हम कोई पंछी नहीं
जो फुदकते रहे
डाल-डाल पर
चहकते फिरें
हर मुंडेर पर
चंद दानो के लिए
हम धर्मराज नहीं
जो फंस जाये
चक्रव्यूह में
और प्रतीक्षा करे
अभिमन्यु की
व्यूह भेदन के लिए
हम कोई चारण नहीं
जाएँ राजसभा में
गाएं विरदावली
ढोल बजाते हुए
किसी की शान में
तनिक कृपा के लिए
हम तो पत्थर हैं
उस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
जो फुदकते रहे
डाल-डाल पर
चहकते फिरें
हर मुंडेर पर
चंद दानो के लिए
हम धर्मराज नहीं
जो फंस जाये
चक्रव्यूह में
और प्रतीक्षा करे
अभिमन्यु की
व्यूह भेदन के लिए
हम कोई चारण नहीं
जाएँ राजसभा में
गाएं विरदावली
ढोल बजाते हुए
किसी की शान में
तनिक कृपा के लिए
हम तो पत्थर हैं
उस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
हम तो पत्थर हैं
जवाब देंहटाएंउस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
..............बड़ी गहरी बात कह दी आज आपने अपनी रचना में ! बहुत ही सशक्त एवं सार्थक प्रस्तुति !
सुंदर ,सशक्त भाव
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक सशक्त अभिव्यक्ति ,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
वाह!अपनी पहचान .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
बहुत बढ़िया.............
जवाब देंहटाएंखुद पर यकीन हो तो क्या मुश्किल है...............
पत्थर के साथ हम चिड़िया भी हैं - छू लें आसमां पंखों पे भरोसा करके , सुनाएँ मधुर गीत , वृक्षों के संगी साथी बन जाएँ
जवाब देंहटाएंbahut gahari baaat likhi hai aapne
जवाब देंहटाएंantim panktiyon ne to kamal hi kar diya hai
bahut bahut badhai
poonam
बहुत ही सशक्त एवं सार्थक प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और शानदार पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंहम तो पत्थर हैं
उस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
बेहतरीन पंक्तिया...
हम तो पत्थर हैं
जवाब देंहटाएंउस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
आत्मविश्वास से लबरेज रचना ....!
बहुत अच्छी कविता.... बिहिनिया सांझा में भी पढ़ी...
जवाब देंहटाएंमाफ़ करो इन्हें, ये तो इनके पढने-खेलने के दिन हैं.....
वाह! खूबसूरत, एक अलग तेवर एक नया अंदाज़, आधुनिक भारतीय नारी का.
जवाब देंहटाएंहम तो पत्थर हैं
जवाब देंहटाएंउस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
बहुत ही बेहतरीन और सार्थक रचना
वजूद का सुखद एहसास कराती बढ़िया कविता।
जवाब देंहटाएंसशक्त काव्याकृति
जवाब देंहटाएंहम तो पत्थर हैं
जवाब देंहटाएंउस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
सशक्त रचना. सुंदर अभिव्यक्ति.
बधाई इस प्रस्तुति के लिये.
बहुत खूब ... नीव बन के जीना ही असल जीवन है ... बहुत ही गहरी और प्रभावी रचना ..
जवाब देंहटाएंहम तो पत्थर हैं
जवाब देंहटाएंउस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए...waah sandhya jee bahut accha likha hai....
हम तो पत्थर हैं
जवाब देंहटाएंउस नींव का
जो हिला दे
एक ही पल में
पूरी मंजिल को
अधिकार के लिए
बहुत खूब! बहुत सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति....
शानदार रचना ...
जवाब देंहटाएंआभार !