जानती हूँ मैं
जो भी घटा
पहली बार नहीं
सदियाँ हो गई घटते
ज़ुल्म सहते-सहते
फिर भी आशान्वित हूँ
विपरीत परिस्थितियों में
यातनाओं से डरी नहीं हूँ
बहुत खुश हूँ आज
चिंगारी एक सुलगती दिखी है
हजारो युवा आँखों में मुझे
यही चिंगारी...
एक किरण बनेगी
हर साल की तरह
इस साल की सुबह
अँधेरा नहीं लाएगी
एक किरण जगमगाएगी
आशा जाग उठी है
कल दूर अँधेरा होगा
नया सूर्योदय होगा...
जो भी घटा
पहली बार नहीं
सदियाँ हो गई घटते
ज़ुल्म सहते-सहते
फिर भी आशान्वित हूँ
विपरीत परिस्थितियों में
यातनाओं से डरी नहीं हूँ
बहुत खुश हूँ आज
चिंगारी एक सुलगती दिखी है
हजारो युवा आँखों में मुझे
यही चिंगारी...
एक किरण बनेगी
हर साल की तरह
इस साल की सुबह
अँधेरा नहीं लाएगी
एक किरण जगमगाएगी
आशा जाग उठी है
कल दूर अँधेरा होगा
नया सूर्योदय होगा...