शुक्रवार, 29 नवंबर 2013
गुरुवार, 14 नवंबर 2013
गुरुवार, 7 नवंबर 2013
यादें हर सांस में...
यह सोचे बगैर कि
जब कोई सवाल करेगा
निरुत्तर हो जाउंगी
लिख लेती हूं तुम्हारी यादों को
रख लेती हूं संदूक में तह लगा
रेशमी अहसासों को
कि वक़्त की बुरी हवा न लगे कभी
सहेज ली है एक याद आज
इत्र की खूबसूरत सी शीशी में
कि जब भी चाहूँ
तुम बिखर जाओ मेरे जीवन में
खुशबू की तरह
घुल जाओ मेरी हर सांस के साथ
गमक उठे
मन प्राण आत्मा
रोम-रोम पर छाई मधुर गंध
सांसों में घुल जाए
बन जाए
हरियाली जीवन की
अमर हो जाये प्रीत
गगन - धरा सी
धरातल पर.......
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