छूटा माँ का साथ
बहन की होगी मजबूरी
तू तो मेरा अपना है
मन है तुझे देखने का
कुछ अंतिम बातें करने का
रीत गईं साँसे
बिसरा ना बचपन
देर न करना
कहीं भूल न जाना
मुझसे मिलने जल्दी आना
यही लिखा था ना तुमने
कांपती कमजोर उँगलियों से
पास आती मौत के साथ
दिखता था आँखों में इंतजार
ख़त का नहीं उस अपने का
ऐसा नहीं कि तुम अकेली थी
हम सब थे तुम्हारे अपने
कैसे भूल सकती थी तुम
बचपन का साथ
वह नहीं आये
तुम चली गईं
देकर सारा प्यार
लेकर इंतजार
मिला था ना तुम्हे
उनका जवाब
तुम्हारे जाने के
ठीक तीन दिन बाद
तुम्हारी तस्वीर के आगे
जलते दीये, हार और
सुलगते चन्दन के साथ....
बहन की होगी मजबूरी
तू तो मेरा अपना है
मन है तुझे देखने का
कुछ अंतिम बातें करने का
रीत गईं साँसे
बिसरा ना बचपन
देर न करना
कहीं भूल न जाना
मुझसे मिलने जल्दी आना
यही लिखा था ना तुमने
कांपती कमजोर उँगलियों से
पास आती मौत के साथ
दिखता था आँखों में इंतजार
ख़त का नहीं उस अपने का
ऐसा नहीं कि तुम अकेली थी
हम सब थे तुम्हारे अपने
कैसे भूल सकती थी तुम
बचपन का साथ
वह नहीं आये
तुम चली गईं
देकर सारा प्यार
लेकर इंतजार
मिला था ना तुम्हे
उनका जवाब
तुम्हारे जाने के
ठीक तीन दिन बाद
तुम्हारी तस्वीर के आगे
जलते दीये, हार और
सुलगते चन्दन के साथ....
मार्मिक ... निःशब्द हूँ इस रचना कों पढ़ के .. दिल कों छू जाती है हर पंक्ति ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा कल शाम ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित होगी... धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
जवाब देंहटाएंआखें नम हो गयीं ये कविता पढ़कर... :-(
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति .....!
जवाब देंहटाएंकुछ रचनाओं में मैं गले की तरह रुंध जाती हूँ
जवाब देंहटाएंजी भर आया......
जवाब देंहटाएंआँखें नम हो गयी...............
अनु
बहुत मार्मिक रचना संध्या जी
जवाब देंहटाएंमार्मिक कर देनेवाली अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंmarmsparshi bhaav ...
जवाब देंहटाएंतुम्हारे जाने के
जवाब देंहटाएंठीक तीन दिन बाद
तुम्हारी तस्वीर के आगे
जलते दीये, हार और
सुलगते चन्दन के साथ...
बहुत सुंदर मार्मिक अभिव्यक्ति,बेहतरीन दिल को छूती रचना,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
उफ्फ़...बहुत मार्मिक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंMARMIK BHAV.........
जवाब देंहटाएंbahut marmik aur sundar post.
जवाब देंहटाएंयही है दूनिया यही संसार है,
जवाब देंहटाएंयही है सार औ यही असार है।
आभार
बिछोह की तड़प ....
जवाब देंहटाएंमार्मिक मगर सत्य
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्सी
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी रचना....
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर .....कोमल और संवेदनशील प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं