अस्पष्ट सा बोलना उनका
हर वक़्त जल्दी में रहना उनका
जैसे सारे घर की चिंता सिर्फ उन्हें ही हो
जब से रिटायर हुए हैं
बढ़ता ही जा रहा है यह सब
थोड़ी सी देर के लिए भी
किसी भी काम से घर से निकलना
तो सारे घर वालों को वापस आने की सूचना देना
आता हूँ बहू...
आता हूँ बेटा...
आता हूँ जल्दी से जाकर
नाती को स्कूल भेजने जाना हो बस स्टॉप पर
या पास के मंदिर ही क्यों न जाना हो
वही आवाज़ सुनाई पड़ती है कानो में
आता हूँ.....
पुरानी सी खटारा हो चुकी सायकल पर
अपनी कमज़ोर सी टांगें डालते
कभी खांसते, कभी मुस्कुराते
कभी झुंझलाकर धीरे - धीरे बडबडाते
आदत सी हो गयी है इस आवाज़ की
सिर्फ मेरे ही नहीं
आस - पड़ोस के अनेक कानो को
घर वाले हों या बाहर वाले
नए पुराने
हर कानो को
और आज अचानक....?
पता लगा चले गए
बिना बताये ही किसी को भी
बहुत दूर
वह भी हमेशा- हमेशा के लिए
एक अनंत सफ़र पर
और जाते वक़्त खबर भी न लगने दी
इस कान से उस कान को भी....
हर वक़्त जल्दी में रहना उनका
जैसे सारे घर की चिंता सिर्फ उन्हें ही हो
जब से रिटायर हुए हैं
बढ़ता ही जा रहा है यह सब
थोड़ी सी देर के लिए भी
किसी भी काम से घर से निकलना
तो सारे घर वालों को वापस आने की सूचना देना
आता हूँ बहू...
आता हूँ बेटा...
आता हूँ जल्दी से जाकर
नाती को स्कूल भेजने जाना हो बस स्टॉप पर
या पास के मंदिर ही क्यों न जाना हो
वही आवाज़ सुनाई पड़ती है कानो में
आता हूँ.....
पुरानी सी खटारा हो चुकी सायकल पर
अपनी कमज़ोर सी टांगें डालते
कभी खांसते, कभी मुस्कुराते
कभी झुंझलाकर धीरे - धीरे बडबडाते
आदत सी हो गयी है इस आवाज़ की
सिर्फ मेरे ही नहीं
आस - पड़ोस के अनेक कानो को
घर वाले हों या बाहर वाले
नए पुराने
हर कानो को
और आज अचानक....?
पता लगा चले गए
बिना बताये ही किसी को भी
बहुत दूर
वह भी हमेशा- हमेशा के लिए
एक अनंत सफ़र पर
और जाते वक़्त खबर भी न लगने दी
इस कान से उस कान को भी....
झरते पीले पात... आह!
जवाब देंहटाएंआत्मिक विवरण आँखें नम कर गया!
बहुत सुंदर,
जवाब देंहटाएंआपको पढना वाकई सुखद है।
शुभकामनाएं
बिना बताये ही किसी को भी
जवाब देंहटाएंबहुत दूर
वह भी हमेशा- हमेशा के लिए
एक अनंत सफ़र पर
और जाते वक़्त खबर भी न लगने दी
इस कान से उस कान को भी....
शायद तब समय भी नहीं रहता यह सब बताने का .....और व्यक्ति निश्चित होता होगा अपने जीवन सफ़र के पूरा होने के कारण....जीवन की वास्तविकता को परिभाषित करती आपकी यह रचना विचारणीय है ....!
क्या दुर्लभ संयोग है मैंने अभी ही आपकी रचना सी चरित्र को महायात्रा पर जाते देखा जो मेरे घर के सामने रहा करते थे .अभी तक उन्ही में खोयी हूँ...
जवाब देंहटाएंचलता क्रम टूट जाए तो एक अजीब सा सन्नाटा छा जाता है....
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी ये पोस्ट........जाना तो सभी को है एक दिन |
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक चित्रण ..
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 16-- 11 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज ...संभावनाओं के बीज
बिल्कुल सच कहा ...भावमय करती शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंउफ़ ……………बेहद संवेदनशील मगर यथार्थ को दर्शाती एक शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
जीवन का सत्य व्यक्त करती मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंनीरज
एक मार्मिक रचना... जानेवाले यूं ही बिना बताए चले जाते हैं और भनक भी नहीं लगने देते.... और हमेशा के लिए एक टीस दे जाते हैं
जवाब देंहटाएंjeevan ka antim satya ka bahut sundar chitran kiya hai.
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन है...
जवाब देंहटाएंयूं तो बरसों का सोचते हैं और पल भर की खबर भी नहीं रहती।
सुंदर.... भावभरी रचना।
भावमय करती एक मार्मिक रचना..
जवाब देंहटाएंaata hun kah kar jana shayad swayam ko aashwast karna tha ki sab mera intzar karte hain.
जवाब देंहटाएंsunder, samvedansheel rachna.
बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना ...हृदयस्पर्शी
जवाब देंहटाएंsanvedanaon ko samete.... marmik rachana...
जवाब देंहटाएंkahne ko hi jannat hai
जवाब देंहटाएंjahannum hai, jami hai..
haqiqtan aadmi,
aadmi hai
बड़बड़ाना छोड़ दो
जी अमृताजी आपकी ही तरह इस चरित्र को मैंने भी देखा है.जीवन की वास्तविकता है यह...
जवाब देंहटाएंओह! मार्मिक अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंसादर
मार्मिक रचना,जीवन का सत्य व्यक्त करती
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक,हृदयस्पर्शी प्रस्तुति है आपकी,संध्या जी.
जवाब देंहटाएंवृद्धावस्था का करुण चित्रण व
मृत्यु की निर्ममता को अभिव्यक्त करती.
जीवन की रीत को मार्मिक शब्दों में बाँधा है आपने ...
जवाब देंहटाएंबुजुर्गों की कमी तो हमेशा खलती है ...
अत्यंत मार्मिक रचना संध्या जी ! हर व्यक्ति की जीवनगाथा को सहज सरल शब्दों में कितनी सशक्त अभिव्यक्ति दी है ! अद्भुत रचना ! शुभकामनायें स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आना बहुत बढ़िया लगा ! मेरे पोस्ट पर आपका निमंत्रण है । बेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक कविता।
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली मार्मिक रचना सुंदर पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट में आमंत्रण है,...
मार्मिक कविता
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना ....
जवाब देंहटाएंभाव, मन को आंदोलित कर गए..
बूढी होती गात
जवाब देंहटाएंझरते पीले पात
यही सांची बात
बेहद ख़ूबसूरत और मर्मस्पर्शी रचना! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
अरे बहुत दर्द भरी... आंसू झलक आए ...
जवाब देंहटाएंपुरानी सी खटारा हो चुकी सायकल पर
जवाब देंहटाएंअपनी कमज़ोर सी टांगें डालते
कभी खांसते, कभी मुस्कुराते
गहन शब्द जाल में जिस सार्थकता से उकरा है वह इस कविता की सुंदरता को और बढाती है!!
बेहद भावपूर्ण रचना ....दिल को छू गई !
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट देखें !
बहुत मार्मिक और भावपूर्ण प्रस्तुति...आँखें नम कर गयी...
जवाब देंहटाएंhttp://batenkuchhdilkee.blogspot.com/2011/11/blog-post.html