शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

पिता... संध्या शर्मा



माँ का गुणगान तो बहुत कर लिया
कभी पिता के बारे में भी सोचा है क्या?
ममता की छाँव में सुलाती माता
पर कठिनाइयों से उबारते पिता
माँ के पास आंसुओं की गागर
पिता का अर्थ संयम का सागर
जिस भोजन को दुलार से खिलाती माता
उसको भी वही जुटाता खटता पसीना बहाता पिता
देवकी-यशोदा की ममतामयी लगती है गाथा
टोकरी में कन्हैया को लाता वासुदेव नहीं याद आता
राम के लिए वियोग करती कौशल्या माता
पुत्र वियोग में प्राण त्यागते दशरथ से पिता
कष्ट उठाकर पुत्र को देते पॉकेट मनी
खुद पहनते है पैंट - शर्ट पुरानी
बेटी को देते ब्यूटी पार्लर और नयी गाड़ी
खुद बनाते बिना क्रीम के दाढ़ी
बड़े होकर बच्चे हो जाते खुद में मग्न
पिता को दीखता उनका विवाह और शिक्षण
रोजगार के लिए बेटे के कभी घिसते अपना जूता
कहीं बेटी के रिश्ते की खातिर सिर झुकाते पिता
बच्चों के लिए ही जीवन भर होती है जिनकी शुभकामना
उनको भी समझो और प्यार दो बस यही है मेरी भावना...
 

बुधवार, 16 नवंबर 2011

झरते पीले पात... संध्या शर्मा

अस्पष्ट सा बोलना उनका
हर वक़्त जल्दी में रहना उनका
जैसे सारे घर की चिंता सिर्फ उन्हें ही हो 
जब से रिटायर हुए हैं
बढ़ता ही जा रहा है यह सब
थोड़ी सी देर के लिए भी
किसी भी काम से घर से निकलना
तो सारे घर वालों को वापस आने की सूचना देना
आता हूँ बहू...
आता हूँ बेटा...
आता हूँ जल्दी से जाकर
नाती को स्कूल भेजने जाना हो बस स्टॉप पर
या पास के मंदिर ही क्यों न जाना हो
वही आवाज़ सुनाई पड़ती है कानो में
आता हूँ.....
पुरानी सी खटारा हो चुकी सायकल पर
अपनी कमज़ोर सी  टांगें डालते
कभी खांसते, कभी मुस्कुराते
कभी झुंझलाकर धीरे - धीरे बडबडाते
आदत सी हो गयी है इस आवाज़ की
सिर्फ मेरे ही नहीं
आस - पड़ोस के अनेक कानो को
घर वाले हों या बाहर वाले
नए पुराने
हर कानो को
और आज अचानक....?
पता लगा चले गए
बिना बताये ही किसी को भी
बहुत दूर
वह भी हमेशा- हमेशा के लिए
एक अनंत सफ़र पर
और जाते वक़्त खबर भी न लगने दी
इस कान से उस कान को भी....

    

मंगलवार, 1 नवंबर 2011

बंद मुट्ठी.... संध्या शर्मा

बंद मुट्ठी में लिए बैठा है,
सपने, अपने और
और पीपल की घनी छाँव
नहीं समझे ना...
समझ भी नहीं सकोगे कभी
तुम्ही तो छोड़ आये थे
बेच आये थे उसे
अपनी सोने सी धरती
मिट्टी के मोल
नहीं तोड़ सका
नाता जीवन भर का
ना ही उसे भुला पाया
इसलिए अपना सब कुछ
मुट्ठी में समेट लाया....!