स्वाति बूंदों को तरसती
खुली सीप जैसी निर्जल आँखें
मस्तिष्क में चलती रेतीली आंधियां
ह्रदय में चुभते यादों के कांटे
मन के मानसरोवर में
मौन गीतों के राजहंस
अंतिम घड़ियाँ, अंतिम साँसें
जीवन का सारांश खोजती
कल्पना की आँखों से देखती वह
दूर क्षितिज पर ढलता सूरज
धौंकनी सी सांस लिए
उत्तुंग शिखर पर चढ़ती जा रही है
हाथों में थामे मौन गीतों की माला
मद्धम पड़ती मंदिर की घंटियों की आवाजें
तभी अचानक.....!
टूट गई मौन गीतों की माला
बिखर गए मोती-मोती
पथरा गई सागर सी गहरी आँखें
उभर आया उनमे अंतिम दृश्य
स्वर्णिम संध्या बेला
छोटा सा सूना आँगन
एक कोने में जलता नन्हा सा दीप
जो चीर रहा है तम को
फ़ैल रहा है चारों दिशाओं में
प्रकाश-प्रकाश और प्रकाश....
छोटा सा दीपक ही गहन अंधकार को हर लेता है .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दार्शनिक कविता
जवाब देंहटाएंसादर
शब्द-शब्द सुन्दर...!
जवाब देंहटाएंबहुत-2 आभार !
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर!!!!
सादर.
अति उत्तम अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंछोटा सा सूना आँगन
जवाब देंहटाएंएक कोने में जलता नन्हा सा दीप
जो चीर रहा है तम को
फ़ैल रहा है चारों दिशाओं में ,
बहुत सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना संध्या जी //
MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
प्रकाश का आह्वान.. सुंदर भावअभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
सुंदर, सशक्त कविता संध्याजी ..
जवाब देंहटाएंbahut sundar .aabhar
जवाब देंहटाएंLIKE THIS PAGE AND WISH INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC
सुन्दर गहन भावमय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंजलते नन्हे दीप को नमन.
बहुत दिनों से आपके दर्शन से वंचित रहा.
आप को भी मेरा ब्लॉग शायद विस्मृत हो
गया है.आपके वचन आनन्द प्रदान करते हैं.
अंतिम घड़ियाँ, अंतिम साँसें
जवाब देंहटाएंजीवन का सारांश खोजती ... अदभुत भाव संयोजन
दिल में दिये का सा जज्बा भी हो तो रौशनी दूर हो सकती है ... सुन्दर प्रस्तुति है ...
जवाब देंहटाएंअंधकार दूर करने को एक दीपक ही काफी है...सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंरचना का शीर्षक पूरी रचना पर छाया हुआ है कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं.....सुन्दर कविता.....संध्या जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना...बधाई...
जवाब देंहटाएंनीरज
जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावप्रधान कविता |
जवाब देंहटाएंआशा
सूचनार्थ: ब्लॉग4वार्ता के पाठकों के लिए खुशखबरी है कि वार्ता का प्रकाशन नित्य प्रिंट मीडिया में भी किया जा रहा है, जिससे चिट्ठाकारों को अधिक पाठक उपलब्ध हो सकें।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सशक्त भावमयी अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर संध्या जी...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव हैं,खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावप्रधान कविता.....
जवाब देंहटाएंवाह!
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