शब्द भरे भंडार तुम्हारे छोटा सा काम कर दो,
कुछ शब्द अपने कोषागार से मेरे नाम कर दो॥
धूल भरी गर्म आंधियों में चक्रवात सिर पर चढा,
बरसे फ़ुहार पावस सी सावन मेरे नाम कर दो ॥
तुम्हारी राह के कांटे चुन लूंगी पलको से अपनी,
प्यार के कुछ बोल मनभावन मेरे नाम कर दो॥
चढ रही हैं बुलंदियों पे नफ़रतों की आँधियाँ अब,
सीप में छिप जाऊंगी मैं सागर मेरे नाम कर दो॥
प्रेम रहे सदा जहाँ में, लबो पे रहे तराने हरदम,
अपनी एक खूबसूरत सरगम मेरे नाम कर दो॥
प्यास सदियों की रही है लबों पर हरदम हरवक्त,
ये मीना, सागर साकी औ जाम मेरे नाम कर दो॥
कुछ शब्द अपने कोषागार से मेरे नाम कर दो॥
धूल भरी गर्म आंधियों में चक्रवात सिर पर चढा,
बरसे फ़ुहार पावस सी सावन मेरे नाम कर दो ॥
तुम्हारी राह के कांटे चुन लूंगी पलको से अपनी,
प्यार के कुछ बोल मनभावन मेरे नाम कर दो॥
चढ रही हैं बुलंदियों पे नफ़रतों की आँधियाँ अब,
सीप में छिप जाऊंगी मैं सागर मेरे नाम कर दो॥
प्रेम रहे सदा जहाँ में, लबो पे रहे तराने हरदम,
अपनी एक खूबसूरत सरगम मेरे नाम कर दो॥
प्यास सदियों की रही है लबों पर हरदम हरवक्त,
ये मीना, सागर साकी औ जाम मेरे नाम कर दो॥
बहत ही शानदार मार्मिक रचना ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ख्वाहिश..प्रीत से पगी..
जवाब देंहटाएंचढ रही हैं बुलंदियों पे नफ़रतों की आँधियाँ अब,
जवाब देंहटाएंसीप में छिप जाऊंगी मैं सागर मेरे नाम कर दो॥... बहुत सुंदर
सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर.....बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंअनु
एक बार फिर गहराई से निकली मन को गहरे तक छूती रचना !
जवाब देंहटाएंरचना है कि गोली है, जो कान को छूकर निकल गई :)
हटाएंसुंदर और अर्थपूर्ण लिखा बधाई
जवाब देंहटाएंसच! संध्या जी , इस धूल भरी गर्मी में शीतल फुहारों से है ये रचना.. बहुत बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय .. क्या कहने .. कुछ शब्द अपने कोषागार से मेरे नाम कर दो.. बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंग़ज़ल में बहुत सुन्दर भाव प्रवाह है. बहुत पसंद आयी
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