फिर बनेगा कोई नया राजा,
फिर होगा राजतिलक...
फिर सजेंगे चौराहे,
निकलेंगे लम्बे जुलूस...
गूंजेंगे स्वागत गान,
होगी फूलों की बरसात...
अभिमान से ऊंचे होंगे,
मस्तक चापलूसों के...
और कुचल दिए जायेंगे,
असहमति के सर,
विजयी जुलूस तले...
किसानो ने की आत्महत्या,
कितने मरे भूख से,
कौन हुआ घायल,
भ्रष्टाचार की तलवार से...
बदल गया कुंठा में,
कितनो का आत्मविश्वास...
सारे के सारे प्रश्न,
खड़े होंगे चुपचाप...
हाथ बांधे,
निरीह सी आँखों में,
फिर सजेंगे चौराहे,
निकलेंगे लम्बे जुलूस...
गूंजेंगे स्वागत गान,
होगी फूलों की बरसात...
अभिमान से ऊंचे होंगे,
मस्तक चापलूसों के...
और कुचल दिए जायेंगे,
असहमति के सर,
विजयी जुलूस तले...
किसानो ने की आत्महत्या,
कितने मरे भूख से,
कौन हुआ घायल,
भ्रष्टाचार की तलवार से...
बदल गया कुंठा में,
कितनो का आत्मविश्वास...
सारे के सारे प्रश्न,
खड़े होंगे चुपचाप...
हाथ बांधे,
निरीह सी आँखों में,
अनसुलझे से सवाल लिए,
एक जवाब की,
लम्बी प्रतीक्षा में....
एक जवाब की,
लम्बी प्रतीक्षा में....
क्या यह सब मजबूरी है संध्याजी, क्या कोई निदान नहीं इस परिस्तिथी
जवाब देंहटाएंका. आपके भाव आंदोलित करते हैं.
यही स्थिति है आम आदमी की. कोउ हो नृप हमें का होई ?
जवाब देंहटाएंसंध्या जी, इन समस्याओं और सवालों के हल सिर्फ आम जनता के जागरूक होने से ही मिल सकते हैं... बहुत ही उत्तेजक भाव हैं आपकी रचना में... शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंIsi samsya se aaj har aadmi uljha huaa hae .
जवाब देंहटाएंसारे के सारे प्रश्न,
जवाब देंहटाएंखड़े होंगे चुपचाप...
हाथ बांधे,
निरीह सी आँखों में,
अनसुलझे से सवाल लिए,
एक जवाब की,
लम्बी प्रतीक्षा में....
और इस प्रतीक्षा में व्यक्ति जीवन को यूँ ही बिता देता है .....लेकिन सवाल पीढ़ी दर पीढ़ी यूँ ही बने रहते हैं ..मानसिक उलझन को सामने लती रचना एक सार्थक हल की तलाश में ...आपका आभार
आज के परिप्रेक्ष्य में शानदार रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंसारे के सारे प्रश्न,
जवाब देंहटाएंखड़े होंगे चुपचाप...
हाथ बांधे,
निरीह सी आँखों में,
अनसुलझे से सवाल लिए,
एक जवाब की,
लम्बी प्रतीक्षा में...
सटीक और प्रासंगिक प्रस्तुति ... न जाने यह प्रतीक्षा कितनी लम्बी होगी..... सुंदर सार्थक रचना संध्या जी
हाथ बांधे,
जवाब देंहटाएंनिरीह सी आँखों में,
अनसुलझे से सवाल लिए,
एक जवाब की,
लम्बी प्रतीक्षा में...
सवाल पीढ़ी दर पीढ़ी यूँ ही बने रहते हैं
सटीक प्रस्तुति .........संध्या जी
संध्या जी
जवाब देंहटाएंतारीफ़ करनी पडेगी एक ही रचना में इतने सारे सार्थक सवाल ......आभार !
मन में आशा का संचार करती बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंफिर बनेगा कोई नया राजा,
जवाब देंहटाएंफिर होगा राजतिलक...
फिर सजेंगे चौराहे,
निकलेंगे लम्बे जुलूस...
गूंजेंगे स्वागत गान,
होगी फूलों की बरसात...
अभिमान से ऊंचे होंगे,
मस्तक चापलूसों के...
यथार्थ का शब्दशः चित्रण है आपकी कविता में ....
बहुत सुन्दर सकारात्मक अभिव्यक्ति ...
हार्दिक बधाई !
prabhawit karti rachna
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली और सोचने को विवश करती रचना।
जवाब देंहटाएंKuch aise sawaalon ke jawaab mil nahi paate ... prabhaavi rachna hai ..
जवाब देंहटाएंयथार्थ का सटीक चित्रण है आपकी कविता में .
जवाब देंहटाएंएक आश्वासन के चक्र में एक ख्वाब की दौड़ के चक्र में फंसे इंसान की सच्चाई को बतलाती कविता, चुभते तेवर वाली कविता.
जवाब देंहटाएंप्रवाह लिए सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंsatye ko bhedti teekha prahar karti asardaar rachna.
जवाब देंहटाएंआज के परिप्रेक्ष्य में शानदार रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंलम्बी प्रतीक्षा का दंश जाने कब तक सहना पड़ेगा!
जवाब देंहटाएंसफल अभिव्यक्ति।
बहुत बढ़िया लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
बढ़िया प्रस्तुति ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंयथार्थ का सही चित्रण है है आपकी प्रस्तुति में और भावों का उदेव्लन भी. सुंदर रचना. अभिनन्दन.
जवाब देंहटाएंvery good.
जवाब देंहटाएंबहुत समसामयिक और सटीक प्रस्तुति...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमौजूदा दौर की परिस्थितियों को चित्रित करती रचना।
जवाब देंहटाएंअच्छे शब्द संयोजन।
शुभकामनाएं आपको।
अज की राजनिती का सजीव चित्रण। बहुत अच्छी लगी अपकी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति, सामयिक रचना के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंयथार्थ का प्रभावशाली चित्रण ...
जवाब देंहटाएंज़मीन से जुडी रचना ....बहुत अच्छी
सामयिक प्रश्न और चिंतन....
जवाब देंहटाएंशासन की कोई भी व्यवस्था हो... पिसना तो जनता को ही पड़ता है... एक प्रभावशाली चित्रण...
जवाब देंहटाएंअद्भुत... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी ये पोस्ट बहुत कुछ समझाती है.
जवाब देंहटाएंदुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
बहुत सटीक और सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवर्तमान परिपेक्ष्य में आप की यह कविता बेहद ही सटीक है और अज की राजनिती के द्वन्द को बेहद ही खूबसूरती से प्रकट कर रही है.
जवाब देंहटाएंमेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
आपके भाव आंदोलित करते हैं.
जवाब देंहटाएंMam india ki halat na jane kab sudhre. . . Pta nahi kab wo parsuram janm lega jo in bhrstachariyon ka ant krega? . . . . . . . . . Jai hind jai bharat
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