है ख्वाब भरे इन आँखों में,
पर सोने का वक़्त नहीं,
ज़ख्म भरे हैं सीने में,
पर सीने का वक़्त नहीं,
हर पल दौड़ती दुनिया है,
पर जीने का वक़्त नहीं,
हजारों ग़म इस दिल में भरे,
पर रोने का वक़्त नहीं,
सारे नाम ज़ेहेम में हैं,
पर दोस्ती का वक़्त नहीं,
अब तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
कैसी है यह दीवानगी,
तेरा साथ निभाना है,
संग चलने का वक़्त नहीं..
Please don't sound hopeless or else. this way or that Khushian bikhri padi hai , Sirf sabr kar swagat karne ki jaroorat hai ji.When night is over daylight enlightens lives. B+
जवाब देंहटाएंReally great poem.. very true..
जवाब देंहटाएंKavita is really nice.....but y r u so sad......
जवाब देंहटाएंJaagti aankho se bhi khwaab dekhe jate hai....
Kuch jakhm sine par leke log shaan se jeete hai....
Jindagi morning walk nahi race hi hai....
Aur dosto ka kya hai.....wo to aaj hai to kal nahi hai......
खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंsunder rachna...
जवाब देंहटाएंसंध्या जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने।
जवाब देंहटाएंबधाई।
.......
प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।
बहुत ही सुन्दर,शानदार और उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने दोस्त जी ......सब कुछ हो रहा है दुनिया मैं पर क्या करे बस वक्त ही नहीं बहुत खूब जी :)
जवाब देंहटाएंहर बार कि तरह सुन्दर रचना |
बढ़िया अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंसादर...
खूबसूरत रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
Bahut badhiya hai.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएं:-)