"एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी...
न कोई रुत न बहारें होंगी,
चांदनी रात भी दिल जलाएगी,
अब न कोई भी रौशनी होगी,
दिए से बाती भी बिछड़ जाएगी,
न कोई ख्वाहिश न तमन्ना होगी,
ना कोई याद ही सताएगी...
एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी"
न कोई रुत न बहारें होंगी,
जवाब देंहटाएंचांदनी रात भी दिल जलाएगी,
दिल को छू जानेवाली बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
दिल को छू लेने वाले जज़्बात....यही अंतिम सत्य है....
जवाब देंहटाएंऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच गए..
जवाब देंहटाएंकमजोर होते रिश्तों का बखूबी चित्रण
जवाब देंहटाएंआप सभी को इतने सारपूर्ण कमेंट्स के लिए धन्यवाद्..
जवाब देंहटाएंआखिर अंतिम सत्य तो यही है, इसे हम नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते //