बरखा की रुत तुम भूल न जाना, सजना अब आ जाना,
आज बदरिया झूम के बरसी, संग सावन पींग झुलाना।।
बूंद बूंद से घट भर जाए
ताल तलैया भी हरसाए
जाग के नींद से कलियाँ
भँवरों को समीप बुलाएँ
बरखा रानी झम्मके बरसो, वन-उपवन का मन हरसाना,
उमड़ घुमड़ के ऐसे बरसो, धरती की तुम प्यास बुझाना।।
काले मेघों की रुत आई
काली - काली घटा छाई
सावन की फुहारों ने भी
झूम - झूम प्रभाती गाई
बोलन लागे मोर बगिया में, चकवा संग गाए राग पुराना,
रात अमावस की है काली, गरज तरज बिजली चमकाना।।
सांझ ढले मैं दीया बालूँ
देहरी पर मैं चौक पुराऊं
राह तकूं कब तक बैरी
दूर दूर लों मैं देखूं भालूं
डगर चलत बटोही आवेगा, चमकेगा कब चेहरा नुराना,
देखत बाट भई बावरिया, सावन में सांवरिया आ जाना।।
आज बदरिया झूम के बरसी, संग सावन पींग झुलाना।।
बूंद बूंद से घट भर जाए
ताल तलैया भी हरसाए
जाग के नींद से कलियाँ
भँवरों को समीप बुलाएँ
बरखा रानी झम्मके बरसो, वन-उपवन का मन हरसाना,
उमड़ घुमड़ के ऐसे बरसो, धरती की तुम प्यास बुझाना।।
काले मेघों की रुत आई
काली - काली घटा छाई
सावन की फुहारों ने भी
झूम - झूम प्रभाती गाई
बोलन लागे मोर बगिया में, चकवा संग गाए राग पुराना,
रात अमावस की है काली, गरज तरज बिजली चमकाना।।
सांझ ढले मैं दीया बालूँ
देहरी पर मैं चौक पुराऊं
राह तकूं कब तक बैरी
दूर दूर लों मैं देखूं भालूं
डगर चलत बटोही आवेगा, चमकेगा कब चेहरा नुराना,
देखत बाट भई बावरिया, सावन में सांवरिया आ जाना।।
काले मेघों की रुत आई
जवाब देंहटाएंकाली - काली घटा छाई
सावन की फुहारों ने भी
झूम - झूम प्रभाती गाई
... और ये प्रभ्ााती मन को हर्षा जाती है
अनुपम भाव
वाह .... बहुत सुन्दर चित्रण किया है
जवाब देंहटाएंआयेंगे ज़रूर आयेंगे :-)
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा गीत...
सस्नेह
अनु
पावस ॠतु में उपजे विरही नायिका के मनोभावों सुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमन के भावों को लिख दिया ....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रीत भरी मनुहार और अंतर की पुकार..
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनमोहक गीत ... बरखा, मौसम की फुहार ... कान्हा का प्रेम ... सभी कुछ एकसाथ लिए .. मधुर प्रीत को समर्पित भाव ..
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमनभावन आया है सावन तो कैसे भूलेगा साजन ?
जवाब देंहटाएंबरखा रानी झम्मके बरसो, वन-उपवन का मन हरसाना,
जवाब देंहटाएंउमड़ घुमड़ के ऐसे बरसो, धरती की तुम प्यास बुझाना।।
सावन आये और मन मे सुन्दर प्यारे प्यारे भाव न उठें ये कैसे हो सकता है< मनभावनी कविता