मंगलवार, 3 जुलाई 2012

जीवन के रंग.... संध्या शर्मा

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संध्या वेला 
जीवन की
हिसाब लगाया
कितना कमाया
क्या गंवाया

कमाया...?
धन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों  का साथ

आयु घटी
बढ़ा धन
अपने हुए दूर
हाथ लगे
बस चार क्षण 

दुःख मनाऊँ, अभिमान करूँ
या स्नेह दूँ, सुख दूँ उन्हें
जो कबके आगे निकल गए
मुझे अकेला छोड़ किनारे 
नफे घाटे का हिसाब जोड़ते ....

मन में आस है
दूर तलक जाने का
विश्वास है 
चार पल ही सही
जीवन है यही

कोई न हो न सही
निस्संग हूँ
नहीं हूँ एकाकी
मेरा मन
मेरा साथी...

25 टिप्‍पणियां:

  1. मन में आस है
    दूर तलक जाने का
    विश्वास है
    चार पल ही सही
    जीवन है यही
    अच्‍छी और भाव भरी रचना।
    शुभकामनाएं आपको

    जवाब देंहटाएं
  2. बढि़या लिखा है संध्या जी आपने। बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सटीक रचना..संध्या जी

    जवाब देंहटाएं
  4. जीवन की उहापोह को बेहतर शब्द दिए हैं आपने इस रचना के माध्यम से.......!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही बेहतरीन और सटीक रचना..
    जब मन साथी हो तो हम अकेले कहाँ
    सुन्दर भाव लिए रचना....
    :-)

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. जीवन में बहुत कमाया,धन ऐश्वर्य, और मान,
    जोड़घटा के हिसाब लगाया अंत रहा नुकसान!

    अंत रहा नुकसान, मेरा अबिमान जब टूटा,
    नही मिला स्नेह,सुख,अपनों का साथ भी छूटा!

    बैठ अकेले जब,नुकसान का हिसाब मिलाते,
    तन्हा अकेला रह गया छूट गए रिश्ते नाते!

    MY RECENT POST...:चाय....

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  8. कमाया...?
    धन, ऐश्वर्य, मान
    गंवाया ...?
    स्नेह - सुख,
    अपनों का साथ
    ..waah....satik....abhiwayakti....

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  9. बहुत सुंदर....अर्थपूर्ण पंक्तियाँ

    जवाब देंहटाएं
  10. कमाया...?
    धन, ऐश्वर्य, मान
    गंवाया ...?
    स्नेह - सुख,
    अपनों का साथ ... yahi rang milte hain

    जवाब देंहटाएं
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    उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार


    प्रवरसेन की नगरी
    प्रवरपुर की कथा



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ जीवन के रंग संग कुछ तूफ़ां, बेचैन हवाएं ♥


    ♥शुभकामनाएं♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
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    जवाब देंहटाएं
  12. अच्‍छी और भाव भरी रचना।
    शुभकामनाएं आपको.....

    जवाब देंहटाएं
  13. जीवन में ऐसे हिसाब किताब जब जब इंसान लगाता है .. कुछ हाथ नहीं आता है ... अंत में बस खुद का साथी खुद ही रह जाता है ...

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  14. मन में आस है
    दूर तलक जाने का
    विश्वास है
    चार पल ही सही
    जीवन है यही

    बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  15. कोई न हो न सही
    निस्संग हूँ
    नहीं हूँ एकाकी
    मेरा मन
    मेरा साथी... बस यही तो है सत्य।

    जवाब देंहटाएं
  16. मन में आस है
    दूर तलक जाने का
    विश्वास है
    चार पल ही सही
    जीवन है यही

    बहुत खूब....

    जवाब देंहटाएं
  17. आस है तो सांस लेता जीवन भी पास है..अन्यथा..हाथ से रेत फिसलता ही जाता है..सुन्दर लिखा है..

    जवाब देंहटाएं
  18. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
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    बेहतरीन रचना

    सावधान सावधान सावधान
    सावधान रहिए



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ सावधान: एक खतरनाक सफ़र♥


    ♥ शुभकामनाएं ♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
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  19. मेरा मन
    मेरा साथी...

    और शायद यही है सच्चा साथी

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  20. वाह...
    बहुत सुन्दर अर्थपूर्ण कविता...

    सस्नेह
    अनु

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  21. कमाया...?
    धन, ऐश्वर्य, मान
    गंवाया ...?
    स्नेह - सुख,
    अपनों का साथ


    सबके मन की बात कह दी .... सुंदर प्रस्तुति

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  22. वाकई इससे अच्छा साथी कोई नहीं !
    बधाई आपको !

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