आज अचानक
वट - वृक्ष बोल पड़ा
सुनो कुछ कहना चाहता हूँ
अनंत काल से खड़ा हूँ
एक ही जगह, तुम्हारे बांधे
कच्चे सूत्रों के बंधन से बंधा
मजबूती से पाँव जमाये
जब सावित्री ने यमराज से
पतिप्राण वापस पाए थे
तब से....
तभी से साक्षी रहा हूँ
तुम्हारे व्रत का
अखंड सौभाग्य के वरदान का
देवियों....!
अब बूढा हो चुका हूँ मैं
बस मेरे लिए इतना करना
इस बार की पूजा में
यमराज से एक वरदान मांगना
मेरी बरसों की तपस्या के बदले
मेरे लिए भी जीवन दान मांगना
खूब थक गया हूँ
खड़े-खड़े
नहीं तो मैं भी सो जाऊंगा
धरती से पीठ टिकाकर
अनंत निद्रा में
बोलो...
करोगी ना मेरे लिए इतना...?
वट - वृक्ष बोल पड़ा
सुनो कुछ कहना चाहता हूँ
अनंत काल से खड़ा हूँ
एक ही जगह, तुम्हारे बांधे
कच्चे सूत्रों के बंधन से बंधा
मजबूती से पाँव जमाये
जब सावित्री ने यमराज से
पतिप्राण वापस पाए थे
तब से....
तभी से साक्षी रहा हूँ
तुम्हारे व्रत का
अखंड सौभाग्य के वरदान का
देवियों....!
अब बूढा हो चुका हूँ मैं
बस मेरे लिए इतना करना
इस बार की पूजा में
यमराज से एक वरदान मांगना
मेरी बरसों की तपस्या के बदले
मेरे लिए भी जीवन दान मांगना
खूब थक गया हूँ
खड़े-खड़े
नहीं तो मैं भी सो जाऊंगा
धरती से पीठ टिकाकर
अनंत निद्रा में
बोलो...
करोगी ना मेरे लिए इतना...?
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंनहीं तो मैं भी सो जाऊंगा
धरती से पीठ टिकाकर
अनंत निद्रा में
बोलो...
करोगी ना मेरे लिए इतना...?
कच्चे सूत्रों के बंधन से बंधा
जवाब देंहटाएंमजबूती से पाँव जमाये
जब सावित्री ने यमराज से
पतिप्राण वापस पाए थे .....वाह: बहुत सुन्दर लिखा है संध्या जी.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सूक्ष्म अवलोकन एवं बेहतरीन प्रस्तुति, बहुत अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएंमेरी बरसों की तपस्या के बदले
जवाब देंहटाएंमेरे लिए भी जीवन दान मांगना
खूब थक गया हूँ
खड़े-खड़े
रचना की जितनी तारीफ की जाय कम है....संध्या जी
इस बार की पूजा में
जवाब देंहटाएंयमराज से एक वरदान मांगना
मेरी बरसों की तपस्या के बदले
मेरे लिए भी जीवन दान मांगना... श्रेष्ठ विचार
इस बार की पूजा में
जवाब देंहटाएंयमराज से एक वरदान मांगना
मेरी बरसों की तपस्या के बदले
मेरे लिए भी जीवन दान मांगना...
बहुत बढ़िया कहा है आपने...
उत्कृष्ट रचना...
:-)
Very Good...
जवाब देंहटाएंNice ...
Bargad ke man ki bat samjhane ki liye ...
Dhanyabad...
बहुत सुन्दर संध्या जी....
जवाब देंहटाएंजिसने सदा दिया ही है वो आज कुछ मांग रहा है.....
सुन्दर भावाव्यक्ति...
सस्नेह
अनु
bahut acchi abhiwayakti ....sandhya jee...
जवाब देंहटाएंतब से....
जवाब देंहटाएंतभी से साक्षी रहा हूँ
तुम्हारे व्रत का
अखंड सौभाग्य के वरदान का
सुन्दर भावाव्यक्ति...
जीवन दान अवश्य ही माँगा जाना चाहिए तब तो वो सदा गवाह बना रहेगा...सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमेरी बरसों की तपस्या के बदले
जवाब देंहटाएंमेरे लिए भी जीवन दान मांगना
खूब थक गया हूँ
kabil-e-tareef:)
जब सावित्री ने यमराज से
जवाब देंहटाएंपतिप्राण वापस पाए थे
तब से....
.....सुन्दर भावाव्यक्ति.
जन्मो- जन्मो के गवाही के बदले एक छोटी सी इच्छा . हक़ तो बनता है .सुँदर
जवाब देंहटाएंबरगद प्रतीक है दीर्ध जीवन का, दीर्घ जीवन सांसारिक ज्ञान का सागर है। सांसारिक ज्ञान ही जीवन में काम आता है। कितने भी झंझावात आएं, विपरीत मौसम आएं, बरगद अडिग रहता है सती की प्रतिज्ञा की तरह।
जवाब देंहटाएंगहरी बात.... उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंवट वृक्ष की पीड़ा कों शब्दों के माध्यम से लिखा है ... गहरी बात लिखी है .... लाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंवट वृक्ष की वेदना को दिखाती, गहन भाव लिए सुंदर सी रचना ....!!
जवाब देंहटाएंवट वृक्ष की पुकार तो सही है। अब हमें और वट वृक्ष लगाने चाहिए।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लगी ये पोस्ट।
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए सशक्त लेखन ... आभार
जवाब देंहटाएंतब से....
जवाब देंहटाएंतभी से साक्षी रहा हूँ
तुम्हारे व्रत का
अखंड सौभाग्य के वरदान का
देवियों....!
अब बूढा हो चुका हूँ मैं ........बेहद खूबसूरत शब्द रचना ..............वाह बहुत खूब ...तभी तो अपनी जिंदगी का हिस्सा सा लगता हैं ये वाट वृक्ष ...अपनों सा इसने हमको संभाला हैं ...और अब इसकी देखभाल का जिम्मा भी तो हम लोगो का ही बनता हैं ...