ऐसी ही है वह
खूब बोलना चाहती है
पर बोलती नहीं
जब बोलने को कहो
कह देती है
कुछ नहीं कहना
हाँ लेकिन उसी वक़्त
उन मुरझाई आँखों से
टपक जाती हैं
दो बूंदें........!
बिलकुल दर्पण की तरह
बिलकुल दर्पण की तरह
जिसमे झलकता है
उसका प्रतिबिंब
झुर्रियों भरा चेहरा
स्पष्ट उभर आती हैं
अनगिनत रेखाएं
आखिर उन बूंदों पर
इन अनगिनत
आड़ी-टेढ़ी लकीरों से
इन अनगिनत
आड़ी-टेढ़ी लकीरों से
क्या लिख देती है वह....?
चेहरे की लकीरें अनुभव की है गाथा
जवाब देंहटाएंबूंद टपकी आंखो से पर उन्नत माथा।
आभार
कुछ नहीं कहनाहाँ लेकिन उसी वक़्तउन मुरझाई आँखों सेटपक जाती हैं दो बूंदें........!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच है उम्र भर की वेदना और संवेदना को अपने गहराई में समेटे ...सुँदर कविता
वह सारा अनकहा लिख जाती है , जो एक नहीं कई आँखों से टपकती है और उस अनबोले को मौन लोग समझ ही लेते हैं ...
जवाब देंहटाएंantar vedna aankho se likhi jaati hai.
जवाब देंहटाएंआखिर उन बूंदों पर
जवाब देंहटाएंइन अनगिनत
आड़ी-टेढ़ी लकीरों से क्या लिख देती है वह....? अपनी ज़िन्दगी और अनुभवों का सच
चहरे की रेखाएं इतिहास है उस दर्द का जो अंतस में छुपा लेती हैं..बहुत मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंवो लिख देती है एक सच कि किसी ने उसकी जिंदगी को जिंदगी नहीं समझा।
जवाब देंहटाएंसादर
दर्द के भावों प्रकट करने में सफल खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंऐसी ही हैं वो ...सब कुछ अपने में समेटे हुए ..मौन !
जवाब देंहटाएंमैं भी सहमत हूँ /
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट ॥
मेरे भी ब्लॉग पर आयें
गहन भाव....
जवाब देंहटाएंशायद वो लिख देती है कि मुझे सिर्फ स्नेह चाहिए, थोडा सा...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
सुँदर कविता
जवाब देंहटाएंकुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह जाती हैं चेहरे पर पडी झुर्रियां......
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना। गहरे भाव।
बहुत ही हृदय स्पर्शी रचना ।
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर माँ शारदे को समर्पित 100वीं पोस्ट जरुर देखें ।
"हे ज्ञान की देवी शारदे"
बिलकुल दर्पण की तरह
जवाब देंहटाएंजिसमे झलकता है
उसका प्रतिबिंब
झुर्रियों भरा चेहरा
स्पष्ट उभर आती हैं
अनगिनत रेखाएं
आखिर उन बूंदों पर
इन अनगिनत
आड़ी-टेढ़ी लकीरों से
क्या लिख देती है वह....?
एक अनुतरित प्रश्न ! आपको वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें !
सागर से गहरी है ..ये दो बूंदें !!!
जवाब देंहटाएंसुदर अहसास !
बहुत ही गहरे भावो को शब्दों में पिरोया है..........
जवाब देंहटाएंबहुत गहन भाव लिए ये शानदार पोस्ट है|
जवाब देंहटाएंबंसतोत्सव की अनंत शुभकामनाऍं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ...बसंत की शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंसुदर अहसास से भरी सुन्दर रचना के लिए बधाई..
जवाब देंहटाएंsundr rchna bdhai
जवाब देंहटाएंrchna abhi aur kuchh khna chah rhi hai use vytha ka sagr udelne den hridy kii vedna ko shbd ka sanche me dhl kr ek anokha roop dharn krne to den
dr.vedvyathit@gmail.com
09868842688
झुर्रियों में जीवन भर का दर्द छिपा होता है।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी कविता।
जी बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और रचना |
जवाब देंहटाएंबधाई |
आशा
संध्या जी,..मेरा मानना है,इंसान के कर्म ही उसके जीवन का निर्माण करती है
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,
welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
अश्रुओं की भी अपनी भाषा होती है...शब्दों से कहीं सजीव, मार्मिक कविता!
जवाब देंहटाएंdil ko chuti rachna..
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