सोमवार, 4 जून 2012

यादें...संध्या शर्मा



आज मिले फुर्सत के कुछ पल,
बक्सों में बंद यादों संग हो ली.

जीर्ण होती एक-एक परत,
बड़े ही जतन से खोली.

मैंने इनसे कुछ ना कहा,
ये मुझसे जीभर के बोली.

कितनी अकेली थी मैं,
जब ये यादें ना थीं.

आज जब पड़ा इनसे वास्ता,
लगा यही हैं मंजिल मेरी - यही रास्ता.

मैंने भी बना लिया इन्हें हमराज़,
हर परत में संजो कर अपना आज.

एक दिन ये खुशबू की तरह फैलेगी,
आज मौन है कल खूब बोलेगी.

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कुछ याद दिला जाती हैं यादें .. सुंदर रचना

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  2. सचमुच यह यादें जीवन के अनुभूत सत्यों को संजो कर रखती हैं, कभी आगे बढ़ने की प्रेरणा बनती हैं और कभी ??? लेकिन जीवन कहाँ रुकता है . इसलिए इन्हें संजोना ही बेहतर होता है, परत दर परत ....!

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  3. बोलेगी तो कई राज़ भी खोलेगी..सुन्दर लिखा है..

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  4. ये यादें जब तहों से बाहर आती हैं तो अपना आप भी कई तहों से बाहर आ जाता है ...

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  5. बोलेंगीं.....
    बहुत बोलती हैं यादें.....
    मन की परतें खोल देतीं हैं......

    सुंदर!!!

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  6. मैंने भी बना लिया इन्हें हमराज़,
    हर परत में संजो कर अपना आज.
    एक दिन ये खुशबू की तरह फैलेगी,
    आज मौन है कल खूब बोलेगी.
    बहुत, बहुत सुन्दर
    सुन्दर भाव से संजोयी बेहतरीन रचना...

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  7. बहुत खुबसूरत यादें जीवन को प्रेरणा देती है....बेहतरीन रचना..

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  8. मैंने भी बना लिया इन्हें हमराज़,
    हर परत में संजो कर अपना आज.

    एक दिन ये खुशबू की तरह फैलेगी,
    आज मौन है कल खूब बोलेगी.

    बहुत खूब !!

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  9. अच्छी यादें ...........आपकी को पोस्ट हिन्दी ब्लॉग परिवार में लिंक दिया जा रहा है ! कृप्या इससे जुड़े ओर अपने प्रतिक्रिया जरुर दे

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  10. मौन यादें चुपचाप बोलती हैं
    अंतरमन की गिरह खोलती हैं
    पहुंचती हैं सातवें आसमान पे
    पवन सम सर्वत्र ही डोलती हैं

    सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  11. यादें बोलती हैं...और कभी खुशी कभी गम से रूबरू करा जाती हैं.

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  12. एक दिन ये खुशबू की तरह फैलेगी,
    आज मौन है कल खूब बोलेगी.

    सुन्दर....
    सादर.

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  13. कितनी अकेली थी मैं,
    जब ये यादें ना थीं.

    ....बिलकुल सच...ये यादें ही तो जीने का संबल हैं...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....

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  14. यादो की अंतहीन अभिवयक्ति.....खुबसूरत अभिवयक्ति....

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  15. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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