महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी संसार निराला
दुनिया की तस्वीर बना दूँ
जो रंग कोई हो भरने वाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
सतरंगी किरणें उतरेंगी
हर्ष का होगा नया उजाला
नए खग नए तरुवर होंगे
नया जग होगा मतवाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
सांच झूठ का नाम न होगा
होगी नई रवि की ज्वाला
कोई अर्थ न दे पायेगी
अहंकार की अब मधुशाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
करुण कथा तेरे विनाश की
कोई न होगा सुनने वाला
विष का सृजन बहुत हो चुका
भर जाने दो अमृत प्याला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
नयी सुबह और नए जगत का
अवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला