क्षण....संध्या शर्मा 

क्षण हँसते  
क्षण बोलते 
क्षण आते 
मानव बनकर 
पास बुलाते 
दूर करते 
क्षण रोते 
वेदना बनकर 
रंग बदलते 
रूप बदलते 
क्षण दिखते
चेहरा बनकर  
क्षण शब्द 
क्षण भाव 
क्षण आते 
कविता बनकर 
क्षण नींद  
क्षण नयन
क्षण आते   
सपना बनकर 
क्षण बूँद 
क्षण नीर 
क्षण बहते 
झरना बनकर 
क्षण संगी 
क्षण साथी 
क्षण मिलते 
अपना बनकर........ 
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
क्षण क्षण का लेखा जोखा ...बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पंक्तियाँ लिखी हैं आपने बधाई
जवाब देंहटाएंहर क्षण का सुन्दर लेखा जोखा...
जवाब देंहटाएंक्षण में कितने क्षण लिख डाले आपने सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंये सारा खेला एक क्षण का ही तो है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!!!
सस्नेह
अनु
हर क्षण को बखूबी शब्दों में व्यक्त किया है,,
जवाब देंहटाएंहर क्षण की अपनी दास्ताँ..
बहुत बेहतरीन रचना...
:-)
एक एक क्षण - अति महत्वपूर्ण
जवाब देंहटाएंक्षण त्यागे कुतो विद्या, कण त्यागे कुतो धनं की याद दिला दी आपने
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंछोटे छोटे शब्दों की जो माला आपने बनाई है
इसकी यही खूबसूरती है।
उत्कृष्ट एवं अर्थपूर्ण शब्द संयोजन
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर..हर क्षण .
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर ...एक क्षण मे कितना कुछ समाया होता है ...बहुत विस्तृत सोच ...संध्या जी ..
जवाब देंहटाएंsundar rachna
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव। पढ़कर मन त्रिप्त हो गया कभी मेरे ब्लौग http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com पर भीआना अच्छा लगेगा।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत उत्कृष्ट एवं सुंदर .
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