गुरुवार, 25 नवंबर 2010

Meri taraf se sabhi ko DHANYAWAD (ON 25 NOV. THANKS GIVING DAY)

मेरी ओर से सबसे पहले मेरी माँ को धन्यवाद् , फिर उस ईश्वर को जिसने मुझे ऐसी माँ दी,
वैसे तो इन दोनों को ही ऋण कितने भी धन्यवाद् से कभी चुकाया नहीं जा सकता, पर शायद मेरे मन
की शांति के लिए ही सही. इसके बाद उन सभी को धन्यवाद् जिन्होंने मेरा हरकदम पर साथ दिया, और हाँ उनका
भी जिन्होंने मेरा साथ नहीं दिया क्यूंकि जीवन का सफ़र बहुत लम्बा है ,आज नहीं तो कल सही वो भी मेरे साथ होंगे,
इसी उम्मीद के साथ ..............
फिर से एक बार सभी को धन्यवाद .................
संध्या

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

"ASTITVA"

"NANHI SI BOOND OS KI,
CHINTIT HAI APNE ASTITVA KE LIYE"
KAHIN AISA NA HO.....
KHO JAOON IS DHOOL ME,
YA FIR...........
GUM HO JAOON SAGAR KI GAHRAIYON ME KAHIN,
YA FIR.....
UD JAOON DHUYE KI TARAH,
IS DHARTI KI TAPAN SE,

DARTI RAHI, LADTI RAHI,
KHUD APNE HI ASTITVA KE LIYE,

AUR FIR......
DE GAI US CHATAK KE JEEVAN KO EK NAYA ASTITVA,
USKI PYAS ME SAMAKAR,
JO CHINTIT THI APNE HI ASTITVA KE LIYE.