विश्वासपानी में उठताबुलबुला नहींजो मिट जाये एक पल में ही बहुत गहराई से अभिव्यक्त किया है विश्वास को ..!
विश्वास एक सरल रेखा है .... वह हर परिस्थिति में सरल रहती है
बेहतरीन काव्य .. सटीक कथन
विश्वाससिद्धांतों सेअडिग हैंजो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से....एकदम सटीक बात कही सादर
विश्वास की जड़किसी तूफ़ान बहाव सेनहीं हिलतीविश्वास ही तो भीतर का अजर अमर तत्व है...बहुत सुंदर पंक्तियाँ!
विश्वासपानी में उठताबुलबुला नहींजो मिट जाये एक पल में ही बहुत सही और अच्छी बात.....शानदार|
विश्वाससिद्धांतों सेअडिग हैं जो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से....बहुत इमानदारी से मन की बात लिखी है ......!!एक एक शब्द काबिले तारीफ़ है ...!!
बहुत अच्छा लिखा है आपने ..
विश्वास अपने में ही विश्वनीय है..
sach kaha.
जी हाँ विश्वास ही तो है जिस पर हम जी रहे हैं ....
अच्छी प्रस्तुति,बहुत सुंदर रचना,गहरी अभिव्यक्ति new post...वाह रे मंहगाई...
जब कुछ नहीं बचता जीवन में तब विश्वास ही साथ देता है। सुंदर अभिव्यक्ति।
विश्वाससिद्धांतों से अडिग हैंजो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से....Wah Bhaut Sunder
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!--आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!सूचनार्थ!
विश्वास पर ही दुनिया कायम है.
विश्वाससिद्धांतों से अडिग हैं जो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से.बेहतरीन !
गहरे अर्थ..शब्दों ने बहुत कुछ कह दिया ,गहरीं गयीं |
लेकिन शक की दीमक विश्वास की गहरी जड़ों को खोखला कर देती हैं ..अच्छी प्रस्तुति
सही सन्देश देती रचना !बहुत सुन्दर !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
Vishwaas par vishvaas ko majboot karti sundar rachna ...
trust ,vishwaas,bharosa naam anek hain aur kaam sirf eksundar rachna
इसीलिए तो गोस्वामी तुलसीदास जी श्रीरामचरितमानस के शुरू में ही प्रार्थना करते हुए कहते हैं. भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिनौ याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धा:स्वान्त:स्थमीश्वरमआपकी सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार,संध्या जी.
सुंदर भाव शब्दों मे कसावट हैशिल्प में शब्दों की बुनावट है।आभार
सुंदर प्रस्तुति। किंतु सहज विश्वास हेतु परस्पर श्रद्धा,स्नेह व बिना शर्त प्रेम का होना अति आवश्यक है।
▬● बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने... शुभकामनायें...दोस्त अगर समय मिले तो मेरी पोस्ट पर भ्रमन्तु हो जाइयेगा...● Meri Lekhani, Mere Vichar..● http://jogendrasingh.blogspot.com/2012/01/blog-post_23.html.
बहुत संदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " डॉ.ध्रमवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
बहुत बढि़या।सच है, वो विश्वास ही क्या जो डिग जाए।सच्चा विश्वास सुदृढ़ होता है।
विश्वाससिद्धांतों सेअडिग हैंजो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से...वाकई में विश्वास तो विश्वास ही होता है जो टूटे ना।
विश्वाससिद्धांतों सेअडिग हैंजो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से.... BAHUT HI SUNDAR CHINTAN ...BADHAI SANDHYA JI.
विश्वास
जवाब देंहटाएंपानी में उठता
बुलबुला नहीं
जो मिट जाये
एक पल में ही
बहुत गहराई से अभिव्यक्त किया है विश्वास को ..!
विश्वास एक सरल रेखा है .... वह हर परिस्थिति में सरल रहती है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन काव्य .. सटीक कथन
जवाब देंहटाएंविश्वास
जवाब देंहटाएंसिद्धांतों से
अडिग हैं
जो नहीं बदलते
किसी भी प्रयोग से....
एकदम सटीक बात कही
सादर
विश्वास की जड़
जवाब देंहटाएंकिसी तूफ़ान
बहाव से
नहीं हिलती
विश्वास ही तो भीतर का अजर अमर तत्व है...बहुत सुंदर पंक्तियाँ!
विश्वास
जवाब देंहटाएंपानी में उठता
बुलबुला नहीं
जो मिट जाये
एक पल में ही
बहुत सही और अच्छी बात.....शानदार|
विश्वास
जवाब देंहटाएंसिद्धांतों से
अडिग हैं जो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से....
बहुत इमानदारी से मन की बात लिखी है ......!!
एक एक शब्द काबिले तारीफ़ है ...!!
बहुत अच्छा लिखा है आपने ..
जवाब देंहटाएंविश्वास अपने में ही विश्वनीय है..
जवाब देंहटाएंsach kaha.
जवाब देंहटाएंजी हाँ विश्वास ही तो है जिस पर हम जी रहे हैं ....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति,बहुत सुंदर रचना,गहरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंnew post...वाह रे मंहगाई...
जब कुछ नहीं बचता जीवन में तब विश्वास ही साथ देता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति।
विश्वास
जवाब देंहटाएंसिद्धांतों से
अडिग हैं
जो नहीं बदलते
किसी भी प्रयोग से....
Wah Bhaut Sunder
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
विश्वास पर ही दुनिया कायम है.
जवाब देंहटाएंविश्वास
जवाब देंहटाएंसिद्धांतों से
अडिग हैं
जो नहीं बदलते
किसी भी प्रयोग से.
बेहतरीन !
गहरे अर्थ..शब्दों ने बहुत कुछ कह दिया ,गहरीं गयीं |
जवाब देंहटाएंलेकिन शक की दीमक विश्वास की गहरी जड़ों को खोखला कर देती हैं ..
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
सही सन्देश देती रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंVishwaas par vishvaas ko majboot karti sundar rachna ...
जवाब देंहटाएंtrust ,vishwaas,bharosa naam anek hain aur kaam sirf ek
जवाब देंहटाएंsundar rachna
इसीलिए तो गोस्वामी तुलसीदास जी श्रीरामचरितमानस के शुरू में ही प्रार्थना
जवाब देंहटाएंकरते हुए कहते हैं.
भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिनौ
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धा:स्वान्त:स्थमीश्वरम
आपकी सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार,संध्या जी.
सुंदर भाव शब्दों मे कसावट है
जवाब देंहटाएंशिल्प में शब्दों की बुनावट है।
आभार
सुंदर प्रस्तुति। किंतु सहज विश्वास हेतु परस्पर श्रद्धा,स्नेह व बिना शर्त प्रेम का होना अति आवश्यक है।
जवाब देंहटाएं▬● बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने... शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंदोस्त अगर समय मिले तो मेरी पोस्ट पर भ्रमन्तु हो जाइयेगा...
● Meri Lekhani, Mere Vichar..
● http://jogendrasingh.blogspot.com/2012/01/blog-post_23.html
.
बहुत संदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " डॉ.ध्रमवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या।
जवाब देंहटाएंसच है, वो विश्वास ही क्या जो डिग जाए।
सच्चा विश्वास सुदृढ़ होता है।
विश्वास
जवाब देंहटाएंसिद्धांतों से
अडिग हैं
जो नहीं बदलते
किसी भी प्रयोग से...वाकई में विश्वास तो विश्वास ही होता है जो टूटे ना।
विश्वास
जवाब देंहटाएंसिद्धांतों से
अडिग हैं
जो नहीं बदलते
किसी भी प्रयोग से....
BAHUT HI SUNDAR CHINTAN ...BADHAI SANDHYA JI.