"नया साल"
आम इंसान की जिंदगानी में भी,
करिश्मा क्यूँ नहीं होता,
साल आता है, हर साल,
पर नया नहीं होता..
वही चिंता है, रोटी की,
तड़प रोज़ी की,
ऱब इन पर भी मेहरबां क्यूँ नहीं होता...
दाल रोटी पर अब तक जो
गुज़र करता था
हाल ये है के वो भी
अब नसीब नहीं होता....
साल नया तो अब दूर की बात रही,
रोज़ उठता तो है, मगर
सवेरा तक नहीं होता.........
आम इंसान की जिंदगानी में भी,
करिश्मा क्यूँ नहीं होता...............
गुरुवार, 30 दिसंबर 2010
मंगलवार, 28 दिसंबर 2010
"KHOOBSOORTI"
"खूबसूरती "
खूबसूरती अब पर्दों में नहीं
बस पर्दों पर ही दिखती है
ताक़त अब रगों में नहीं
केवल कागज पर दिखती है
मेकअप से चमकती सुन्दरता
पसीने में बह जाती है
मय का जोश घटते ही
जुबान खामोश हो जाती है
वहम के नशे में जहाँ ये सारा है
मगर ये इंसां तो दिखावे का मारा है
औरत प्यार, इज्जत को तरसती है
तो आदमी की नज़र ...............................
बनावट की दुनिया से नहीं हटती है ........
खूबसूरती अब पर्दों में नहीं
बस पर्दों पर ही दिखती है
ताक़त अब रगों में नहीं
केवल कागज पर दिखती है
मेकअप से चमकती सुन्दरता
पसीने में बह जाती है
मय का जोश घटते ही
जुबान खामोश हो जाती है
वहम के नशे में जहाँ ये सारा है
मगर ये इंसां तो दिखावे का मारा है
औरत प्यार, इज्जत को तरसती है
तो आदमी की नज़र ...............................
बनावट की दुनिया से नहीं हटती है ........
सोमवार, 27 दिसंबर 2010
MAIN BHI AABHAR PRAKAT KARNA CHAHTI HUN "SANJAY BHASKARJI" KA JINHONE MUJHE IS BLOG JAGAT SE VA AAP SABHI SE MILAYA
मुझे यह बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हो रही है. आज बलाग जगत में मेरे समर्थको(Followers) की संख्या 2०० हो गई है
मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ , मैं और मेरी कविताये वाली लेखिका संध्या शर्मा जी की , जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने की का दोसौवांफोलोवर बनकर इस नाचीज़ को भी ब्लॉग जगत के विशिष्ठ ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया ।
इसी पर चंद लाइन पेश करता हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी
आनंदित है रोम रोम, पाकर प्यार आपका
थैंक्स, शुक्रिया, मेहरबानी, छोटे पड़ गए
कैसे करूँ प्रकट आभार आपका
नहीं उतरेगा कर्ज इस जन्म, मुझसे
संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।
थैंक्स, शुक्रिया, मेहरबानी, छोटे पड़ गए
कैसे करूँ प्रकट आभार आपका
नहीं उतरेगा कर्ज इस जन्म, मुझसे
संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।
इसी पर एक छोटी सी कविता पेश करता हूँ आपके सामने
शुक्रिया ऐ ब्लॉगस्पॉट
तेरा बहुत शुक्रिया
मेरे जीवन में एक तरंग लाए हो तुम
लगता खुशियां अपने संग लाए हो तुम
मुझे साथ खड़े हैं दो सौ दिमाग
चार सौ आंखे, चार सौ हाथ
जारी है गिनती, मेरी बढ़ती खुशियों की
बढ़ाने को मेरा हौसला हर कदम पर
शुक्रिया ऐ ब्लॉगस्पॉट!
बनी रहेगी आदत........मुस्कुराने की मेरी
तेरे संग ऐ ब्लॉगस्पॉट
शुक्रिया,.बहुत शुक्रिया..
.......आमीन.......
साथ ही आप सभी पेश है मेरी दो सौंवी फ़ॉलोअर संध्या शर्मा जी की एक सुंदर कविता
" KAVITA "
" कविता केवल कविता नहीं होती है,
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों ने घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों ने घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"
.........................संजय कुमार भास्कर
धन्यवाद......... संजयजी
मैं भी आभार प्रकट करना चाहती हूँ , संजय भास्करजी का जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने की का दोसौवांफोलोवर बनाकर मुझको को भी ब्लॉग जगत के उन ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है, जिसकी "KAVITA" को आप सभी ने इतना सराहा, मुझे आप सभी से मिलाया संजयजी ने.......
शनिवार, 25 दिसंबर 2010
"EK AISI BHI GHADI AAYEGEE"
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010
"AAI BASANT BAHAAR"
"आई बसंत बहार"
पहन सुहानी धानी चूनर,
धरती ने किया श्रंगार,
सरसों पर छाई है मस्ती,
आई बसंत बहार...........
तितली फिरती फूल-फूल पर,
कलियों ने भी घूंघट खोला,
कोयल मीठे गीत सुनाती,
भौरों का मन भी है डोला,
कल-कल, कल-कल नदियाँ बहती,
झर-झर, झर-झर झरते झरने,
क्यारी-क्यारी लगी मुस्काने,
गेहूं जौ लगे लहराने,
चिड़िया चहकी, बुलबुल गाए,
भोर सुहानी सबको भाए,
ठंडी-ठंडी चली पुरवाई,
मौसम पर जवानी छाई,
वन उपवन को मिला नवजीवन,
पुलकित है मेरा भी मन........
रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,
मिलकर सब गाते मल्हार,
आई बसंत बहार...
आई बसंत बहार.........
पहन सुहानी धानी चूनर,
धरती ने किया श्रंगार,
सरसों पर छाई है मस्ती,
आई बसंत बहार...........
तितली फिरती फूल-फूल पर,
कलियों ने भी घूंघट खोला,
कोयल मीठे गीत सुनाती,
भौरों का मन भी है डोला,
कल-कल, कल-कल नदियाँ बहती,
झर-झर, झर-झर झरते झरने,
क्यारी-क्यारी लगी मुस्काने,
गेहूं जौ लगे लहराने,
चिड़िया चहकी, बुलबुल गाए,
भोर सुहानी सबको भाए,
ठंडी-ठंडी चली पुरवाई,
मौसम पर जवानी छाई,
वन उपवन को मिला नवजीवन,
पुलकित है मेरा भी मन........
रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,
मिलकर सब गाते मल्हार,
आई बसंत बहार...
आई बसंत बहार.........
गुरुवार, 23 दिसंबर 2010
"SARDI KI DHOOP"
"सर्दी की धूप"
दूर गगन से आई धूप
आसमान पर छाई धूप
सूरज के आँचल से उड़कर
धरती पर इतराई धूप
हटा घने कोहरे की चादर
चारों ओर जगमगाई धूप
आग उगलती गर्मी में ये
सर्दी में मुस्काई धूप
घिर आई जब काली बदली
हौले से शरमाई धूप
सूरज से सबने जोड़ा नाता
ऋतु सुहानी लाई धूप
दूर गगन से आई धूप ............
दूर गगन से आई धूप
आसमान पर छाई धूप
सूरज के आँचल से उड़कर
धरती पर इतराई धूप
हटा घने कोहरे की चादर
चारों ओर जगमगाई धूप
आग उगलती गर्मी में ये
सर्दी में मुस्काई धूप
घिर आई जब काली बदली
हौले से शरमाई धूप
सूरज से सबने जोड़ा नाता
ऋतु सुहानी लाई धूप
दूर गगन से आई धूप ............
मंगलवार, 21 दिसंबर 2010
"MERI MAA"
"मेरी माँ"
साल साल बीतते बीतते
बीत गए दस साल
तुम साथ थी...
ऐसा लगता है ,
कल की ही बात थी,
कैसे भूलूंगी तुमको
मैं तो तुम्हारी परछाई हूँ
दुःख में ख़ुशी में
ख़ामोशी में, तन्हाई में
हर पल तुम्हे साथ पाती हूँ
और
चलती हूँ चुपचाप ....
तुम्हारी दिखाई राह पर
कल तुम्हारी बेटी भी
कुछ ऐसा कर जाए
दुनिया भी मुझमे
तुम्हारी ही झलक पाए...........
साल साल बीतते बीतते
बीत गए दस साल
तुम साथ थी...
ऐसा लगता है ,
कल की ही बात थी,
कैसे भूलूंगी तुमको
मैं तो तुम्हारी परछाई हूँ
दुःख में ख़ुशी में
ख़ामोशी में, तन्हाई में
हर पल तुम्हे साथ पाती हूँ
और
चलती हूँ चुपचाप ....
तुम्हारी दिखाई राह पर
कल तुम्हारी बेटी भी
कुछ ऐसा कर जाए
दुनिया भी मुझमे
तुम्हारी ही झलक पाए...........
सोमवार, 20 दिसंबर 2010
"KHWAAB" ख़्वाब
ख़्वाब ...
बंद पलकों में,
सजते हैं,
मुस्कुराते हैं....
खुली आँखें तो,
टूटते हैं,
बिखर जाते हैं......
बंद पलकों में,
सजते हैं,
मुस्कुराते हैं....
खुली आँखें तो,
टूटते हैं,
बिखर जाते हैं......
रविवार, 19 दिसंबर 2010
"DURGHATNA"
आज सुबह जैसे ही अखबार पर नज़र गई,
समाचार पढ़कर ही रूह कांप गई,
लिखा था .....
दुर्घटनाग्रस्त युवक तीन घंटे तक राह में पड़ा रहा,
पुलिस व जनता सिर्फ देखती रही,
"क्या हो गया है, इंसानियत को,
कहाँ खो गई है मानवता,
गर वक़्त पर ईलाज हो जाता,
तो शायद वह बच जाता,
भगवान न करे कहीं ऐसा होता,
वो तुम्हारा कोई अपना होता ........... "
समाचार पढ़कर ही रूह कांप गई,
लिखा था .....
दुर्घटनाग्रस्त युवक तीन घंटे तक राह में पड़ा रहा,
पुलिस व जनता सिर्फ देखती रही,
"क्या हो गया है, इंसानियत को,
कहाँ खो गई है मानवता,
गर वक़्त पर ईलाज हो जाता,
तो शायद वह बच जाता,
भगवान न करे कहीं ऐसा होता,
वो तुम्हारा कोई अपना होता ........... "
शनिवार, 18 दिसंबर 2010
INTZAAR CHHANV KA
इंतज़ार छाँव काबोया था एक नन्हा सा बीज,
इस छोटे से आँगन में,
सींचा था सहलाया था,
उसे तेज धूप से बचाया था,
फूटी उसमे नन्ही - नन्ही पाती,
उसकी एक पत्त्ती भी कुम्हलाती,
तो जैसे जान ही निकल जाती,
सोचा था बड़ा होकर फल देगा,
सुकून भरी ठंडी छाँव देगा......
अब जब वो बड़ा हो गया है,
छोड़कर मेरे आँगन को ,
चला गया दुसरे के आँगन में,
उन्हें फल भी देता है, छाँव भी,
और मै............
अभी भी वहीँ खड़ा हूँ,
वही तपन है अब भी आँगन में,
सोचता हूँ ...................
लगा लूँ फिर से नया पौधा ???
पर क्या वो भी होकर बड़ा,
सहारा देगा मुझे फल, और छाँव का,
क्या ?? कर पाऊँगा इंतजार मैं,
उसके फल और छाँव का ......................................
शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010
" KAVITA "
" कविता केवल कविता नहीं होती है,
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों ने घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों ने घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"
बुधवार, 15 दिसंबर 2010
"UN DINO"
उन दिनों .....
मेरा देश
एक चिड़िया था सोने की...
और आज .....
न तो सोना रहा ,
और न ही चिड़िया....
खोजती हूँ , खोजती रहती हूँ....
कहाँ है वो मेरा,
प्यारा सा देश ?????????????
सोमवार, 13 दिसंबर 2010
"NAYA SAAL MUBARAK HO"
Sisakte kissan ko,
Ujadte jahan ko,
Do joon roti ko,
Taraste insaan ko,
Dhuyen ke jaal me,
Fanse huye yauvan ko,
Manhgai ke maare huye,
Har ek jeevan ko...............
NAYA SAAL MUBARAK HO...........
........................................... x......................................
Dukh bhare ateet ko,
Vartmaan ke prayaas ko,
Khushiyaon ke bhavishya ko,
Nanhe se bachpan ko,
Sundar se yauvan ko,
Komal se sparsh ko,
Pavon ki payal ko,
Mamta ke aanchal ko,
Harek ghar ke aangan ko,
Mandir ke chandan ko,
Shadi ke bandhan ko,
Pavitrta ke darpan ko,
Vyaktitva ke aakarshan ko.............
NAYA SAAL MUBARAK HO........................
Ujadte jahan ko,
Do joon roti ko,
Taraste insaan ko,
Dhuyen ke jaal me,
Fanse huye yauvan ko,
Manhgai ke maare huye,
Har ek jeevan ko...............
NAYA SAAL MUBARAK HO...........
........................................... x......................................
Dukh bhare ateet ko,
Vartmaan ke prayaas ko,
Khushiyaon ke bhavishya ko,
Nanhe se bachpan ko,
Sundar se yauvan ko,
Komal se sparsh ko,
Pavon ki payal ko,
Mamta ke aanchal ko,
Harek ghar ke aangan ko,
Mandir ke chandan ko,
Shadi ke bandhan ko,
Pavitrta ke darpan ko,
Vyaktitva ke aakarshan ko.............
NAYA SAAL MUBARAK HO........................
गुरुवार, 25 नवंबर 2010
Meri taraf se sabhi ko DHANYAWAD (ON 25 NOV. THANKS GIVING DAY)
मेरी ओर से सबसे पहले मेरी माँ को धन्यवाद् , फिर उस ईश्वर को जिसने मुझे ऐसी माँ दी,
वैसे तो इन दोनों को ही ऋण कितने भी धन्यवाद् से कभी चुकाया नहीं जा सकता, पर शायद मेरे मन
की शांति के लिए ही सही. इसके बाद उन सभी को धन्यवाद् जिन्होंने मेरा हरकदम पर साथ दिया, और हाँ उनका
भी जिन्होंने मेरा साथ नहीं दिया क्यूंकि जीवन का सफ़र बहुत लम्बा है ,आज नहीं तो कल सही वो भी मेरे साथ होंगे,
इसी उम्मीद के साथ ..............
फिर से एक बार सभी को धन्यवाद .................
संध्या
वैसे तो इन दोनों को ही ऋण कितने भी धन्यवाद् से कभी चुकाया नहीं जा सकता, पर शायद मेरे मन
की शांति के लिए ही सही. इसके बाद उन सभी को धन्यवाद् जिन्होंने मेरा हरकदम पर साथ दिया, और हाँ उनका
भी जिन्होंने मेरा साथ नहीं दिया क्यूंकि जीवन का सफ़र बहुत लम्बा है ,आज नहीं तो कल सही वो भी मेरे साथ होंगे,
इसी उम्मीद के साथ ..............
फिर से एक बार सभी को धन्यवाद .................
संध्या
शुक्रवार, 12 नवंबर 2010
"ASTITVA"
"NANHI SI BOOND OS KI,
CHINTIT HAI APNE ASTITVA KE LIYE"
KAHIN AISA NA HO.....
KHO JAOON IS DHOOL ME,
YA FIR...........
GUM HO JAOON SAGAR KI GAHRAIYON ME KAHIN,
YA FIR.....
UD JAOON DHUYE KI TARAH,
IS DHARTI KI TAPAN SE,
DARTI RAHI, LADTI RAHI,
KHUD APNE HI ASTITVA KE LIYE,
AUR FIR......
DE GAI US CHATAK KE JEEVAN KO EK NAYA ASTITVA,
USKI PYAS ME SAMAKAR,
JO CHINTIT THI APNE HI ASTITVA KE LIYE.
CHINTIT HAI APNE ASTITVA KE LIYE"
KAHIN AISA NA HO.....
KHO JAOON IS DHOOL ME,
YA FIR...........
GUM HO JAOON SAGAR KI GAHRAIYON ME KAHIN,
YA FIR.....
UD JAOON DHUYE KI TARAH,
IS DHARTI KI TAPAN SE,
DARTI RAHI, LADTI RAHI,
KHUD APNE HI ASTITVA KE LIYE,
AUR FIR......
DE GAI US CHATAK KE JEEVAN KO EK NAYA ASTITVA,
USKI PYAS ME SAMAKAR,
JO CHINTIT THI APNE HI ASTITVA KE LIYE.
शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010
"NAARI TU SABLA HAI"
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
FOOLON SI VO KOMAL,
NARAM HO JAISE NAVNEET,
NOOTANSHAKTI BHARNE VALI,
OJMAYEE JWALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
KOMAL MANN ME RAHNE VALI,
TANYAPRIYA JANNI TU,
VIRAH MILAN KI DHOOP CHHANV ME,
KHOI SHAKUNTALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
AADHARSHILA SUNDARTA KI TU,
LAGTI KOI PARI SI,
MANU KI CHAPAL CHANCHAL TARUNI ,
ANDHKAARMAY JEEVAN PATH PAR,
JAISE CHANDRAKALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
KARUNA KI PRATIMA HAI FIR BHI,
VIYOG NE BHI CHHALA HAI,
MAMTAMAYI, MAMTASAGAR TU,
TERE HI PRAKASH SE TO,
JAGMAG DEEP JALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
FOOLON SI VO KOMAL,
NARAM HO JAISE NAVNEET,
NOOTANSHAKTI BHARNE VALI,
OJMAYEE JWALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
KOMAL MANN ME RAHNE VALI,
TANYAPRIYA JANNI TU,
VIRAH MILAN KI DHOOP CHHANV ME,
KHOI SHAKUNTALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
AADHARSHILA SUNDARTA KI TU,
LAGTI KOI PARI SI,
MANU KI CHAPAL CHANCHAL TARUNI ,
ANDHKAARMAY JEEVAN PATH PAR,
JAISE CHANDRAKALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
KARUNA KI PRATIMA HAI FIR BHI,
VIYOG NE BHI CHHALA HAI,
MAMTAMAYI, MAMTASAGAR TU,
TERE HI PRAKASH SE TO,
JAGMAG DEEP JALA HAI.
'NAHI RAHI ABLA TU, NAARI AB SABLA HAI"
लेबल:
ABLA,
DEEP,
DHOOP-CHHANV,
KARUNA,
KOMAL,
MAMTA,
MANU,
NAARI,
PRAKASH,
SABLA,
SHAKUNTALA,
SHKTI,
SUNDARTA
रविवार, 3 अक्तूबर 2010
"FAISLA"
Vo kahte hain ki..
Bharat ki janta faisle se oopar uthkar sochne lagi hai,
Kbhi socha hai kyun uski soch badal gai hai,
Are bhai kyun nahi badlegi soch,
Is manhgai me rozi roti ki chinta se hi kamar toot jati hai,
To kya khaq sochegi faisle ke bare mein,
Aur haan ab apna bhla bura samajhne lagi hai,
Achchhi tarah jan gai hai Ki...
"Rajneeti seedha kar leti hai apna oollu,
Aur pees deti hai use ghun ki tarah."
Bharat ki janta faisle se oopar uthkar sochne lagi hai,
Kbhi socha hai kyun uski soch badal gai hai,
Are bhai kyun nahi badlegi soch,
Is manhgai me rozi roti ki chinta se hi kamar toot jati hai,
To kya khaq sochegi faisle ke bare mein,
Aur haan ab apna bhla bura samajhne lagi hai,
Achchhi tarah jan gai hai Ki...
"Rajneeti seedha kar leti hai apna oollu,
Aur pees deti hai use ghun ki tarah."
शनिवार, 2 अक्तूबर 2010
"JEEVAN KI RAAH"
Jeevan ki raah me...
Kuchh aise bhi log milte hain,
Mann ke kisi kone me jakar bas hi jate hain.
Jeevan ki raah me...
Kuchh aise bhi pal aate hain,
Os ki boondon jaisi sheetalta de jate hain.
Jeevan ki raah me...
Kuchh aise bhi rishte bante hain,
Reshami banhan me majbooti se kas lete hain.
Jeevan ki raah me...
Kuchh rang is tarah se bikharte hain,
Indradhanush bankar aakash me chha jate hain,
To kabhi mann me basi yaad,
To kabhi os ki sheetal boond,
To kabhi reshami komal bandhan,
To kabhi saptarangi indradhanush ...
Jaisi hai ye jeevan ki raah...........
Kuchh aise bhi log milte hain,
Mann ke kisi kone me jakar bas hi jate hain.
Jeevan ki raah me...
Kuchh aise bhi pal aate hain,
Os ki boondon jaisi sheetalta de jate hain.
Jeevan ki raah me...
Kuchh aise bhi rishte bante hain,
Reshami banhan me majbooti se kas lete hain.
Jeevan ki raah me...
Kuchh rang is tarah se bikharte hain,
Indradhanush bankar aakash me chha jate hain,
To kabhi mann me basi yaad,
To kabhi os ki sheetal boond,
To kabhi reshami komal bandhan,
To kabhi saptarangi indradhanush ...
Jaisi hai ye jeevan ki raah...........
शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010
KYA YAHI HAI AAZAADI??
Aazaadi-Aazaadi........
Manate aa rahe ho 63 saalon se jashn,
Par mai poochti hun?
Azaadi-Aazaadi kaisi azaadi....
Kahne ko to bharat mata mukt hui,
Gulami ki un janzeeron se,
Mathe ki chmakati hui bindia,
Aur hoton par faili muskurahat..
Sirf oopar se hi dikhati hai.
Aatankvad, jativad, naksalvad, dahashatvad,
Sampradayvad se ghirti ja rahi hai ye,
Anyay, bhrashtachar, atyachar,
Ke bojh tale dab gai hai aazaadi...
Par jashna mana kar karte ho fakra??
Ab vah angrejo ki gulaam nahi rahi,
Khud apno ki banai janzeeron se jaddi ja rahi hai,
Hamari kunthit mansikta, besharmi,
Besharmi, bevafai aur behayai ke,
Changul me tadapti is Aazaadi ko,
"Kaun fir aazaad karayega?
To fir kaisi hai ye aazaadi? kyun hai ye aazaadi?? kiske liye aazaadi???"
Manate aa rahe ho 63 saalon se jashn,
Par mai poochti hun?
Azaadi-Aazaadi kaisi azaadi....
Kahne ko to bharat mata mukt hui,
Gulami ki un janzeeron se,
Mathe ki chmakati hui bindia,
Aur hoton par faili muskurahat..
Sirf oopar se hi dikhati hai.
Aatankvad, jativad, naksalvad, dahashatvad,
Sampradayvad se ghirti ja rahi hai ye,
Anyay, bhrashtachar, atyachar,
Ke bojh tale dab gai hai aazaadi...
Par jashna mana kar karte ho fakra??
Ab vah angrejo ki gulaam nahi rahi,
Khud apno ki banai janzeeron se jaddi ja rahi hai,
Hamari kunthit mansikta, besharmi,
Besharmi, bevafai aur behayai ke,
Changul me tadapti is Aazaadi ko,
"Kaun fir aazaad karayega?
To fir kaisi hai ye aazaadi? kyun hai ye aazaadi?? kiske liye aazaadi???"
सोमवार, 20 सितंबर 2010
SAPNO KI UDAAN
PANKHON ME TAQAT NAHI,
PAHALE HI MAAN LIYA THA MAINE,
UDAAN BHARNE SE PAHLE HI,
PANKH KHO BAITHI THI MAIN,
TOOTE HUYE PANKHO KO SAHEJTI MAIN,
FIR SE PANKH NIKLENGE, RAAH DEKHTI MAIN,
AB SAMAJH SAKI HUN MAIN KI,
MOUKA TO JEEVAN MAIN EK BAAR HI MILTA HAI,
SWAPNA PURTI KA NISHCHAY US WAQT HI KARNA HOTA HAI...........
PAHALE HI MAAN LIYA THA MAINE,
UDAAN BHARNE SE PAHLE HI,
PANKH KHO BAITHI THI MAIN,
TOOTE HUYE PANKHO KO SAHEJTI MAIN,
FIR SE PANKH NIKLENGE, RAAH DEKHTI MAIN,
AB SAMAJH SAKI HUN MAIN KI,
MOUKA TO JEEVAN MAIN EK BAAR HI MILTA HAI,
SWAPNA PURTI KA NISHCHAY US WAQT HI KARNA HOTA HAI...........
शुक्रवार, 10 सितंबर 2010
"FIR DEKHO"
Bhare huye pet par hath ferkar chain se sone wale,
Jinki thali main kuchh bhi nahi,
Unhe roti ka ek tukda to do PHIR DEKHO...
Tumhare liye to hogi roz diwali,
Andheron main rahane walo ke jeevan main,
Roshani ka ek diya to jalao PHIR DEKHO...
Honge tumhare mahal dumahle,
Par kisi ko apane haq ki,
Ek jhopadi to milne do PHIR DEKHO...
Hoti hongi tumhare aangan main rangon ki barsaten,
Par kisi ke jeevan main naya rang to bharo PHIR DEKHO...
Tumhare liye to khuli hongi unnati ki kai rahen,
Par kisi ko ummeed ki ek kiran to dikaao PHIR DEKHO...
Sirf apane liye na jiyo,
Zarooratmandon ka sahara bano PHIR DEKHO... :)
Jinki thali main kuchh bhi nahi,
Unhe roti ka ek tukda to do PHIR DEKHO...
Tumhare liye to hogi roz diwali,
Andheron main rahane walo ke jeevan main,
Roshani ka ek diya to jalao PHIR DEKHO...
Honge tumhare mahal dumahle,
Par kisi ko apane haq ki,
Ek jhopadi to milne do PHIR DEKHO...
Hoti hongi tumhare aangan main rangon ki barsaten,
Par kisi ke jeevan main naya rang to bharo PHIR DEKHO...
Tumhare liye to khuli hongi unnati ki kai rahen,
Par kisi ko ummeed ki ek kiran to dikaao PHIR DEKHO...
Sirf apane liye na jiyo,
Zarooratmandon ka sahara bano PHIR DEKHO... :)
रविवार, 5 सितंबर 2010
"MUJHKO TU CHAHIYE"
"CHAND TAARE NA YE CHANDANEE CHAHIYE,
TERE JAISA NAHI MUJHKO TU CHAHIYE.
VO MILEGA MUJHE YE YAKIN HAI MAGAR,
AAKHIRI SAANS TAK JUSTAZU CHAHIYE.
KHWAB TO KHWAB HAI, YE HAKIQAT NAHI,
KHWAB MAIN TU NAHI ROOBAROO CHAHIYE.
YU TARASHUN TUMHE OOMRA BHAR PATTHARON,
TERE JAISA KOI HOOBAHOO CHAHIYE.
RANGE GUL SE SAJA HAI YE GULSHAN MAGAR,
MUJHKO RANGAT TERI HAR GALI CHAHIYE...."
TERE JAISA NAHI MUJHKO TU CHAHIYE.
VO MILEGA MUJHE YE YAKIN HAI MAGAR,
AAKHIRI SAANS TAK JUSTAZU CHAHIYE.
KHWAB TO KHWAB HAI, YE HAKIQAT NAHI,
KHWAB MAIN TU NAHI ROOBAROO CHAHIYE.
YU TARASHUN TUMHE OOMRA BHAR PATTHARON,
TERE JAISA KOI HOOBAHOO CHAHIYE.
RANGE GUL SE SAJA HAI YE GULSHAN MAGAR,
MUJHKO RANGAT TERI HAR GALI CHAHIYE...."
बुधवार, 18 अगस्त 2010
JEEVAN
JEEVAN YE AISA HI HAI,
SUKH DUKH KO BHOOLKAR,
JEENA HOTA HAI,
JEEVAN KO JEETE-JEETE HI,
KUCCH KHONA HOTA HAI,
KUCCH PANA HOTA HAI,
MANN MAIN BASI YAADON KO SANJONA HOTA HAI,
AUR WAQT PADE TO USE BHOOLANA HOTA HAI,
"JEEVAN YE AISA HI HAI,
KYA HUAA GAR KHOYA HAI TO,
BAHUT KUCCH TO PAYA BHI HAI,
JEEVAN YE AISA HI HAI,
JEEVAN YE AISA HI HAI....."
SUKH DUKH KO BHOOLKAR,
JEENA HOTA HAI,
JEEVAN KO JEETE-JEETE HI,
KUCCH KHONA HOTA HAI,
KUCCH PANA HOTA HAI,
MANN MAIN BASI YAADON KO SANJONA HOTA HAI,
AUR WAQT PADE TO USE BHOOLANA HOTA HAI,
"JEEVAN YE AISA HI HAI,
KYA HUAA GAR KHOYA HAI TO,
BAHUT KUCCH TO PAYA BHI HAI,
JEEVAN YE AISA HI HAI,
JEEVAN YE AISA HI HAI....."
मंगलवार, 17 अगस्त 2010
WAQT NAHI
है ख्वाब भरे इन आँखों में,
पर सोने का वक़्त नहीं,
ज़ख्म भरे हैं सीने में,
पर सीने का वक़्त नहीं,
हर पल दौड़ती दुनिया है,
पर जीने का वक़्त नहीं,
हजारों ग़म इस दिल में भरे,
पर रोने का वक़्त नहीं,
सारे नाम ज़ेहेम में हैं,
पर दोस्ती का वक़्त नहीं,
अब तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
कैसी है यह दीवानगी,
तेरा साथ निभाना है,
संग चलने का वक़्त नहीं..
पर सोने का वक़्त नहीं,
ज़ख्म भरे हैं सीने में,
पर सीने का वक़्त नहीं,
हर पल दौड़ती दुनिया है,
पर जीने का वक़्त नहीं,
हजारों ग़म इस दिल में भरे,
पर रोने का वक़्त नहीं,
सारे नाम ज़ेहेम में हैं,
पर दोस्ती का वक़्त नहीं,
अब तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
कैसी है यह दीवानगी,
तेरा साथ निभाना है,
संग चलने का वक़्त नहीं..
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