गुरुवार, 28 जून 2012

सिर्फ मुझे... संध्या शर्मा

 http://www.moviewalah.com/wp-content/uploads/2006/09/nimmi.jpg

तुम्हारे नयन
बोलते हैं
सुनाई देते
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा आना
श्रावणी फुहार
भिगोती है
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा साथ 
बसंत जैसे
महकाता है
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा रूप
गुलमोहर
सजाता है
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा जाना
रूठा चाँद
सताता है
सिर्फ मुझे...

हमारा मिलन
प्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग... 

24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  2. भावमयी अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर संध्या जी

    जवाब देंहटाएं
  3. भावों का सहज सम्प्रेषण , भावों के विविध प्रसंगों को समेटे रचना ..!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत प्यारी रचना , बधाई आपको !

    जवाब देंहटाएं
  5. भाव विभोर करती सुन्दर प्रस्तुति.

    तुम्हारा आना
    श्रावणी फुहार
    भिगोती है
    सिर्फ मुझे...

    मेरे ब्लॉग पर आपके सुवचन
    श्रावणी फुहार ला देते हैं,संध्या जी.

    इन्तजार है आपका.

    जवाब देंहटाएं
  6. प्यार वाकई पोस्सेस्सिव होता है ..........सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ... अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर भावमय करते शब्द...
    कोमल अहसास लिए बहुत ही बेहतरीन रचना...
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  9. कितनी सुंदर सी बात है

    तुम्हारा जाना
    रूठा चाँद
    सताता है
    सिर्फ मुझे...

    हमारा मिलन
    प्रीत लहर
    डुबोती है
    संग-संग... वाह !!

    जवाब देंहटाएं
  10. कविता में जीवन के दृश्य आकार ले रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  11. भावनाओं की सरलता और तरलता मुग्ध कर गयी...

    जवाब देंहटाएं
  12. हमारा मिलन
    प्रीत लहर
    डुबोती है
    संग-संग... वाह !!

    सुन्दर रचना!!!

    जवाब देंहटाएं