गीत नया क्या गाऊं साथी
छेड़ूँ क्या वीणा पर तान
क्रंदन उर की हर धडकन में
पीड़ा होती प्रबल महान
छेड़ूँ क्या वीणा पर तान
क्रंदन उर की हर धडकन में
पीड़ा होती प्रबल महान
छूटी लय,ताल बिखरी है
बिसरा सकल सुरों का भान
मेरे मन के राग राग से
कैसे हो अबतक अनजान
उपमाएं तुम ही मेरी हो
तुम ही मेरे हो उपमान
तुम बिन कैसे मैं पर खोलूं
तुम बिन कैसे भरूं उड़ान
मेरे मन के राग राग से
कैसे हो अबतक अनजान
उपमाएं तुम ही मेरी हो
तुम ही मेरे हो उपमान
तुम बिन कैसे मैं पर खोलूं
तुम बिन कैसे भरूं उड़ान
तुम उषा की स्वर्णिम आभा
तुम बिन मैं दिवस की सांझ
बेकल मन क्यों तुमको चाहे
क्यों तुममे बसते हैं प्राण
हिरण्यगर्भ सुरभित सुमन
निसदिन संचित नेह सुजान
सुर ताल लय मृदंग किंकणी
तेरी बाट तके है नित मान
बहुत सुंदर, एक लाइन याद आ रही है
जवाब देंहटाएंकिसको अपने गीत सुनाऊं
जग सारा बहरा लगता है.
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंकिंकिणी
उपमाएं तुम ही मेरी हो
जवाब देंहटाएंतुम ही मेरे हो उपमान
तुम बिन कैसे मैं पर खोलूं
तुम बिन कैसे भरूं उड़ान,,,
वाह,,बहुत ही सुंदर भाव ,,,,
recent post : नववर्ष की बधाई
बहुत खुबसूरत शब्दो मे मनोभाव को उजागर किया है..सुंदर भाव ,,,,
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव...
जवाब देंहटाएंवाह !लय और ताल मन को लुभा रही है..
जवाब देंहटाएंउपमाएं तुम ही मेरी हो
जवाब देंहटाएंतुम ही मेरे हो उपमान
तुम बिन कैसे मैं पर खोलूं
तुम बिन कैसे भरूं उड़ान
beautiful lines with greaceful emotions and feelings
बहुत प्यारी रचना....
जवाब देंहटाएंसुन्दर!!!
सस्नेह
अनु
वाह ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !!
आपकी कविता मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गई। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत बहुत सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंआदरणीया दीदी मन के भीतर उठ रहे सवालों को कविता के रूप में सुन्दरता से सभी के समक्ष उतारा है संवेदनशील प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंमन में उठते भावों को सुन्दर सार्थक शब्द दिए हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ..
sundar bhaw bhari hui rachna..
जवाब देंहटाएंसुंदर, भावपुर्ण।।।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत भावपूर्ण रचना..शब्दों और भावों का अद्भुत संयोजन...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें..
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