अंगना रंगोली सजाकर
घर का कोना -कोना
स्नेह से महकाकर
रसोई के सारे काम
जल्दी से निबटाकर
सोलह सिंगार कर
अक्षत, चन्दन, फूल
केसर, कुमकुम से
संध्या की मधुर बेला
पुकारूंगी तुम्हे चाँद
जब पलकें बिछाए
करुँगी साथ उनके
तुम्हारा भी इंतजार
बादलों की ओट में
चुपके से छिप जाओगे
कुछ पल सताओगे
तुम भी जानते हो
मेरे का मन का हाल
क्योंकि उनकी तरह
तुम्हे भी है मेरा ख्याल
लेकिन जानती हूँ मैं
हौले से मुस्कुराकर
आ ही जाओगे तुम ....
सौभाग्य और ऐश्वर्य के पर्व 'करवा चौथ' की हार्दिक शुभकामनाएं ....
नमस्कार आपकी यह रचना आज मंगलवार (22-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंकरवाचौथ के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें संध्या जी ! मन की कोमल भावनाओं को उजागर करती बहुत ही मनभावनी रचना ! बहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंशानदार रचना
जवाब देंहटाएंअख़बारों के नाम पर गोरखधन्धा
बहुत प्यारी रचना.....
जवाब देंहटाएंसुहाग पर्व की अनेक शुभकामनाएं......
सस्नेह
अनु
itna sneh bhala kaun thukra sakta hai .....ati sundar sandhya jee ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना....करवा चौथ की अनेक शुभकामनाएं......
जवाब देंहटाएंपूरी कविता मन को छूती हुई गुजरती है
जवाब देंहटाएंप्यारी मनभावन रचना ।एक रात में दो दो चाँद खिले :) ।करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाये ।
जवाब देंहटाएंकरवाचौथ की ढेरों शुभकामनाएं :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंकरवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ :-)
संध्या की मधुर बेला...बहुत सुन्दर रचना.. हार्दिक शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंउषा की लाली संग
जवाब देंहटाएंअंगना रंगोली सजाकर
घर का कोना -कोना
स्नेह से महकाकर
अनुपम भावों से सजी बेहतरीन अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं
नई पोस्ट मैं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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