तुम्हारे नयन
बोलते हैं
सुनाई देते
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा आना
श्रावणी फुहार
भिगोती है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा साथ
बसंत जैसे
महकाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा रूप
गुलमोहर
सजाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा जाना
रूठा चाँद
सताता है
सिर्फ मुझे...
हमारा मिलन
प्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग...
बोलते हैं
सुनाई देते
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा आना
श्रावणी फुहार
भिगोती है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा साथ
बसंत जैसे
महकाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा रूप
गुलमोहर
सजाता है
सिर्फ मुझे...
तुम्हारा जाना
रूठा चाँद
सताता है
सिर्फ मुझे...
हमारा मिलन
प्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग...
बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन प्रस्तुति,,,सुंदर रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
भावमयी अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर संध्या जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंwaah manbhawan.....
जवाब देंहटाएंभावों का सहज सम्प्रेषण , भावों के विविध प्रसंगों को समेटे रचना ..!
जवाब देंहटाएंतुमसे .... सिर्फ मैं
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना , बधाई आपको !
जवाब देंहटाएंभाव विभोर करती सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंतुम्हारा आना
श्रावणी फुहार
भिगोती है
सिर्फ मुझे...
मेरे ब्लॉग पर आपके सुवचन
श्रावणी फुहार ला देते हैं,संध्या जी.
इन्तजार है आपका.
प्यार वाकई पोस्सेस्सिव होता है ..........सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंवाह ... अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रेम कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावमय करते शब्द...
जवाब देंहटाएंकोमल अहसास लिए बहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
कितनी सुंदर सी बात है
जवाब देंहटाएंतुम्हारा जाना
रूठा चाँद
सताता है
सिर्फ मुझे...
हमारा मिलन
प्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग... वाह !!
प्यारी रचना है। बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंकविता में जीवन के दृश्य आकार ले रहे हैं।
जवाब देंहटाएंक्या खुबसूरत.... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर बधाई.
भावनाओं की सरलता और तरलता मुग्ध कर गयी...
जवाब देंहटाएंभावमयी सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंभावमयी सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंहमारा मिलन
जवाब देंहटाएंप्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग... वाह !!
सुन्दर रचना!!!
ati sundar
जवाब देंहटाएं