जीवन के केनवास पर
आज फिर नए रंग
नयी तूलिका के साथ
कब से बना रही हूँ
एक तस्वीर
आड़ी टेडी
सीधी रेखाएं
क्या बना रही हैं
मैं खुद नही समझ सकी
क्यों है ये रंगों का बिखराव
क्यों है रेखाओं का उलझाव
क्यों नहीं दे रही तूलिका साथ
आज फिर नए रंग
नयी तूलिका के साथ
कब से बना रही हूँ
एक तस्वीर
आड़ी टेडी
सीधी रेखाएं
क्या बना रही हैं
मैं खुद नही समझ सकी
क्यों है ये रंगों का बिखराव
क्यों है रेखाओं का उलझाव
क्यों नहीं दे रही तूलिका साथ
"अधूरी कविता..pura arth deti panktiya.....
जवाब देंहटाएंन ज़ख्म मिले गहरे
जवाब देंहटाएंन खुशी मिली पूरी
शायद इसीलिए यारों
कविता रह गई अधूरी।
बिखराव ही कविता पूरी नहीं करने दे रहा ... सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमैं खुद नही समझ सकी
जवाब देंहटाएंक्यों है ये रंगों का बिखराव
क्यों है रेखाओं का उलझाव
क्यों नहीं दे रही तूलिका साथ
पूरा अर्थ देती सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
अधूरापन तब लगता है जब शक्ति का संचय हो रहा होता है और शक्ति संचय के पश्चात पूरी शक्ति से कार्य करने से वह पूर्णता को प्राप्त होता है। अधूरा ही पूर्ण होता है। फ़िर पूर्ण से आगे कुछ नहीं होता। अपुर्णता ही जीवन पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। आखिर एक दिन व्यक्ति पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। समय है अभी शक्तियों के संचय का।
जवाब देंहटाएंअधूरी कविता अपने आप में पूर्ण है। सुंदर भाव लिए रगों के साथ तूलिकाए भी खींचेगी सूंदर चित्र और आकार लेगा एक ब्रह्माण्ड ।
पूर्णता की तलाश मे .....मन ....!!!
जवाब देंहटाएंचलते रहें...
शुभकामनायें ...!!
उलझा सा मन जो है...........
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव...
मैं खुद नही समझ सकी
जवाब देंहटाएंक्यों है ये रंगों का बिखराव
क्यों है रेखाओं का उलझाव
क्यों नहीं दे रही तूलिका साथ
....कुछ प्रश्न अनुत्तरित रह जाते हैं...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंकुछ बातें अधूरी दिखते हुए भी पूरी होती हैं.. सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंआभार!!
अक्सर ऐसा ही होता है जीवन में बहुत कुछ अधूरा ही रह जाता है ।
जवाब देंहटाएंजीवन के कैनवास पर आज तक जो भी रचा गया है वह अधूरा ही है..वही तो गति देता है पूर्णता की ओर, बहुत सुंदर भाव!
जवाब देंहटाएंफिर भी चित्र खुबसूरत ही लगते हैं..
जवाब देंहटाएंअधूरापन ही गति है... पूर्णता विराम... और जीवन गतिशीलता ही माँगता है....
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द/भाव संयोजन....
सादर
यह भी तो जीवन का ही क्रम है , कभी सबकुछ हाथ से फिसल जाता है
जवाब देंहटाएंbahut hi behtarin bhav abhivykti..
जवाब देंहटाएंchitra purn hoga aur kavita bhi ..
aur ek naya rang bikherega jivan me....
sundar prastuti mam....kam shabdo me jyaada bayaan
जवाब देंहटाएंजीवन एक कैनवास है इसमें जितना भी रंग भरो अधूरा ही लगता है...सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya
जवाब देंहटाएंतूलिका मन की हो और रंग हो उमंग के ,फिर देखें चित्र और चित्त दोनों निखर जायेंगे |
जवाब देंहटाएंहो सकता है लिखने से पहले ही पूरी हो गयी हो जो अभी तक आपको अधूरी लगती है |
जवाब देंहटाएंजीवन के केनवास पे जब रंग उतारने हों तो तूलिका किस्मत बन के कभी कभी साथ नहीं देती ...
जवाब देंहटाएंगहराई में डूब के लिखी है रचना ...
उलझने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !