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रविवार, 9 फ़रवरी 2014

वसंत.....

लेकर सरसों सी
सजीली धानी चूनर
समेट कर खुश्बुएं
सोंधी माटी की
पहन किरणों के
इंद्रधनुषी लिबास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...

सजा सुकोमल
अल्हड़ नवपल्लवी
भर देना सुवास
बिखेरो रंग हजार
न रहने दो धरा को
देर तक उदास
आ जाओ वसंत
धरा के पास...

नवपल्‍ल्‍व फूटे
इतराई बालियां
सेमल, टेसू फूले 
अकुलाया मन
जगा महुआ सी
बौराई आस
आ जाओ वसंत
धरा के पास...

बोली कोयलिया
बौराए बौर आम के
भौरों की गूँज संग
कलियों का उछाह
बही बसंती बयार
लिए मद मधुमास
आ जाओ बसंत
धरा के पास...

13 टिप्‍पणियां:

  1. वसंत को सुंदर निमन्त्रण...

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  2. बसंत आगमन का सुन्दर चित्रण..
    मनभावन सुन्दर रचना...
    :-)

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  3. वसंत बौराया, पुन: घर आया। वसंत सी कविता।

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  4. वाह.....
    अब आया वसंत!!!

    सस्नेह
    अनु

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  5. कैसे रुक पाये अब वसंत !
    बहुत बढ़िया !

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  6. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ..

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  7. बासंती रंग लिए मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .

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  8. बसंत का लाजबाब चित्रण ,बेहतरीन प्रस्तुति...!

    RECENT POST -: पिता

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "समय की भी उम्र होती है",पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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