डूबने के भय से
तैरना छोड़ दूँ
इतनी कमजोर नहीं
हाँ! तय कर रखी है
एक सीमा रेखा
उसके आगे नही जाना
जानती हूँ
सागर असीम, अनंत
पार नहीं कर सकती हूँ
लेकिन हार नहीं मान सकती न
जीना चाहती हूँ
उस आलौकिक क्षण को
जब तैरना सीख जाउंगी
उतर जाउंगी उस पार
सीमित होकर भी
असीमित में विलीन
आकार से निराकार
शायद उसी दिन
मिल जायेगा किनारा...
तैरना छोड़ दूँ
इतनी कमजोर नहीं
हाँ! तय कर रखी है
एक सीमा रेखा
उसके आगे नही जाना
जानती हूँ
सागर असीम, अनंत
पार नहीं कर सकती हूँ
लेकिन हार नहीं मान सकती न
जीना चाहती हूँ
उस आलौकिक क्षण को
जब तैरना सीख जाउंगी
उतर जाउंगी उस पार
सीमित होकर भी
असीमित में विलीन
आकार से निराकार
शायद उसी दिन
मिल जायेगा किनारा...