प्रणय.... संध्या शर्मा
तरंग सरिता की
हिलोरें लेने लगीं
नयनो में
बांध भावनाओं का
फूट पड़ा
शिथिल कर गईं
पलकों को
भावहीन हवाएं
अंतस अनंत गहरा
घोर अँधेरा
मौन हूँ मैं
और तुम....!
बह रहे हो
झर-झर
इन नयनो से
झरने की तरह
क्यों ना तुम
भींच लो मुट्ठी
निचोड़ दो बादलों को
भर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....
kya bhaw hai.....wah....
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुंदर.....
जवाब देंहटाएंभींच लो मुट्ठी
जवाब देंहटाएंनिचोड़ दो बादलों को
भर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....
पलकें मूंदकर समेटना ......खुद किसी के हो जाना और किसी को खुद में समाहित करना .....बेहतर रचना .....!
निचोड़ दो बादलों को
जवाब देंहटाएंभर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....
बहुत सुंदर प्रस्तुति,..बेहतरीन रचना,....
MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
देखो कोई कह न देना इसे पानी
जवाब देंहटाएंयह नयनों का खारा जल है
इसे मुट्ठी में पकड़ कोई पाता
किसमें यह अतुलित बल है?
बांध न सका कोई बांध इस पर
बहता सरिता का निर्मल जल है
प्रणय सरिता सदा प्रवाहित होगी
जैसा प्रवाह आज, वैसा कल है।
भींच लो मुट्ठी
जवाब देंहटाएंनिचोड़ दो बादलों को
भर दो प्रणय सरिता
गहन ...
वाह............
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...भावपूर्ण प्रस्तुति...
सादर.
Bahut Hi Sunder....
जवाब देंहटाएंप्राकृतिक अनुभूति प्रणय की
जवाब देंहटाएंगहनता लिए हुए
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.....
bahut hi sundar post.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar
जवाब देंहटाएंऔर मैं....!
जवाब देंहटाएंसमेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
निचोड़ दो बादलों को
जवाब देंहटाएंभर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
मनमोहक है कल-कल करती प्रणय सरिता..
जवाब देंहटाएंभींच लो मुट्ठी
जवाब देंहटाएंनिचोड़ दो बादलों को
भर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....
अद्भुत भाव संयोजन ... भाव प्रवण रचना
क्यों ना तुम
जवाब देंहटाएंभींच लो मुट्ठी
निचोड़ दो बादलों को
भर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....
I AM VERY VERY JEALOUS OF YOU AND YOUR DEEP FEELINGS AND EMOTION.
I AM SPEECHLESS ONE MORE THING I WOULD LIKE TO SAY THANKS FOR BEAUTIFUL PICTURE WITH DROP OF TEAR.
क्यों ना तुम
जवाब देंहटाएंभींच लो मुट्ठी
निचोड़ दो बादलों को
भर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें...
behatariin rachana . sudar bhaav sanyojan
सुंदर प्रेम कविता..
जवाब देंहटाएंएहसासों शब्द देना आसान नहीं वाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंबधाईयां
बहुत बढ़िया प्रस्तुति, सुंदर अहसासों की प्यार भरी रचना,.....
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंनिचोड़ दो बादलों को
जवाब देंहटाएंभर दो प्रणय सरिता
और मैं....!
समेट लूँ तुमको
मूंदकर पलकें....
.....बहुत सुंदर....
बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसमर्पण को आतुर 'प्रणय निवेदन'
जवाब देंहटाएंभावमयी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंभावप्रवण, सुंदर कविता ।
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