फिर बनेगा कोई नया राजा,
फिर होगा राजतिलक...
फिर सजेंगे चौराहे,
निकलेंगे लम्बे जुलूस...
गूंजेंगे स्वागत गान,
होगी फूलों की बरसात...
अभिमान से ऊंचे होंगे,
मस्तक चापलूसों के...
और कुचल दिए जायेंगे,
असहमति के सर,
विजयी जुलूस तले...
किसानो ने की आत्महत्या,
कितने मरे भूख से,
कौन हुआ घायल,
भ्रष्टाचार की तलवार से...
बदल गया कुंठा में,
कितनो का आत्मविश्वास...
सारे के सारे प्रश्न,
खड़े होंगे चुपचाप...
हाथ बांधे,
निरीह सी आँखों में,
फिर सजेंगे चौराहे,
निकलेंगे लम्बे जुलूस...
गूंजेंगे स्वागत गान,
होगी फूलों की बरसात...
अभिमान से ऊंचे होंगे,
मस्तक चापलूसों के...
और कुचल दिए जायेंगे,
असहमति के सर,
विजयी जुलूस तले...
किसानो ने की आत्महत्या,
कितने मरे भूख से,
कौन हुआ घायल,
भ्रष्टाचार की तलवार से...
बदल गया कुंठा में,
कितनो का आत्मविश्वास...
सारे के सारे प्रश्न,
खड़े होंगे चुपचाप...
हाथ बांधे,
निरीह सी आँखों में,
अनसुलझे से सवाल लिए,
एक जवाब की,
लम्बी प्रतीक्षा में....
एक जवाब की,
लम्बी प्रतीक्षा में....