जीने की चाहत ना मरने की फुर्सत,
गुजरेगी कैसे ज़िन्दगानी हमारी.
गुजरेगी कैसे ज़िन्दगानी हमारी.
अदावत किसी से ना कोई गिला,
है बस यही एक खासियत हमारी.
भला न किया तो बुरा भी ना करना,
सिखाती है हमको तरबियत हमारी.
बहुत फर्क है फिर भी है एक जैसी,
ना पूछो हमीं से वल्दियत हमारी.
मेरे पास ए ज़िंदगी अपना क्या है,
एक सांस थी अब रही ना हमारी.
शिद्दतों सहेजे हैं ग़म हमने अपने,
हमीं जानते हैं असलियत हमारी.
है बस यही एक खासियत हमारी.
भला न किया तो बुरा भी ना करना,
सिखाती है हमको तरबियत हमारी.
बहुत फर्क है फिर भी है एक जैसी,
ना पूछो हमीं से वल्दियत हमारी.
मेरे पास ए ज़िंदगी अपना क्या है,
एक सांस थी अब रही ना हमारी.
शिद्दतों सहेजे हैं ग़म हमने अपने,
हमीं जानते हैं असलियत हमारी.
हम क्या करेंगे हसरत किसी की,
हम को तो दरकार नहीं खुद हमारी.
हम को तो दरकार नहीं खुद हमारी.
मेरे पास ए ज़िंदगी अपना क्या है,
जवाब देंहटाएंएक सांस थी अब रही ना हमारी.,,,,
संध्या जी,,,,खूबशूरत भाव लिए अच्छी पंक्तियाँ,,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
मेरे पास ए ज़िंदगी अपना क्या है,
जवाब देंहटाएंएक सांस थी अब रही ना हमारी.
खूबशूरत भाव
अदावत किसी से ना कोई गिला,
जवाब देंहटाएंहै बस यही एक खासियत हमारी.
आपका ये अंदाज़ बड़ी देर से देखने को मिला
अदावत किसी से ना कोई गिला,
जवाब देंहटाएंहै बस यही एक खासियत हमारी.
यही खासियत हमें सुखी बनाती है...
बहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
खुद को खुद की दरकार नहीं......
जवाब देंहटाएंवाह!!
बहुत बढ़िया गज़ल संध्या जी
सस्नेह
अनु
क्या खूब लिखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंहम क्या करेंगे हसरत किसी की,
हम को तो दरकार नहीं खुद हमारी.
हम क्या करेंगे हसरत किसी की,
जवाब देंहटाएंहम को तो दरकार नहीं खुद हमारी... बहुत खूब
हम क्या करेंगे हसरत किसी की,
जवाब देंहटाएंहम को तो दरकार नहीं खुद हमारी
fantastic lines.. thanks
शिद्दतों सहेजे हैं गम हमने अपने, हमीं जानते हैं असलियत हमारी। कितना कुछ बीत जाता है हमारे ऊपर, कुछ नहीं कहते क्या सोचेंगे वो अपने लोग उनकी तो रूह काँप जाएगी, इन दो पंक्तियों में हर आदमी के जीवन के भीतर के महाभारत का सार है।
जवाब देंहटाएंभला न किया तो बुरा भी ना करना,
जवाब देंहटाएंसिखाती है हमको तरबियत हमारी.
खूब कहा ...
साधूभाव, साक्षी भाव युक्त प्रवाहमयी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
भला न किया तो बुरा भी ना करना,
जवाब देंहटाएंसिखाती है हमको तरबियत हमारी....वाह: बहुत सुन्दर पंक्तियाँ..
शिद्दतों सहेजे हैं ग़म हमने अपने,
जवाब देंहटाएंहमीं जानते हैं असलियत हमारी.
बहुत सुंदर, क्या कहने
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत ही खुबसूरत है पोस्ट।
जवाब देंहटाएंहम क्या करेंगे हसरत किसी की,
जवाब देंहटाएंहम को तो दरकार नहीं खुद हमारी...
वाह ... बहुत खूब
वाह ! वाह ! हर शेर दिल से निकला हुआ..ऐसा ही है यह जीवन...खाली खाली सा..
जवाब देंहटाएंअदावत किसी से ना कोई गिला,
जवाब देंहटाएंहै बस यही एक खासियत हमारी
बधाई अच्छी रचना के लिए !
शिद्दतों सहेजे हैं ग़म हमने अपने,
जवाब देंहटाएंहमीं जानते हैं असलियत हमारी.
बेहतरीन प्रस्तुति !
आभार !
शिद्दतों सहेजे हैं ग़म हमने अपने,
जवाब देंहटाएंहमीं जानते हैं असलियत हमारी.
बेहतरीन रचना के लिए बधाई.
.. मन को छूती हुई ...कविता बढ़िया बनी है.
जवाब देंहटाएंमेरे पास ए ज़िंदगी अपना क्या है,
जवाब देंहटाएंएक सांस थी अब रही ना हमारी.
...बहुत खूब!...ख़ूबसूरत प्रस्तुति..
अदावत किसी से ना कोई गिला,
जवाब देंहटाएंहै बस यही एक खासियत हमारी
वाह बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ........
अदावत किसी से ना कोई गिला,
जवाब देंहटाएंहै बस यही एक खासियत हमारी
वाह बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ........
अदावत किसी से ना कोई गिला,
जवाब देंहटाएंहै बस यही एक खासियत हमारी.
kya bat hai....
बहुत खूब..
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