पेज
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
मेरी कविताएं
▼
बुधवार, 5 जून 2024
हरियाली खुशहाली है... संध्या शर्मा
›
बच्चों आओ मैं हूँ पेड़ मुझे लगाओ करो ना देर जब तुम मुझे उगाओगे धरती सुखी बनाओगे दुनिया मेरी निराली है हरियाली खुशहाली है रोको मुझपर होते प्...
9 टिप्पणियां:
बुधवार, 20 मार्च 2024
जगह दे दो मुझे अपने आंगन में- संध्या शर्मा
›
ओ गौरैया! नन्ही सी तुम कितनी खुश थी अपनी मर्जी से चहचहाती थी जब जी चाहे सामर्थ्य भर भरती थी उड़ान छू लेती थी आसमान चहचहाती थी जहां जी चाहे ...
4 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 8 मार्च 2024
मेरी मां सबसे प्यारी-संध्या शर्मा
›
हम तीन बहनों और एक भाई की मां। बहुत प्यारी, बहुत कुशाग्र बुद्धि वाली थी। मां ने राजनीति, समाज और गृहस्थी हर जगह अपनी कुशलता दिखाई। आज भी जबल...
12 टिप्पणियां:
शनिवार, 13 जनवरी 2024
हम सदा रहेंगे...
›
उस दिन....! जब ना हम होंगे ना तुम तब भी मिलेंगे अपनी कविताओं में हम तुम धरती आकाश होंगे चांद सूरज होंगे बारिश भी होगी बसंत भी आएगा नदियां...
4 टिप्पणियां:
शनिवार, 22 अप्रैल 2023
अकती पूजन कैसे जाऊँ री, बरा तरें ठाडे लिवौआ...
›
हिंदू धर्म में प्रकृति के सभी तत्वों की पूजा, प्रार्थना का प्रचलन और महत्व है, क्योंकि हिंदू धर्म मानता हैं कि प्रकृति से ही हमारा जीवन संचा...
4 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें