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मेरी कविताएं
सोमवार, 27 जुलाई 2015
सुप्रभात...
किरणों का साथ पाकर
जीना सीखती आशाएँ
मानो उड़ना चाहती हैं
क्षितिज के भी उस पार
अजब सुर्ख एहसास से
जाग उठी सुबह के साथ.....
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