रड़क रही जो सीने में वो फ़ांस लिख दो।
मंज़िल जो हमसे अभी दूर बहुत दूर है,
ख्वाबों में मंज़िल का अहसास लिख दो।
गुंचा-ए-गुल खिला अबके इस गुलशन में,
राहे सफ़र में अपना हर ख्वाब लिख दो।
वक्त भी पढे जिसे कुछ खास लिख दो।
कान में चुपके से सरसराती हवा ने कहा,
इस घने अँधेरे में तुम उजास लिख दो।
याद रखे सदियों तक ये जमीं आसमां,
चलो कलम उठाओ इतिहास लिख दो।
वाह....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया संध्या ...
नज़्म, ग़ज़ल, अफ़सानों की रवायत है,
वक्त भी पढे जिसे कुछ खास लिख दो।
लाजवाब ग़ज़ल !!
सस्नेह
अनु
बेजोड़ अभिव्यक्ति ..... उम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंघने अँधेरे में भी कोई दीप जलाना होगा..काँटों में खिल फूलों सा मुस्काना होगा..सुंदर गजल !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और लाजवाब गजल...
जवाब देंहटाएं:-)
वक्त भी पढ़े कुछ ख़ास लिख दो ....
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूब !
बेहतरीन तमन्ना ।
जवाब देंहटाएंसादर
आशा का प्रतिबिंब झलकता है गजल में,
जवाब देंहटाएंज्यों आफ़ताब नुमाया होता है फ़जल में ।
सुरमई शाम आए तो ओझल होता है वह,
तुलसी की चौपाईयां जाग उठती रहल में।।
…… बहुत खूब।
हमारे नाम ज़िन्दगी हर सांस लिख दो,
जवाब देंहटाएंरड़क रही जो सीने में वो फ़ांस लिख दो।
मन का हो तो अच्छा, न हो तो और भी अच्छा!! आपके चिर-परिचित अंदाज़ में लिखी भावपूर्ण रचना!!
इतिहास लिखने के लिए सच में कलम उठानी ही पड़ती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंइसके अतिरिक्त कोई और अल्फाज लिखने
का मन ही नही कर रहा है.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का हार्दिक आभार.
Behtreen Panktiyan hain.....
जवाब देंहटाएं'घने अँधेरे में तुम उजास लिख दो '
जवाब देंहटाएं- इससे अच्छा और क्या होगा !
कान में चुपके से सरसराती हवा ने कहा,
जवाब देंहटाएंइस घने अँधेरे में तुम उजास लिख दो।----
बहुत सुन्दर और प्रभावशाली गजल
वाह बहुत खूब ---
बधाई
आग्रह है----
और एक दिन
वक़्त भी पढ़े कुछ ख़ास लिख दो ........... नि:शब्द कर दिया आपने
जवाब देंहटाएंबेहद उम्द़ा गज़ल
बधाई इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये
वाह ... नायाब शेर बने हैं इस ग़ज़ल में ... मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखा है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमधुर मधुर सुन्दर सुन्दर अहसास करवाया है आपने.
जवाब देंहटाएंआभार संध्या जी.
Beautiful :)
जवाब देंहटाएंकलम के हाथ में बहुत कुछ है. इसे निश्चय ही निरंतरता के साथ चलनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंपहले शेर में शायद टंकण की त्रुटि रह गयी है. 'रड़क' से आपका अभिप्राय 'धड़क' होगा, ऐसा लगता है.