गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

"NAYA SAAL"

"नया साल"
आम इंसान की जिंदगानी में भी,
करिश्मा क्यूँ नहीं होता,
साल आता है, हर साल,
पर नया नहीं होता..
वही चिंता है, रोटी की,
तड़प रोज़ी की,
ऱब इन पर भी मेहरबां क्यूँ नहीं होता...
दाल रोटी पर अब तक जो
गुज़र करता था
हाल ये है के वो भी 
अब नसीब नहीं होता....
साल नया तो अब दूर की बात रही,
रोज़ उठता तो है, मगर 
सवेरा तक नहीं होता......... 
आम इंसान की जिंदगानी में भी,
करिश्मा क्यूँ नहीं होता...............

मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

"KHOOBSOORTI"

"खूबसूरती "
खूबसूरती अब पर्दों में नहीं
बस पर्दों पर ही दिखती है
ताक़त अब रगों में नहीं 
केवल कागज पर दिखती है
मेकअप से चमकती सुन्दरता
पसीने में बह जाती है
मय का जोश घटते ही
जुबान खामोश हो जाती है
वहम के नशे में जहाँ ये सारा है
मगर ये इंसां तो दिखावे का मारा है
औरत प्यार, इज्जत को तरसती है
तो आदमी की नज़र ...............................
बनावट की दुनिया से नहीं हटती है ........ 

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

MAIN BHI AABHAR PRAKAT KARNA CHAHTI HUN "SANJAY BHASKARJI" KA JINHONE MUJHE IS BLOG JAGAT SE VA AAP SABHI SE MILAYA

मुझे  यह  बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हो रही है. आज बलाग जगत में  मेरे  समर्थको(Followers) की संख्या 2०० हो गई है  
मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ , मैं और मेरी कविताये  वाली लेखिका संध्या शर्मा  जी की  , जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने  की का  दोसौवांफोलोवर बनकर इस नाचीज़ को भी ब्लॉग जगत के विशिष्ठ ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया ।

इसी पर चंद लाइन पेश करता हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी 

    आनंदित है रोम रोम, पाकर प्यार आपका
थैंक्स, शुक्रिया, मेहरबानी, छोटे पड़ गए
कैसे करूँ प्रकट आभार आपका
नहीं उतरेगा कर्ज इस जन्म, मुझसे 
संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।
इसी पर एक छोटी सी कविता  पेश करता हूँ आपके सामने
शुक्रिया ऐ ब्लॉगस्पॉट
तेरा बहुत शुक्रिया
मेरे जीवन में एक तरंग लाए हो तुम
लगता खुशियां अपने संग लाए हो तुम
मुझे साथ खड़े हैं दो सौ दिमाग
चार  सौ आंखे, चार सौ हाथ
जारी है गिनती, मेरी बढ़ती खुशियों की
बढ़ाने को मेरा हौसला हर कदम पर
शुक्रिया ऐ ब्लॉगस्पॉट!
बनी रहेगी आदत........मुस्कुराने की मेरी
तेरे संग ऐ ब्लॉगस्पॉट
शुक्रिया,.बहुत शुक्रिया..

.......आमीन.......

साथ ही आप सभी पेश है मेरी दो सौंवी फ़ॉलोअर संध्या शर्मा जी की एक सुंदर कविता 

" KAVITA "

" कविता केवल कविता नहीं होती है,
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों  ने  घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"         


.........................संजय कुमार भास्कर 
प्रस्तुतकर्ता संजय भास्कर पर 12:18 PM  

धन्यवाद......... संजयजी


मैं भी आभार प्रकट करना चाहती हूँ , संजय भास्करजी का जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने  की का  दोसौवांफोलोवर बनाकर मुझको को भी ब्लॉग जगत के उन ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है, जिसकी  "KAVITA" को आप सभी ने इतना सराहा, मुझे आप सभी से मिलाया संजयजी ने....... 

 

शनिवार, 25 दिसंबर 2010

"EK AISI BHI GHADI AAYEGEE"

"एक ऐसी भी घडी आएगी"
"एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी...
न कोई रुत न बहारें होंगी,
चांदनी रात भी दिल जलाएगी,
अब न कोई भी रौशनी होगी,
दिए से बाती भी बिछड़ जाएगी,
 न कोई ख्वाहिश न तमन्ना होगी,
ना कोई याद ही सताएगी...

एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी"  



शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

"AAI BASANT BAHAAR"

"आई बसंत बहार"
पहन सुहानी धानी चूनर,
धरती ने किया श्रंगार,
सरसों पर छाई है मस्ती,
आई बसंत बहार...........
तितली फिरती फूल-फूल पर,
कलियों ने भी घूंघट खोला,
कोयल मीठे गीत सुनाती,
भौरों का मन भी है डोला,
कल-कल, कल-कल नदियाँ बहती,
झर-झर, झर-झर झरते झरने,
क्यारी-क्यारी लगी मुस्काने,
गेहूं जौ लगे लहराने,
चिड़िया चहकी, बुलबुल गाए,
भोर सुहानी सबको भाए,
ठंडी-ठंडी चली पुरवाई,
मौसम पर जवानी छाई,
वन उपवन को मिला नवजीवन,
पुलकित है मेरा भी मन........
रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,
मिलकर सब गाते मल्हार,
आई बसंत बहार...
आई बसंत बहार.........


  

गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

"SARDI KI DHOOP"

"सर्दी की धूप"
दूर गगन से आई धूप
आसमान पर छाई धूप
सूरज के आँचल से उड़कर
धरती पर इतराई धूप
हटा घने कोहरे की चादर
चारों  ओर जगमगाई धूप 
आग उगलती गर्मी में ये
सर्दी में मुस्काई धूप
घिर आई जब काली बदली
हौले से शरमाई धूप
सूरज से सबने जोड़ा नाता
ऋतु सुहानी लाई धूप
दूर गगन से आई धूप ............ 

मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

"MERI MAA"

"मेरी माँ"
साल साल बीतते बीतते
बीत गए दस साल
तुम साथ थी...
ऐसा लगता है ,
कल की ही बात थी,
कैसे भूलूंगी तुमको
मैं तो तुम्हारी परछाई हूँ
दुःख में ख़ुशी में 
ख़ामोशी में, तन्हाई में
हर पल तुम्हे साथ पाती हूँ
और 
चलती हूँ चुपचाप ....
तुम्हारी दिखाई राह पर 
कल तुम्हारी बेटी भी 
कुछ ऐसा कर जाए
दुनिया भी मुझमे
तुम्हारी ही झलक पाए...........  







सोमवार, 20 दिसंबर 2010

"KHWAAB" ख़्वाब

ख़्वाब ...
बंद पलकों में,
सजते हैं,
मुस्कुराते हैं....
खुली आँखें तो,
टूटते हैं,
बिखर जाते हैं......  

रविवार, 19 दिसंबर 2010

"DURGHATNA"

आज सुबह जैसे ही अखबार पर नज़र गई,
समाचार पढ़कर ही रूह कांप गई,
लिखा था .....
दुर्घटनाग्रस्त युवक तीन घंटे तक राह में पड़ा रहा, 
पुलिस व जनता सिर्फ देखती रही,
"क्या हो गया है, इंसानियत को,
कहाँ खो गई है मानवता,
गर वक़्त पर ईलाज हो  जाता,
तो शायद वह बच जाता,
भगवान न करे कहीं ऐसा होता,
वो तुम्हारा कोई अपना होता ........... "

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

INTZAAR CHHANV KA

इंतज़ार छाँव का 
बोया था एक नन्हा सा बीज, 
इस छोटे से आँगन में,
सींचा था सहलाया था, 
उसे तेज धूप से बचाया था,
फूटी उसमे नन्ही - नन्ही पाती, 
उसकी एक पत्त्ती भी कुम्हलाती,
तो जैसे जान ही निकल जाती,
सोचा था बड़ा होकर फल देगा,
सुकून भरी ठंडी छाँव देगा......
अब जब वो  बड़ा हो गया है,
छोड़कर मेरे आँगन को ,
चला गया दुसरे के आँगन में,
उन्हें फल भी देता है, छाँव भी,
और मै............
अभी भी वहीँ खड़ा हूँ,
वही तपन है अब भी आँगन में,
सोचता हूँ ...................
लगा लूँ फिर से नया पौधा ???
पर क्या वो भी होकर बड़ा,
सहारा देगा मुझे फल, और छाँव का,
क्या ?? कर पाऊँगा इंतजार मैं,
उसके फल और छाँव का ...................................... 


   

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

" KAVITA "

" कविता केवल कविता नहीं होती है,
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों  ने  घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"          

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

"UN DINO"


उन दिनों .....
मेरा देश
एक चिड़िया था सोने की...
और आज .....
न तो सोना रहा ,
और न ही चिड़िया....
खोजती हूँ , खोजती रहती हूँ....
कहाँ है वो मेरा,
प्यारा सा देश ?????????????

सोमवार, 13 दिसंबर 2010

"NAYA SAAL MUBARAK HO"

Sisakte kissan ko,
Ujadte jahan ko,
Do joon roti ko,
Taraste insaan ko,
Dhuyen ke jaal me,
Fanse huye yauvan ko,
Manhgai ke maare huye,
Har ek jeevan ko...............
NAYA SAAL MUBARAK HO...........
........................................... x......................................

Dukh bhare ateet ko,
Vartmaan ke prayaas ko,
Khushiyaon ke bhavishya ko,
Nanhe se bachpan ko,
Sundar se yauvan ko,
Komal se sparsh ko,
Pavon ki payal ko,
Mamta ke aanchal ko,
Harek ghar ke aangan ko,
Mandir ke chandan ko,
Shadi ke bandhan ko,
Pavitrta ke darpan ko,
Vyaktitva ke aakarshan ko.............
NAYA SAAL MUBARAK HO........................