लेकर सरसों सी
सजीली धानी चूनर
समेट कर खुश्बुएं
सोंधी माटी की
पहन किरणों के
इंद्रधनुषी लिबास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
सजा सुकोमल
अल्हड़ नवपल्लवी
भर देना सुवास
बिखेरो रंग हजार
न रहने दो धरा को
देर तक उदास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
नवपल्ल्व फूटे
इतराई बालियां
सेमल, टेसू फूले
अकुलाया मन
जगा महुआ सी
बौराई आस
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
बोली कोयलिया
बौराए बौर आम के
भौरों की गूँज संग
कलियों का उछाह
बही बसंती बयार
लिए मद मधुमास
आ जाओ बसंत
धरा के पास...
सजीली धानी चूनर
समेट कर खुश्बुएं
सोंधी माटी की
पहन किरणों के
इंद्रधनुषी लिबास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
सजा सुकोमल
अल्हड़ नवपल्लवी
भर देना सुवास
बिखेरो रंग हजार
न रहने दो धरा को
देर तक उदास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
नवपल्ल्व फूटे
इतराई बालियां
सेमल, टेसू फूले
अकुलाया मन
जगा महुआ सी
बौराई आस
आ जाओ वसंत
धरा के पास...
बोली कोयलिया
बौराए बौर आम के
भौरों की गूँज संग
कलियों का उछाह
बही बसंती बयार
लिए मद मधुमास
आ जाओ बसंत
धरा के पास...
वसंत को सुंदर निमन्त्रण...
जवाब देंहटाएंअति सुंदर चित्रण......
जवाब देंहटाएंबसंत आगमन का सुन्दर चित्रण..
जवाब देंहटाएंमनभावन सुन्दर रचना...
:-)
वसंत बौराया, पुन: घर आया। वसंत सी कविता।
जवाब देंहटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंअब आया वसंत!!!
सस्नेह
अनु
कैसे रुक पाये अब वसंत !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
बासंती रंग लिए बहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएंकोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ..
जवाब देंहटाएंप्यारी और सामयिक रचना !!
जवाब देंहटाएंबासंती रंग लिए मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .
जवाब देंहटाएंबसंत का लाजबाब चित्रण ,बेहतरीन प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: पिता
वाह ! अत्यंत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "समय की भी उम्र होती है",पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
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