इस मशीनी युग में
आविष्कार किये
विकास किये
सभ्यता रची
सत्य है...
भ्रष्टाचार, आतंकवाद
कट्टरवाद, पाशविकता बढ़ी
बन बैठा स्वयंबैरी
भूल गया तत्व ज्ञान
लोटता रहा
स्वार्थ के कीचड में
बढ़ता रहा
पतन की ओर
ग्रास बना
अज्ञान असुर के विषदंत का
अब जाग जरा.....
कर वध
अज्ञान असुर का
उठा ज्ञान सुदर्शन
समझ जरा
जब धरा एक
प्राण एक
एक है परमात्मा
फिर जात-पात
धर्म संप्रदाय
अलग क्यों हैं...?
बेकसूरों के खून से लिखे
लाल रंग के इतिहास में
खोज अपना धर्म
बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
क्यों है लाल...?
एक प्रश्न है तुझसे
चिताबद्ध होने से पहले.....
असंभव है इस प्रश्न का उत्तर मिल पाना..........
जवाब देंहटाएंहमने विकास किया है मगर सभ्य नहीं है....
सार्थक रचना संध्या जी.
बधाई.
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
इस प्रश्न का उत्तर सहज नहीं है मिल पाना ....लेकिन अगर हम मानवीय गुणों के बारे में सोचते हैं और उन्हें जीवन में धारण करते हैं तो निश्चित रूप से हम इस प्रश्न का हल पा सकते हैं ....लेकिन अगर वर्तमान वार्तावरण को देखा जाये तो इस उत्तर मिल पाना संभव नहीं है ....आपकी सोच को सलाम .....!
जवाब देंहटाएंजब धरा एक
जवाब देंहटाएंप्राण एक
एक है परमात्मा
फिर जात-पात
धर्म संप्रदाय
अलग क्यों हैं...?
बेकसूरों के खून से लिखे
लाल रंग के इतिहास में
खोज अपना धर्म
बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
क्यों है लाल...?
उत्तर देकर भी लोग होंगे बेखबर
एक है परमात्मा
जवाब देंहटाएंफिर जात-पात
धर्म संप्रदाय
अलग क्यों हैं...?
बेकसूरों के खून से लिखे
लाल रंग के इतिहास में
खोज अपना धर्म
बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
क्यों है लाल...?
एक प्रश्न है तुझसे
चिताबद्ध होने से पहले.....
सही प्रश्न .. सुंदर अभिव्यक्ति !!
शुद्ध रूप लिख लें कविता में :आविष्कार ,अच्छी विचार कविता .
जवाब देंहटाएंसभी धर्मों के रक्त का रंगक्यों है लाल,
जवाब देंहटाएंएक प्रश्न है....
सुन्दर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,संध्या जी,....
RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...सुन्दर रचना,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.....
बहुत अच्छा प्रश्न किया है आपने।
जवाब देंहटाएंसादर
जब तक आदमी स्वयं इंसानियत को नहीं पहचानेगा, कोई भी धर्म इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पायेगा...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंइसका जवाब इनके पास नहीं ...सियासतदारों के पास है ...उनका अपना रंग सफ़ेद है .....और धर्म संप्रदाय उन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए बनाये हैं .....इसी लिए उनमें भेद रखे हैं....ताकि वह जब चाहे अपना स्वार्थ सिद्ध कर सके ...बहुत सशक्त अभिव्यक्ति संध्याजी...!!!!
जवाब देंहटाएंsarthaknd satik....
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रश्न करती सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रश्न करती सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत भाव पूर्ण रचना एक अनुत्तरित प्रश्न के साथ |
जवाब देंहटाएंआशा
एक प्रश्न है तुझसेचिताबद्ध होने से पहले.....
जवाब देंहटाएं...अच्छा प्रश्न किया है आपने अत्यंत गहन भाव संध्या जी !
स्वार्थ के कीचड़ में एक अलग इतिहास की चाह में इस अनुत्तरित प्रश्न को और सुलगाया ही जाता है ..सशक्त रचना..
जवाब देंहटाएंचिन्ता जा़यज है.मानव अपनी मानवता जब तक भूलता रहेगा..तब तक उत्तर मिलना कठिन है....संध्या जी बहुत सार्थक और सुन्दर पोस्ट...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर है पोस्ट.....विचारणीय प्रश्न छोड़ती हुई ।
जवाब देंहटाएंकाश हम सब समझ लें ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
जवाब देंहटाएंक्यों है लाल...?
एक प्रश्न है तुझसे ..
इस प्रश्न का उत्तर तो सभी जानते हैं पर मानते नहीं ... सार्थक रचना है ...
यह एक यक्ष प्रश्न है,जिसका जवाब सदियों से कोई नहीं दे पया। देखने पर तो पाँचों अंगुलियाँ अलग दिखाई देती हैं। पर खाने के समय सभी बराबर हो जाती है। वैसे ही सभी धर्मों के नेता भी है, जब बड़ा मतलब होता है तो एक हो जाते हैं और मतलब नहीं निकलता दिखा तो रायता फ़ैला देते हैं हल्ला मचाते हुए।
जवाब देंहटाएंबता सभी धर्मों के रक्त का रंग
जवाब देंहटाएंक्यों है लाल...?
एक प्रश्न है तुझसे
चिताबद्ध होने से पहले.....
Gahra Swal Hai ham sabke liye..... Ati Sunder
बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
जवाब देंहटाएंक्यों है लाल...?
एक प्रश्न है तुझसे
चिताबद्ध होने से पहले.....
bilkul sahi prashan kiya hai Sandhya ji apne .....lajabab rachana ke liye hardik badhai
sateek sarthak rachna
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव से भरी खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंहर बात पर उठता एक सवाल जिसका ज्काब देना इतना सरल भी नहीं सुन्दर रचना |
बेकसूरों के खून से लिखे
जवाब देंहटाएंलाल रंग के इतिहास में
खोज अपना धर्म
बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
क्यों है लाल...?
शाश्वत प्रश्न पूछती अच्छी रचना।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रश्न करती सुंदर रचना ...
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