देगी खुशियाँ तुमपर सारी
माँग लेगी दुख सारे तुम्हारे
तपोगे जीवन की धूप में उसके साथ
चलना होगा तुम्हे भी
उसके साथ
बोलो...?
चल सकोगे...?

तो फिर कह दो ना.....!
"मैं तुम्हारा हूँ......."