शनिवार, 25 दिसंबर 2010

"EK AISI BHI GHADI AAYEGEE"

"एक ऐसी भी घडी आएगी"
"एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी...
न कोई रुत न बहारें होंगी,
चांदनी रात भी दिल जलाएगी,
अब न कोई भी रौशनी होगी,
दिए से बाती भी बिछड़ जाएगी,
 न कोई ख्वाहिश न तमन्ना होगी,
ना कोई याद ही सताएगी...

एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी"  



5 टिप्‍पणियां:

  1. न कोई रुत न बहारें होंगी,
    चांदनी रात भी दिल जलाएगी,

    दिल को छू जानेवाली बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत सुन्दर

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  2. दिल को छू लेने वाले जज़्बात....यही अंतिम सत्य है....

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  3. ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच गए..

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  4. कमजोर होते रिश्तों का बखूबी चित्रण

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  5. आप सभी को इतने सारपूर्ण कमेंट्स के लिए धन्यवाद्..
    आखिर अंतिम सत्य तो यही है, इसे हम नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते //

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