बीते साल की विदा बेला
नए साल का आगमन
आओ हिलमिल महका दें
खुशियों का आँगन.
समय है यह , सफर क्षण -क्षण का
"
भूतो न भवति , ना भविष्यत् "
आता है यह और जाता है चला ....!
हम सभी हैं इस स्थिति से अवगत
"खूब कोशिश की सब कुछ पाने की
पर कुछ भी नहीं निकला सार"
क्या है यह दुनिया , क्या अपनी किस्मत
ऐसे वाक्यों का करें बहिष्कार
"पत्थर के ऊपर खिंची लकीर"
इन शब्दों को आत्मसात करें
क्या खोया, क्या पाया और क्या है पाना ?
खुद से सवाल , खुद से ही जबाब करें
तुमकर सकते हो सब कुछ
आगे बढ़ सृजन करें, नव निर्माण करें
भूल कर झूठे अहम् और शान को
सबका सम्मान, सबसे प्यार करें
आदमी से डरता आदमी
संकीर्ण होती मानवीय दृष्टि
अब तो सिर्फ सोचना होता
कैसी थी और अब कैसी है यह सृष्टि
सबका भला हो जग में
आओ मिलकर विचार करें
वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वधर्म समभाव,
ऐसे वचनों को स्वीकार करें
कोई न रहे बेघर धरा पर
पूरी प्रकृति से प्यार करें
यह है तो हम है , और बचेंगी संताने हमारी
भाव उदात ले मन में
नव वर्ष की शुभकामनाएं स्वीकार करें !!!