मन मेरा कह रहा है
एक जीवन चदरिया बुनूं
बुन सकूंगी क्या इसे??
जितना सोचा था आसान
उतना ही कठिन लग रहा है
कैसे डालूं ताना-बाना
एक - दो कि सारे धागे लूँ
बिना गांठ के धागे चुन लूँ
कितना सोचना पड़ रहा है
किसे रखूं किसे छोडूं
सारे ही इकठ्ठे कर लिए हैं
पहला धागा वात्सल्य का....
एक जीवन चदरिया बुनूं
बुन सकूंगी क्या इसे??
जितना सोचा था आसान
उतना ही कठिन लग रहा है
कैसे डालूं ताना-बाना
एक - दो कि सारे धागे लूँ
बिना गांठ के धागे चुन लूँ
कितना सोचना पड़ रहा है
किसे रखूं किसे छोडूं
सारे ही इकठ्ठे कर लिए हैं
पहला धागा वात्सल्य का....
बड़ा ही कोमल सा है तार
यह सोच के रख लिया है
कोमलता रहेगी बरक़रार
एक तार मैत्री का बुन लिया
ताना-बाना लेने लगा आकार
लेकिन बुनाई अब भी शेष है
आशा , सुख और आनंद के
तार भी सुनहरे मिला दिए
अब चदरिया घनी हो रही है
फिर भी कुछ कमी सी है
एक तार प्रेम का जोड़ लिया
सुन्दर बहुत है नाज़ुक सा
चदरिया को नया बाना मिला
यश, कीर्ति और अस्तित्व ने
इसे एक सुन्दर उद्देश्य दिया
सभी बड़े सुन्दर प्रसन्न
फिर भी मन था खिन्न
कुछ तार चुपचाप पड़े थे
सोचा इनमे से भी कुछ चुनुं
इन्हें भी चदरिया में बुनूं
एक तार निराशा, अपयश का
पराजय, दुख का एक -एक तार,
इन चारो को एक साथ बुनते ही
चदरिया ने पाया अपना रूप
दुःख बिना कैसा सुख है
आशा बिना निराशा कैसी
अपयश बिना यश कैसा
हार बिना जीत है कैसी
सबकी अपनी अपनी ठांव
ज्यूँ चन्दन वन का गाँव
पूरी हुई ये जीवन चदरिया
ज्यूँ जेठ की धूप संग
छाई आसाढ़ बदरिया ......
यह सोच के रख लिया है
कोमलता रहेगी बरक़रार
एक तार मैत्री का बुन लिया
ताना-बाना लेने लगा आकार
लेकिन बुनाई अब भी शेष है
आशा , सुख और आनंद के
तार भी सुनहरे मिला दिए
अब चदरिया घनी हो रही है
फिर भी कुछ कमी सी है
एक तार प्रेम का जोड़ लिया
सुन्दर बहुत है नाज़ुक सा
चदरिया को नया बाना मिला
यश, कीर्ति और अस्तित्व ने
इसे एक सुन्दर उद्देश्य दिया
सभी बड़े सुन्दर प्रसन्न
फिर भी मन था खिन्न
कुछ तार चुपचाप पड़े थे
सोचा इनमे से भी कुछ चुनुं
इन्हें भी चदरिया में बुनूं
एक तार निराशा, अपयश का
पराजय, दुख का एक -एक तार,
इन चारो को एक साथ बुनते ही
चदरिया ने पाया अपना रूप
दुःख बिना कैसा सुख है
आशा बिना निराशा कैसी
अपयश बिना यश कैसा
हार बिना जीत है कैसी
सबकी अपनी अपनी ठांव
ज्यूँ चन्दन वन का गाँव
पूरी हुई ये जीवन चदरिया
ज्यूँ जेठ की धूप संग
छाई आसाढ़ बदरिया ......
सुख-दुःख जो एक सा भांपे , सही में जीवन चदरिया नापे..
जवाब देंहटाएंपूरी हुई ये जीवन चदरिया
जवाब देंहटाएंज्यूँ जेठ की धूप संग
छाई आसाढ़ बदरिया ......
बहुत सुंदर रचना ..
बधाई !!
संध्या जी ...क्या सभी धागे एक साथ बुने जा सकते है ?
जवाब देंहटाएंअनु जी,
हटाएंसुख, दुःख, धूप-छाँव, हर रंग के तारों का तान-बाना ही तो है ये जीवन. इन सबके बिना कैसे पूरी हो सकती है ये जीवन चदरिया. सब एक साथ बुने हैं, और सबका अपना महत्व है...
दैनिक जीवन में होने वाली छोटी-2 बातों को ध्यान में रख कर रची गई उम्दा रचना दी बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंक्या बात........बहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वंदना जी
जवाब देंहटाएंसुख दुःख तो जीवन का अभिन्न साथी है,दुख के बगैर सुख महसूस नही होता,,
जवाब देंहटाएंrecent post: वजूद,
बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
एक तार मैत्री का बुन लिया
जवाब देंहटाएंताना-बाना लेने लगा आकार
लेकिन बुनाई अब भी शेष है
आशा , सुख और आनंद के
तार भी सुनहरे मिला दिए
अब चदरिया घनी हो रही है
फिर भी कुछ कमी सी है
एक तार प्रेम का जोड़ लिया
सुन्दर बहुत है नाज़ुक सा
चदरिया को नया बाना मिला
यश, कीर्ति और अस्तित्व ने
इसे एक सुन्दर उद्देश्य दिया
जीवन को नया आयाम देती सोच.लिए रचना .
इनही तानो बानो से ही जीवन चदरिया खूबसूरत बनती है .....सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजीवन चदरिया में सारे ही ताने बाने होते हैं .... बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदुःख बिना कैसा सुख है
जवाब देंहटाएंआशा बिना निराशा कैसी
अपयश बिना यश कैसा
हार बिना जीत है कैसी
सचमुच जीवन का ताना-बना द्वंद्वों से ही बुना गया है..सुंदर रचना !
खूबसूरत अभिव्यक्ति , यूं ही लिखती रहे बधाई
जवाब देंहटाएंआज से मै आपका नया प्रशंशक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लेखनी है आपकी। साथ ही ब्लॊग को बेहतर से बेहतर बनाने पर भी ध्यान दें।ताकि आपकी लेखनी के साथ साथ इसे चार चाँद लग जाएँ।
बहुत ही सुन्दर रचना संध्या जी ! जीवन में हर रस का अपना महत्वपूर्ण स्थान है ! कितनी सहजता से समझा दिया आपने ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंजीवन रुपी चदरिया का सूक्ष्म विश्लेषण. सुंदर रचना.
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