सोमवार, 23 सितंबर 2013

मीडिया चौपाल से लौटकर... संध्या शर्मा


मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और स्पंदन संस्था की ओर से भोपाल में १४-१५ सितंबर को दो दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया चौपाल का आयोजन किया गया , जिसमे  देशभर से करीब १४५ मीडियाकर्मी , ब्लॉग एवं सोशल मीडिया से जुड़े लोग शामिल हुए ।  'जन-जन के लिए विज्ञान और जन-जन के लिए मीडिया' इस चौपाल का मुख्य विषय था. चौपाल की शुरुआत उद्घाटन समारोह से हुई। सबसे पहले दीप प्रज्‍ज्‍वलन किया गया एवं इसके बाद वैज्ञानिक मनोज पटेरिया, विज्ञान और प्रोद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक, वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय एवं पुष्पेंद्र पाल सिंह को स्मृति चिन्‍ह भेंट कर उनका सम्मान किया गया। उद्घाटन समारोह का संचालन स्पंदन संस्था के अनिल सौमित्र ने किया।  चौपाल के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विकास में मीडिया की सकारात्मक भूमिका को बढ़ावा देना था।  
 
दो दिन में विभिन्न चर्चा सत्रों में नया मीडिया, नई चुनौती, आपदा प्रबंधन और नया मीडिया और आमजन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास और जनमाध्यम जैसे विषयों पर चर्चा की गई. इसके अलावा आपदा प्रबंधन, एकता-अखंडता, विकास और लोकहित में सोशल मीडिया की क्या जिम्मेदारी है भी चर्चा के विषय थे।  
चौपाल में चर्चा सत्र की शुरुआत 'नया मीडिया, नई चुनौतियां' से हुई। उसके बाद आमजन में वैज्ञानिक दृष्टि के विकास और जन माध्यमों की भूमिका पर चर्चा की गई। इस सत्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोज पटेरिया ने कहा कि वर्तमान में मीडिया में विज्ञान की खबरों को पर्याप्त स्थान नहीं मिल पा रहा है। अगर हमें लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना है तो विज्ञान की खबरों को भी महत्व देना होगा।  माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति बीके कुठियाला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान वैज्ञानिक दृष्टिकोण का आम जीवन पर महत्व पर जोर देते हुए कहा कि न्यू मीडिया इस क्षेत्र में व्यापक योगदान देने की क्षमता रखता है, इसके लिए मीडिया और वैज्ञानिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने ग्रामीण स्तर पर सोशल मीडिया के प्रचार-प्रसार और महत्व पर भी प्रकाश डाला।  

'आपदा प्रबंधन और नया मीडिया ' पर आधारित चर्चा में मुख्य वक्तव्य वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुबोध मोहंती ने दिया,  आपदाओं से निबटने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया की अहम् भूमिका पर अपने विचार प्रकट किये। उन्होंने कहा हमारा भारतीय उपमहाद्वीप आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, यही आपदाएं दर्शाती हैं कि हमारा ग्रह पृथ्वी एक जिंदा ग्रह है। हमें इन आपदाओं के साथ सामंजस्य बिठाकर जीना सीखना होगा, क्योंकि प्रकृति पर कभी किसीका नियंत्रण न रहा है न कभी होगा। उत्तराखंड में आई विभीषिका के दौरान न्यू मीडिया के द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा की गई और उन्हें भविष्य में बेहतर बनाने के प्रयासों पर जोर दिया गया। केदारनाथ त्रासदी के बाद से सोशल मीडिया के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, इसके प्रयोग के ऐसे बहुत से सकारात्मक परिणाम हमारे सामने आए हैं, जो किसी और माध्यम से असंभव थे. मौजूद पत्रकारों ने उन समस्याओं के बारे में बताया, जो उन्हें आपदाग्रस्त इलाकों की खबरों को कवर करने के दौरान सामने आती हैं और उनका हल तलाशने एवं ऐसी जगहों पर जाने के बाद स्वयं व आपदाग्रस्त लोगों को जान की सुरक्षा हेतु तकनीकी ट्रेनिंग देने पर जोर दिया। 

ब्लॉगिंग पर भी कई विषयों पर चर्चा की गई, जो अंत में आत्मनियमन पर समाप्त हो गई , ब्लॉगिंग आज इतना व्यापक रूप ले चुकी है जिसे भाषा, विधा जैसी किसी भी सीमा में बांधना फ़िलहाल तो एक असंभव कार्य है।   
 
अनिल सौमित्र जी ने कहा कि सारे प्रयास इसलिए हैं कि वेब मीडिया के संचारकों की क्षमता में बढ़ोतरी हो और वे सशक्त हों, ताकि इसका लाभ मीडिया के अन्य क्षेत्र के लोगों को भी मिले और समाज के विकास और सशक्‍तीकरण में भी नए मीडिया की भूमिका स्पष्ट हो सके।

मुख्य मुद्दे रहे : भारतीय भाषाओं के साथ गूगल का भेदभाव, वेबपत्रकारों को सरकारी मान्यता, आर्थिक प्रारूप कैसे विकसित हो, सहज विज्ञापन कैसे मिले आदि।  इन सब विषयों पर सरकार तक जाकर अपनी बात रखने की बात कही गई।  

इस तरह मीडिया चौपाल ने न्यू मीडिया को नई दिशा देने में सार्थक कदम बढ़ाया हैजो भविष्य में न्यू  मीडिया की दिशा एवं दशा तय करेगा। 

शनिवार, 7 सितंबर 2013

मंज़िल ...संध्या शर्मा


मैंने तुम्हे कभी नहीं लिखा
तुम खुद लिखते गए
शब्द - शब्द
बनते गए गीत
जन्मों की प्रीत का
अहसास जीत का
उत्साह जीने का
जिसने मुझे 
हौसला दिया
आगे बढ़ते जाना है
एक कसम जिसे
हमेशा निभाना है
रुकना नहीं
चलते जाना है
हारना नहीं है
जीत जाना है
मैंने तय किया है
इस गीत को
गुनगुनाना है

यकीं न हो तो तुम खुद सुन लेना ……