संध्या वेला
जीवन की
हिसाब लगाया
कितना कमाया
क्या गंवाया
कमाया...?
धन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों का साथ
आयु घटी
बढ़ा धन
अपने हुए दूर
हाथ लगे
बस चार क्षण
दुःख मनाऊँ, अभिमान करूँ
या स्नेह दूँ, सुख दूँ उन्हें
जो कबके आगे निकल गए
मुझे अकेला छोड़ किनारे
जीवन की
हिसाब लगाया
कितना कमाया
क्या गंवाया
कमाया...?
धन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों का साथ
आयु घटी
बढ़ा धन
अपने हुए दूर
हाथ लगे
बस चार क्षण
दुःख मनाऊँ, अभिमान करूँ
या स्नेह दूँ, सुख दूँ उन्हें
जो कबके आगे निकल गए
मुझे अकेला छोड़ किनारे
नफे घाटे का हिसाब जोड़ते ....
मन में आस है
दूर तलक जाने का
विश्वास है
चार पल ही सही
जीवन है यही
कोई न हो न सही
निस्संग हूँ
नहीं हूँ एकाकी
मेरा मन
मेरा साथी...
मन में आस है
दूर तलक जाने का
विश्वास है
चार पल ही सही
जीवन है यही
कोई न हो न सही
निस्संग हूँ
नहीं हूँ एकाकी
मेरा मन
मेरा साथी...
क्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
अच्छी रचना
मन साथी हो जाय तो सुख ही सुख है।
जवाब देंहटाएंमन में आस है
जवाब देंहटाएंदूर तलक जाने का
विश्वास है
चार पल ही सही
जीवन है यही
अच्छी और भाव भरी रचना।
शुभकामनाएं आपको
बढि़या लिखा है संध्या जी आपने। बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सटीक रचना..संध्या जी
जवाब देंहटाएंजीवन की उहापोह को बेहतर शब्द दिए हैं आपने इस रचना के माध्यम से.......!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और सटीक रचना..
जवाब देंहटाएंजब मन साथी हो तो हम अकेले कहाँ
सुन्दर भाव लिए रचना....
:-)
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजीवन में बहुत कमाया,धन ऐश्वर्य, और मान,
जवाब देंहटाएंजोड़घटा के हिसाब लगाया अंत रहा नुकसान!
अंत रहा नुकसान, मेरा अबिमान जब टूटा,
नही मिला स्नेह,सुख,अपनों का साथ भी छूटा!
बैठ अकेले जब,नुकसान का हिसाब मिलाते,
तन्हा अकेला रह गया छूट गए रिश्ते नाते!
MY RECENT POST...:चाय....
कमाया...?
जवाब देंहटाएंधन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों का साथ
..waah....satik....abhiwayakti....
बहुत सुंदर....अर्थपूर्ण पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंbahutgehre bhav ki jeevan ki sacchai vayan ki hai....
जवाब देंहटाएंकमाया...?
जवाब देंहटाएंधन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों का साथ ... yahi rang milte hain
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जवाब देंहटाएं~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
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उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार
प्रवरसेन की नगरी प्रवरपुर की कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ जीवन के रंग संग कुछ तूफ़ां, बेचैन हवाएं ♥
♥शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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अच्छी और भाव भरी रचना।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं आपको.....
जीवन में ऐसे हिसाब किताब जब जब इंसान लगाता है .. कुछ हाथ नहीं आता है ... अंत में बस खुद का साथी खुद ही रह जाता है ...
जवाब देंहटाएंमन में आस है
जवाब देंहटाएंदूर तलक जाने का
विश्वास है
चार पल ही सही
जीवन है यही
बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।
कोई न हो न सही
जवाब देंहटाएंनिस्संग हूँ
नहीं हूँ एकाकी
मेरा मन
मेरा साथी... बस यही तो है सत्य।
मन में आस है
जवाब देंहटाएंदूर तलक जाने का
विश्वास है
चार पल ही सही
जीवन है यही
बहुत खूब....
आस है तो सांस लेता जीवन भी पास है..अन्यथा..हाथ से रेत फिसलता ही जाता है..सुन्दर लिखा है..
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बेहतरीन रचना
सावधान सावधान सावधान सावधान रहिए
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ सावधान: एक खतरनाक सफ़र♥
♥ शुभकामनाएं ♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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मेरा मन
जवाब देंहटाएंमेरा साथी...
और शायद यही है सच्चा साथी
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अर्थपूर्ण कविता...
सस्नेह
अनु
कमाया...?
जवाब देंहटाएंधन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों का साथ
सबके मन की बात कह दी .... सुंदर प्रस्तुति
वाकई इससे अच्छा साथी कोई नहीं !
जवाब देंहटाएंबधाई आपको !