प्रश्न - उत्तर
समस्या - समाधान
उलझन ही उलझन
अस्तित्वहीनता
डरा सहमा मन
उबरने की कोशिश
लड़खड़ाते कदम
मन कुछ कहता है
और दिमाग कुछ
भटकता है मन
कानन - कानन ...
मीलों नंगे पाँव
कंटीली, पथरीली राह
घायल क़दम
भागता मन
थका - थका सा
तभी....
देती है सुनाई
एक आवाज़
यह तो है शुरुआत
ढल जाएगी रात
कुहासा छंट जायेगा
चलते चलो
मंजिल होगी
तुम्हारे पास
चमक उठती हैं
मन की आँखें
झलक जाती हैं
ख़ुशी से मन धीरे से
कुछ कहता है...
और चल पड़ता है
दुगुने उत्साह से
बिना थके / बिना रुके
लम्बी रात सी राह पर
तलाश में
एक सुनहरी सुबह की ...
समस्या - समाधान
उलझन ही उलझन
अस्तित्वहीनता
डरा सहमा मन
उबरने की कोशिश
लड़खड़ाते कदम
मन कुछ कहता है
और दिमाग कुछ
भटकता है मन
कानन - कानन ...
मीलों नंगे पाँव
कंटीली, पथरीली राह
घायल क़दम
भागता मन
थका - थका सा
तभी....
देती है सुनाई
एक आवाज़
यह तो है शुरुआत
ढल जाएगी रात
कुहासा छंट जायेगा
चलते चलो
मंजिल होगी
तुम्हारे पास
चमक उठती हैं
मन की आँखें
झलक जाती हैं
ख़ुशी से मन धीरे से
कुछ कहता है...
और चल पड़ता है
दुगुने उत्साह से
बिना थके / बिना रुके
लम्बी रात सी राह पर
तलाश में
एक सुनहरी सुबह की ...
आत्मबल से संसार में कोई बलवान नहीं। मनुष्य का संकट के समय कोई साथी नहीं होता। ऐसे समय में उसका आत्मबल ही सहारा देकर उसे मंजिल तक पहुंचाता है। उलझे हुए विचारों को अंतरात्मा की आवाज ने संबंल दिया और पथिक चल पड़ा सुनहरी सुबह की आस में। जो उससे दूर नहीं, एक दिन मंजिल अवश्य मिल जाएगी उसे।
जवाब देंहटाएंकवि हरिवंश राय बच्चन का स्मरण हो आता है - राह पकड़ कर एक चला चल, पा जाईएगा मधुशाला। उत्तमकाव्याकृति
जब कोइ रास्ता न दिखाई दे..
जवाब देंहटाएंअंतर्मन की आवाज सुनानी चाहिए..
खुद को हिम्मत देकर काम करे तो
कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है..
बहुत सुंदर प्रेरनादायी रचना...
यह हौसला कभी न ख़त्म हो, तभी तो कई सूरज अपने साथ होंगे
जवाब देंहटाएंवो सुबह कभी तो आयेगी ………हौसला बना रहे
जवाब देंहटाएंऔर यही क्रम चलता रहता है ....सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंयह तो है शुरुआत ढल जाएगी रात कुहासा छंट जायेगा चलते चलो मंजिल होगी तुम्हारे पास,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन रचना,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
एक अच्छी तलाश
जवाब देंहटाएंएक अच्छी तलाश
जवाब देंहटाएंहर काली रात के बाद की सुन्दर सुबह सी रचना..
जवाब देंहटाएंbeautiful lines ,ur welcome to visit my blog smritiyan
जवाब देंहटाएंवो सुबह जरूर आएगी ....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना......
जवाब देंहटाएंबेचैन मन की उथल पुथल को बेहद सटीक शब्दों में ढाल कर....एक सार्थक कविता की प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंummeed ki ek kiran kafi hai kadam badhane k liye.
जवाब देंहटाएंनिराशा में आशा की झलक आगे बढ़ाने का हौसला देती है ...सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंउम्मीद पर दुनिया कायम है...सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन, आत्मविश्वास से परिपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंमिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में
जहाँ रचा कालिदास ने महाकाव्य मेघदूत।
घायल क़दम
जवाब देंहटाएंभागता मन
थका - थका सा
तभी....
देती है सुनाई
एक आवाज़
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ... सुंदर भाव अभिव्यक्ति...!!
निराश मन को आस बंधाती एक सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंढल जायेगी रात सुबह फिर आयेगी...यही आशा जीवन का संबल है....बहुत सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंसुंदर!
जवाब देंहटाएंहौसलाअफजाई करती है यह कविता।
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