मेरे जीवन का
हर रंग, हर अहसास
हर महक, हर स्वाद
सिर्फ तुमसे है
कोई वजूद नहीं मेरा
तुम्हारे बिना
मेरी आँखों में
चमकता है
तुम्हारा प्यार
महकती है
तुम्हारी खुशबू से
मन की रजनीगंधा
रौशन है
तुम्हारी चांदनी से
मेरी हर शाम
तुम्हारा साथ
आशा की रेशमी डोर
तुम्हारा हाथ
मज़बूत विश्वास
हर आहट मुझ तक
तुमसे होकर आती है
इतना ही जानता है
मेरा कोमल मन
तुमसे मिला अपनापन
न्योछावर है तुमपर
मेरा सर्वस्व
समर्पित है तुम्हे
सारा जीवन.....
इतनी बडी बस्ती मेंमुझे एक भी इंसान नहीं दिखता
चेहरे ही चेहरे हैं बस
किस चेहरे को सच्चा समझूँ
किसे झूठा मानूं
और उस पर इन सबने
अपनी जमीन पर बाँध रखी है
धर्म की ऊंची - ऊंची इमारतें
इन्ही में रहते हैं ये मुखौटे
क्षण प्रतिक्षण बदल लेते हैं
नाम, जाति, रंग,रूप
बसा रखा है सबने मिलकर
मुखौटों का एक नया शहर
जिन्हें चाहिए यहाँ सिर्फ मुखौटे
जिनमे मन, ह्रदय,
भावना कुछ नहीं
बस फायदे नुकसान के सबंध
इंसान जिए या मरे
कोई फर्क नहीं पड़ता
इन मुखौटों को
लगे हैं कारोबार में
श्मशान विस्तारीकरण के
ये नहीं जानते
मृत्यु केवल अंत नहीं
आरंभ भी है
भय नहीं आनंद भी है
जीवन एक परवशता,
अनिश्चितता है
सिर्फ और सिर्फ
मौत की निश्चितता है
साफ-साफ नज़र आने लगे हैं
इन मुखोटों के पीछे छिपे चेहरे
बदलेंगे मुखौटे लेकिन
नहीं बदलेंगे उनके चेहरे
इस सच्चाई के साथ
मैंने भी जीना सीख लिया है
मुखौटो की बस्ती में
अपना घर बना लिया है!!!!!
लिख सको तो ऐसा गीत लिखो, जो हार में भी हो वो जीत लिखो.
एक प्यारा सा मनमीत लिखो,
कुछ छाँव लिखो कुछ धूप लिखो.
जो मेरे लिए हो वो प्रीत लिखो,
कुछ महके से जज़्बात लिखो.
कुछ सपनो की सौगात लिखो,
एक पल में बीता साल लिखो.
सदियों लम्बा इंतज़ार लिखो,
वो पहली पहली बात लिखो.
जब हाथों में था हाथ लिखो,
फिर तारों की बरसात लिखो.
तुम मुझको अपने साथ लिखो,
कुछ दूरी का अहसास लिखो.
वो आस लिखो विश्वास लिखो,
व्याकुल नयनो की प्यास लिखो.
वो भीगे-भीगे दिन रात लिखो,
कुछ खास लिखो, खास लिखो.
सुबह से शाम
चलते-चलते
थक गया तन
सुनते-सुनते
ऊबा मन
आँखें नम
निर्जन आस
भग्न अंतर
उद्वेलित श्वास
बहुत उदास
कुछ निराश
शब्द-शब्द
रूठ रहे हैं
मन प्राण
छूट रहे हैं
पराया था
अपना है
कभी लगता
सपना है
सूरज जैसे
अस्त हो चला
अंतिम छंद
गढ़ चला.................!
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क्षण हँसते
क्षण बोलते
क्षण आते
मानव बनकर
पास बुलाते
दूर करते
क्षण रोते
वेदना बनकर
रंग बदलते
रूप बदलते
क्षण दिखते
चेहरा बनकर
क्षण शब्द
क्षण भाव
क्षण आते
कविता बनकर
क्षण नींद
क्षण नयन
क्षण आते
सपना बनकर
क्षण बूँद
क्षण नीर
क्षण बहते
झरना बनकर
क्षण संगी
क्षण साथी
क्षण मिलते
अपना बनकर........