जन्म से पूर्व
माँ के गर्भ से
आदत बन गया
दायरे के भीतर जीना
जीते रहे इसी दायरे में
साथ-साथ जीते-जीते
हिस्सा बन गया जीवन का
जन्म के बाद भी
मुक्त ना हो सके
कई बार सोचा
मुक्त हो जाऊं
खुलकर सांस लूँ
स्वयं की मालिक खुद बनूँ
क्यों न तोड़ दूँ इसे
इससे बाहर निकलूं
जीकर देखूं कुछ पल
लेकिन ऐसा हो ना सका
भला एक इन्सान की
इन पक्षियों के साथ
कैसी बराबरी
स्वीकार है मुझे यह संग
जीवन के तमाम रंग
यहाँ कभी कुछ मिलता है
कुछ नहीं भी मिलता है
बस दुःख इस बात का है
धरती का प्रेम मिला
पर खुला आसमान नहीं ...
माँ के गर्भ से
आदत बन गया
दायरे के भीतर जीना
जीते रहे इसी दायरे में
साथ-साथ जीते-जीते
हिस्सा बन गया जीवन का
जन्म के बाद भी
मुक्त ना हो सके
कई बार सोचा
मुक्त हो जाऊं
खुलकर सांस लूँ
स्वयं की मालिक खुद बनूँ
क्यों न तोड़ दूँ इसे
इससे बाहर निकलूं
जीकर देखूं कुछ पल
लेकिन ऐसा हो ना सका
भला एक इन्सान की
इन पक्षियों के साथ
कैसी बराबरी
स्वीकार है मुझे यह संग
जीवन के तमाम रंग
यहाँ कभी कुछ मिलता है
कुछ नहीं भी मिलता है
बस दुःख इस बात का है
धरती का प्रेम मिला
पर खुला आसमान नहीं ...
बेहतरीन कविता
जवाब देंहटाएंसादर
Apki Kavita acchi lagi ..
जवाब देंहटाएंkash ham sab apne dayron se bahar nikal pate ..
दायरे हैं मर्यादाओं के, मर्यादाएं ही मनुष्य जीवन की परिखा है। जिसके भीतर ही समाज है। उन्मुक्त विहंगात्मक विचरण करने मन जाता है। तन इसी दायरे में बंधा रहता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंबंधन का अलग सुख है ..
धरती का प्रेम तो मिल जाता है ..
खुला आसमान भटकाव भी तो देता है !!
बस दुःख इस बात का है
जवाब देंहटाएंधरती का प्रेम मिला
पर खुला आसमान नहीं ...
भाव पूर्ण रचना,,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
यहाँ कभी कुछ मिलता है
जवाब देंहटाएंकुछ नहीं भी मिलता है
बस दुःख इस बात का है
धरती का प्रेम मिला
पर खुला आसमान नहीं ..
....अच्छी कविता है। जीवन सचमुच ही,स्वयं में कुछ नहीं है..... सराहनीय प्रस्तुति!
.... गहरी एवं अर्थपूर्ण रचना संध्या जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दायरे में रहना इतना नहीं भाता
जवाब देंहटाएंथोड़ा खुला आसमान तो चाहिए..
बहुत बेहतरीन रचना...
:-)
स्वीकार है मुझे यह संग
जवाब देंहटाएंजीवन के तमाम रंग
यहाँ कभी कुछ मिलता है
कुछ नहीं भी मिलता है
बस दुःख इस बात का है
धरती का प्रेम मिला
पर खुला आसमान नहीं ...
jiwan se judi jiwant lines
@संजय भास्कर
जवाब देंहटाएंगहन अर्थ बताओ 10 मे 10 नम्बर मिलेगें
अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंदायरे में भी उन्मुक्त रहा जा सकता है ...सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंखुला आसमान मन में ही है जब चाहो भर लो उड़ान आपकी सुन्दर काव्य-कृति दबी इच्छाओं को हवा दे गयी . बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंमाँ के गर्भ से मिली सीख ... पूरी ज़िन्दगी को शक्ल देती है
जवाब देंहटाएंजन्म से पूर्व
जवाब देंहटाएंमाँ के गर्भ से
आदत बन गया
दायरे के भीतर जीना
बहुत ही गहन भाव लिये अनुपम प्रस्तुति।
यहाँ कभी कुछ मिलता है
जवाब देंहटाएंकुछ नहीं भी मिलता है
बस दुःख इस बात का है
धरती का प्रेम मिला
पर खुला आसमान नहीं ...
....बहुत गहन और संवेदनशील प्रस्तुति...
धरती का प्रेम मिला पर खुला आसमान नहीं..
जवाब देंहटाएं..नारी के संदर्भ में यह कटु सत्य है। सीता को भी धरती माँ ने ही अपनी गोद में समाया था। आसमान तो परीक्षा लेना जानता है राम की तरह।
..बढ़िया कविता।
यहाँ कभी कुछ मिलता है
जवाब देंहटाएंकुछ नहीं भी मिलता है
बस दुःख इस बात का है
धरती का प्रेम मिला
पर खुला आसमान नहीं
जिंदगी को नई तरह से परिभाषित किया है आपने।
अति सुंदर।
gehre ehsason ko, dard ko sashakt shabdo me dhaal diya.
जवाब देंहटाएंjabardast.
अति सुन्दर और भावपूर्ण।
जवाब देंहटाएं