प्राचीन काल में शासक शक्ति के उपासक रहे हैं एवं शक्ति स्वरुप उन्होंने अपने राज्य में देवियों के मंदिरों का निर्माण किया। इसी परिपाटी में भोसला शासकों ने भी देवियों के मंदिरों का निर्माण कराया तथा इनके द्वारा प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार करवाने के प्रमाण अभिलेखों में ज्ञात होते हैं। ऐसा ही एक मंदिर नागपुर की पूर्व दिशा में आधे घंटे की दूरी पर भंडारा रोड पर पुनापुर, पारडी में स्थित है। यह भोसंलाकालीन होने के कारण लगभग ५०० वर्षों पुराना माना जा सकता है। यह मंदिर भवानी माता के नाम से प्रसिद्द है।
यहाँ पृथ्वी के गर्भगृह से बाहर माता के केवल मुखमंडल के दर्शन होते हैं। माता के माथे पर करंडा पद्धति का मुकुट, कानो में स्वर्ण कुंडल व सीधी नासिका तथा उन्नत ललाट पर वर्तमान में स्वयम्भू भाव वाली सुन्दर प्रतिमा है. सहज रूप से प्रतिमा भोंसले कालीन दिखाई देती है, परन्तु मिट्टी तथा अवशेषों के तुलनात्मक अध्ययन द्वारा इसे यादवोत्तर कालखंड १४ या १५ वीं शताब्दी की माना जाता है, काल निर्धारण के लिए अभी वृहद शोध की आवश्यक्ता है।
मान्यता है कि अब तक माता ने तीन स्वरूपों में दर्शन दिए हैं। इस प्रकार की प्रतिमाएं महाराष्ट्र में अंबेजोगाई, माहुर-पारडी(नागपुर जिला), अमरावती, बालापुर, सोलापुर आदि स्थान पर स्थित हैं।
भोंसलाकालीन अवशेषों के रुप में माता पूर्व में जमीन से २ फ़ीट ऊपर 8x8 चौरस गर्भगृह में विराजमान थी. सन १९८२ के दरम्यान मंदिर के नूतनीकरण हेतु पारडी वासियों ने "श्री माता भवानी सेवा समिति " की स्थापना की। मंदिर के नूतनीकरण के लिए खर्च होने वाली राशि के प्रबंध हेतु समिति के कार्यकर्ताओं ने २०-२० लोगों की टोली बनाकर लोगों के घर-घर जाकर शादी-विवाह व अन्य कार्यक्रमों में खाना परोसने का कार्य किया तथा उस कार्य से जो भी आर्थिक अनुदान प्राप्त होता, उसे मंदिर के कोष में एकत्र किया।
समिति गठन के समय मंदिर के पास सिर्फ २१०० वर्ग फुट जमीन उपलब्ध थी, जिसमे गर्भगृह १०० वर्ग फुट ही था. समिति के अथक प्रयास व दानदाताओं के सहयोग से वर्तमान में मंदिर के पास लगभग ७५ हजार वर्ग फुट स्थान है। इसी स्थान पर नागर शैली में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। जिसके गर्भगृह में भवानी माता विद्यमान है. मंडप के शिखर पर कलश तथा आमलक में महाराष्ट्र के महान संतों की प्रतिमाओं को स्थान दिया गया है। मंदिर द्वार के समक्ष दाहिनी ओर भैरव देव की प्रतिमा विराजमान विराजमान है तथा मध्य में सुन्दर हवन मंडप की रचना की गई है।
नागपुर व आसपास के क्षेत्र में यह जागृत देवी मंदिर के रूप में प्रसिद्द है। ऐसी मानता है कि माता के दरबार में जीवंत नाग देवता का वास है। कहा जाता है कि एक बार किसी जस गायक ने माता से ज़िद की कि "जब तक मुझे नाग देवता के दर्शन न होंगे, मैं अपना जस गान समाप्त नहीं करूँगा " उस जस गायक ने संध्याकाळ जस गान आरम्भ किया और माता की कृपा से देर रात उसे नाग देवता ने स्वयं दर्शन दिए। ऐसे कई चमत्कार इस मंदिर के साथ जुड़े हैं।
जस गायक नरेंद्र चंचल, छत्तीसगढ़ की लोक गायिका तीजन बाई जैसी अनेक हस्तियां माता के दरबार में आकर बिना पारिश्रमिक लिए अपनी प्रस्तुति के साथ अपनी हाजिरी लगा चुकी हैं। यहाँ श्रद्धा से की गई हर मनोकामना पूरी होती है।
नवरात्र उत्सव -
श्री भवानी माता के मंदिर में अश्विन एवं चैत्र माह में प्रतिवर्ष नवरात्र महोत्सव आयोजित किया जाता है। यहाँ अश्विन मास की नवरात्री में बहुत धूमधाम होती है। घटस्थापना के द्वारा नवरात्र महोत्सव का शुभारम्भ होता है। प्रतिदिन लगभग ४५ से ५० हजार दर्शनार्थी माता के दर्शन का लाभ लेते हैं। नौ दिनों तक माता के भक्तों द्वारा लगभग १५०० अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है।
अष्टमी के दिन यज्ञ - होम तथा नवमी को विशाल महाप्रसाद का आयोजन होता है , जिसमे लगभग एक से डेढ़ लाख लोग प्रसाद का लाभ लेते हैं। दीपावली के अवसर पर विशेष रूप से माता को छप्पन व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है, तत्पश्चात उसका प्रसाद वितरण किया जाता है।
धर्मार्थ दवाखाना -
श्री भवानी माता सेवा समिति द्वारा जनमानस के कल्याणार्थ फरवरी २०१० में धर्मार्थ दवाखाना का आरम्भ हुआ, जिसमे नाममात्र २० रूपए के शुल्क में रोगियों को चिकित्सा सुविधा व दो दिन की दावा दी जाती है। नाममात्र शुल्क में इस दवाखाने में ई. सी. जी. सुविधा, डिजिटल एक्सरे, सोनोग्राफी, पैथोलॉजी, नेत्र चिकित्सा, दन्त चिकित्सा आदि की सुविधाएं दी जाती है। यहाँ लगभग १५० से २०० रोगियों का प्रतिदिन इलाज़ किया जाता है। समिति द्वारा २४ घंटे एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है, जिस का लाभ जनमानस को प्राप्त हो रहा है। इसके साथ ही यहाँ धर्मार्थ हास्पिटल बनाए जाने की योजना पर भी काम हो रहा है।
माँ भवानी गौरक्षण -
माता भवानी के आशीर्वाद से समिति द्वारा एक और अत्यंत सराहनीय व पुनीत कार्य किया जा रहा है , वह है पारदी से लगभग १० किमी दूर गारला, दिघोरी (महालगांव) में माँ भवानी गौरक्षण केंद्र का निर्माण किया गया है, जिसमे गौशाला(३ शेड, प्रति शेड १०८ गौमाता हेतु ), राधाकृष्ण मंदिर, भक्तों के ठहरने हेतु संत निवास, सत्संग हेतु सभागृह सहित दुर्बल एवं बीमार गायों की सेवा हेतु एक उपचार केंद्र का भी निर्माण किया गया है। वर्तमान में गौरक्षण केंद्र में लगभग १०० से १४० गौ माताओं की सेवा की जा रही है। इस तरह भवानी माता के मंदिर के माध्यम से लोककल्याणकारी कार्यों को भी किया जा रहा है।