क्या बताओगे
आने वाली पीढ़ी को
कि
सिर्फ दिमाग लेकर ही
पैदा हुआ था
आज का इंसान
दिल नहीं था
इसके पास
निज स्वार्थ के आगे
मानवता भी भूला
द्वंद्व है मन के अंदर
सच कहूं तो
अपनी हालत पर
दया से ज्यादा
गुस्सा आता है
जो आज
अपने आप से ही
मुंह छुपाता
फिर रहा हो
जो खुद को
निरन्तर छल रहा हो
जिसके पास
आज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा....
आने वाली पीढ़ी को
कि
सिर्फ दिमाग लेकर ही
पैदा हुआ था
आज का इंसान
दिल नहीं था
इसके पास
निज स्वार्थ के आगे
मानवता भी भूला
द्वंद्व है मन के अंदर
सच कहूं तो
अपनी हालत पर
दया से ज्यादा
गुस्सा आता है
जो आज
अपने आप से ही
मुंह छुपाता
फिर रहा हो
जो खुद को
निरन्तर छल रहा हो
जिसके पास
आज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा....
जो खुद को
जवाब देंहटाएंनिरन्तर छल रहा हो
जिसके पास
आज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा....
...बहुत सटीक प्रश्न...बहुत सुन्दर..
लाजवाब
जवाब देंहटाएंसही प्रश्न।
जवाब देंहटाएंएकदम सही बात
जवाब देंहटाएंअंत:करण की चीख को दबाते हैं ..
जवाब देंहटाएंक्या जबाब देंगे ऐसे लोग ??
सही प्रश्न उठाये है आपने
जवाब देंहटाएंआज को जवाब नहीं दे सकते तो कल
को क्या जवाब देंगे..
हमें रुक कर सोचना ही होगा..
जवाब देंहटाएंआज के लिए जवाब न हो
जवाब देंहटाएंकल को क्या जवाब दे पायेगा....सटीक प्रश्न,,,
recent post : समाधान समस्याओं का,
जो आज
जवाब देंहटाएंअपने आप से ही
मुंह छुपाता
फिर रहा हो
जो खुद को
निरन्तर छल रहा हो
जिसके पास
आज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा....
सच कहा आपने
वाकई.....
जवाब देंहटाएंअसहाय और निरुत्तर हैं....
सशक्त अभिव्यक्ति.
सस्नेह
अनु
कोई जवाब नहीं है .... सशक्त लेखन
जवाब देंहटाएंसंध्या दी सत्य कि ऐसी घटना घटित हुई है जिसने भीतर तक झकझोर दिया है, आपने जो आक्रोश व्यक्त किया है वो लाजमी है.
जवाब देंहटाएंजो खुद को
निरन्तर छल रहा हो
जिसके पास
आज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा....
बहुत संवेदनशील ह्रदय को झकझोर देनेवाली कविता .
जवाब देंहटाएंजिसके पास
जवाब देंहटाएंआज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा....
बिलकुल सच...और चिंताजनक...
हर चीज़ को दिमाग से देखने की आदत ... प्रेक्टिकल होने की आदत ... सच है दिल की कमी होती जारही है आज सब जगह ...
जवाब देंहटाएंफिर भी एक उम्मीद की किरण कायम है ..
जवाब देंहटाएंक्या बता सकोगे आपने आगत से अपना हर सच
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही प्रश्न उठाया आपने।
जवाब देंहटाएंसादर
ek sarthak Kavita ....
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/
वाह ......बहुत ही ज़बरदस्त।
जवाब देंहटाएंयकीनन बौद्धिकता की बाढ़ में भावनाएं तो मरी हुई ही लगती है..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।।।
सार्थक रचना ..
जवाब देंहटाएंbahut hi prabhavshali prastui ...abhar.
जवाब देंहटाएंसुदृढ़ ...सार्थक अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएं"जिसके पास
जवाब देंहटाएंआज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा...."
बहुत सुन्दर .
संध्या जी आपकी इस रचना को कविता मंच पर साँझ किया
जवाब देंहटाएंगया है
संजय भास्कर
कविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.in