सखी री! गुनगुनाऊँ,
गीत एक गाऊँ
अपनो के मेले मे,
कभी अकेले में,
एक पल मुस्कुराऊँ,
गीत एक गाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
बरखा की रिमझिम में,
फ़ुहारों की टिम टिम में,
पंख फ़ैलाए उड़ जाऊँ
झिंगुरों की छुनछुन में,
घुंघरुओं की रुनझुन में,
बांसुरी बन बन जाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
पायल की रुनझुन में
झरनों की कल कल में,
हरियाली चूनर सजाऊँ
चिड़ियों की चुन चुन में,
भौंरों की गुन गुन में,
भीगी भीगी सी लहराऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
लता पात की मुस्कानों में,
दामिनी के आसमानों में,
सुनहरे गोटे जड़ाऊँ,
प्रात की मधुर वेला में,
अनुपम किरणों की छटा में,
स्वागत थाल सजाऊँ .
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
सपनों के अपने गाँव में,
बरगद पीपल की छांव में,
पींगे खूब झुलाऊँ,
चम्पा की सुगंध में,
गुड़हल के मकरंद में,
बन के सुवास समा जाऊँ,
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
धरती की धानी चुनरी पे,
गगन की सुंदर कुरती पे,
चाँद सितारे जड़ाऊँ,
क्षितिज के छोरों में,
सरस सलिला के धोरों में,
एक नया जीवन पाऊँ .
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
सावन की गोरी सी,
पनघट की अल्हड़ छोरी सी,
मैं मंद मंद मुस्काऊँ
आएगें सजना जब,
बोलेगें पायल कंगना तब,
मैं बिंदिया अब सजाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
गीत एक गाऊँ
अपनो के मेले मे,
कभी अकेले में,
एक पल मुस्कुराऊँ,
गीत एक गाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
बरखा की रिमझिम में,
फ़ुहारों की टिम टिम में,
पंख फ़ैलाए उड़ जाऊँ
झिंगुरों की छुनछुन में,
घुंघरुओं की रुनझुन में,
बांसुरी बन बन जाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
पायल की रुनझुन में
झरनों की कल कल में,
हरियाली चूनर सजाऊँ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTc0bQG9mZPp04CM2bWyixM1oO8VQNFXyUGGN_BUtoR2F4hSjUXKr3Ga3sFVlg_ruo52ZafmSebiKCofUi0qJgrF5jnpCgBZDkslpeebFn6zr_NA23X2eaASwDam-u2C5PrQ_mj0O32n-5/s320/NAVGEET_1.jpg)
भौंरों की गुन गुन में,
भीगी भीगी सी लहराऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
लता पात की मुस्कानों में,
दामिनी के आसमानों में,
सुनहरे गोटे जड़ाऊँ,
प्रात की मधुर वेला में,
अनुपम किरणों की छटा में,
स्वागत थाल सजाऊँ .
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
सपनों के अपने गाँव में,
बरगद पीपल की छांव में,
पींगे खूब झुलाऊँ,
चम्पा की सुगंध में,
गुड़हल के मकरंद में,
बन के सुवास समा जाऊँ,
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
धरती की धानी चुनरी पे,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgaXdQSCgf3Hvk9aMs27oxqX8RGY9VwgdORDQUti1lElKSU8zks-SR5reYLqkRRp8u5Htnsstshv2xcw1qPR1JsuIOMixGrudhasjTCU9ZneK7mJ7cJe9Uc9A3DmC3tD0GQM98kNF7hKDWy/s320/NAVGEET_2.jpg)
चाँद सितारे जड़ाऊँ,
क्षितिज के छोरों में,
सरस सलिला के धोरों में,
एक नया जीवन पाऊँ .
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
सावन की गोरी सी,
पनघट की अल्हड़ छोरी सी,
मैं मंद मंद मुस्काऊँ
आएगें सजना जब,
बोलेगें पायल कंगना तब,
मैं बिंदिया अब सजाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ